स्क्रिप्ट और कंटेंट हो गया हीरो: अंकिता

इंदौर. आज स्टार कास्ट से ज्यादा स्क्रिप्ट और कंटेंटे हीरो हो गया है. आप क्या कर रहे हैं ये मायने नहीं रखता है. कंटेंट अच्छा हुआ तो लोग फिल्म पसंद करते हैं. कई छोटी फिल्मों भी हिट हो रही है.

यह कहना हैअभिनेत्री अंकिता लोखंडे का. वे बुधवार को फिल्म मणिकर्णिका के प्रमोशन के लिए शहर में थी. इंदौर की ही अंकिता फिल्म में झलकारी की भूमिका में नजर आएंगी. उन्होंने फिल्म और किरदार को लेकर बताया कि जब मैंने यह किरदार चुना था तब मैं भी झलकारी बाई के बारे में नहीं जानती थी कि वह कौन है. शायद कोई भी उनके बारे में ज्यादा नहीं जानता है. मुझे मौका मिला है लोगों को उनके बारे में बताने का. ऐसी फिल्म में डेब्यू करने का मौका बहुत ही हर किसी को नहीं मिलता.

उन्होंने आगे बताया कि झलकारी बाई बचपन से ही वारियर थी.  उनकी मां नहीं थी तो उन्हें उनके पिताजी ने लड़के की तरह बड़ा किया था. उन्हें रानी लक्ष्मीबाई के लिए अपने आप को सौंप दिया था. उन्होंने अपने ऊपर ह्यूमन बम भी लिया. उन्होंने जो भी किया उसकी अभी तक वजूद नहीं है.

फिल्म में मिलता है बहुत समय

अंकिता ने बताया कि फिल्म और टीवी में समय का अंतर है. फिल्मों के किरदार को तैयार करने के लिए बहुत समय मिल जाता है. जबकि टेलीविजन में बहुत कम समय मिलता है. वहां जो भी है तुरंत करना पड़ता है. साथ ही कुछ फर्क कैमरे का भी आ जाता है क्योंकि दोनों के सेट पर अलग कैमरे होते हैं. लेकिन मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता. मैं जो भी करती हूं उसमें अपना सौ प्रतिशत देती हूं और हार्ड वर्क पर विश्वास करती हूं. उन्होंने बताया कि मैं तीन साल स्क्रीन से दूर रही. इस दौरान में छुट्टियां मना रही थी और परिवार के साथ समय बिता रही थी.

बड़े कलाकारों के साथ बहुत सीखा

अंकिता ने कहा कि कंगना के साथ काम करने में मुझे बहुत मजा आया. मैं उन्हें एक्टिंग करके देखते हुए बड़ी हुई हूं. मैं उन्हें पहले से जानती थी लेकिन फिल्म के बाद उन्हें और अच्छे से जानने लगी हूं. उन्होंने आगे बताया कि बड़े कलाकारों के साथ काम करने पर बहुत कुछ सीखने को मिलता है. इसमें डेनी सर, कुलभूषण खरबंदा और अतुल कुलकर्णी जैसे बड़े कलाकार थे जिन्हें देखकर ही मैं बहुत कुछ सीखा. 

कम्फर्ट जोन बाहर काम करना मुश्किल

अंकिता ने बताया कि मैंने इस फिल्म के लिए घुड़सवारी सीखी है और बंदूक चलाना भी सीखी. हालांकि मुझे घोड़े पर बैठने में बहुत डर लगता था. हमारी 40 दिन की ट्रेनिंग हुई थी. हॉलीवुड़ के एक्शन डायरेक्टर हमें सिखाने आए थे. कम्फर्ट जोन के बाहर आकर काम करना बहुत मुश्किल हो जाता है. शूटिंग के दौरान में कई बार गिरी और घायल भी हुई. लेकिन यह सब तो शूटिंग का हिस्सा होता है.

इंदिरा गांधी की बायोपिक करना चाहती हूं

अंकिता ने कहा कि वर्तमान में बायोपिक का दौर वापस आ गया है. महिलाओं को मोटिवेट करने के लिए फिल्में बनना चाहिए. मणिकर्णिका भी ऐसी ही फिल्म है. मुझे मौका मिला तो मैं मुधबाला और इंदिरागांधी जैसी महिलाओं की बायोपिक करना चाहूंगी. हालांकि मैं माधुरी दीक्षित की भी फैन हूं. इन किरदारों को करने में एक अलग ही फील आती है.

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