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सांड की आंख के लिए भूमि ने अपनी माँ से सीखी हरियाणवी!
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बॉलीवुड में सबसे रोमांचक युवा अभिनेत्रियों में से एक होने के साथ ही भूमि पेडनेकर एक बेहद प्रतिबद्ध कलाकार भी हैं। वह जिन फिल्मों का चयन करती हैं, उनमें हमेशा अपना 200 प्रतिशत देती हैं। वे एक ऐसी कलाकार हैं, जिन्होंने कैमरे के सामने हर बार बेहतर परफेक्शन और बहुमुखी प्रतिभा का परिचय देते हुए अविश्वसनीय रूप से शानदार प्रदर्शन किया है।
इतना ही नहीं भूमि ने भी, हर फिल्म में, अपने किरदार के मुताबिक खुद को ढाल लिया। अपनी पहली फिल्म दम लगा के हईशा के साथ, उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया, जो उस वर्ष का एक यादगार एक्टिंग प्रदर्शन था। इसके लिए उन्होंने खुद का वजन बढ़ाया और अधिक वजन वाली लेकिन आत्मविश्वासी युवा महिला संध्या के रूप में साहसिक शुरुआत की।
उनकी अगली फिल्में टॉयलेट : एक प्रेम कथा, शुभ मंगल सावधान, लस्ट स्टोरिज और सोन चिरैया में भी उन्होंने कैमरे के सामने अलग-अलग किरदारों के जरिए स्क्रीन पर प्रामाणिकता और वास्तविकता को प्रस्तुत किया।सांड की आंख में, वह विश्व की सबसे पुरानी शार्पशूटर प्रकाशी तोमर की भूमिका में हैं। फिल्म में उनकी बहन चंद्रो के किरदार में तापसी पन्नू है, जो खुद भी एक उम्रदराज महिला शार्पशूटर हैं।
उनका किरदार हरियाणवी है और भूमि हरियाणवी लहजे में धमाका करना चाहती थीं। अहम बात यह है कि इस काम के लिए उन्हें अपने घर में ही मदद मिली!उन्होंने कहा, मैं स्क्रिन पर अपने किरदार को इतना वास्तविक और प्रामाणिक बनाना चाहती हूं कि फिल्म देखने के दौरान लोग यह भूल जाएं, कि वे मुझे देख रहे हैं। मैं चाहती हूं कि मैं जो किरदार निभा रही हूं, लोग उसमें भावनात्मक रूप से डूब जाएं।
सांड की आंख के लिए मैं हरियाणवी लहजा प्राप्त करना चाहती थी और फिल्मांकन और डबिंग के दौरान वास्तविकता लाने के लिए मैंने अपनी मां (उनकी मां का नाम सुमित्रा है और वह हरियाणवी है) की मदद ली। यह प्रक्रिया मेरे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण थी और इस बात के लिए मैं ईश्वर की शुक्रगुजार हूं कि इस दौरान मेरी मां मेरे साथ थीं, जो मुझे मार्गदर्शन देने के साथ-साथ कोचिंग भी दे रहीं थीं।फिल्मी सेट से जुड़े एक सूत्र ने खुलासा किया कि भूमि अपनी मां के साथ सेट पर जाती -थीं और हर रात उनके साथ उच्चारण की प्रैक्टिस करतीं थीं।
भूमि अपनी मां के साथ अगले दिन की शूटिंग की लाइनें पढ़ती थीं, और गलती होने पर उनकी मां इसमें सुधार करती थीं। यह उनकी मां के सहयोग का ही परिणाम है कि भूमि ने फिल्म में जबरदस्त प्रदर्शन किया है और उनके लहजे की काफी सराहना की जा रही है। फिल्म की शूटिंग शुरू होने से पहले, करीब दो महीने तक भूमि ने अपनी मां के साथ हरियाणवी में प्रशिक्षण लिया।
उसने बताया कि इस भूमिका को निभाने के लिहाज से यह पूरी प्रक्रिया गंभीर और रचनात्मक रही है। भूमि कहती हैं, चंद्रो दादी के किरदार के साथ मैंने जो किया है वह दादी के अलावा मेरी नानी और मेरी मां के प्रति मेरा सम्मान है। दादी के चित्रण के लिए मैंने अपने जीवन की इन विलक्षण महिलाओं से विभिन्न पहलुओं को हासिल किया है।
मेरी मम्मी हरियाणा से हैं और वे वहां की संस्कृति को जानती हैं। अपने हिस्से में हर संभव प्रामाणिकता लाने के लिहाज से, मेरी मां मेरा गुप्त हथियार थीं। उन्होंने भाषा से लेकर बॉडी लैंग्वेज तक के सुधार में मेरी मदद की। फिल्मांकन के दौरान पूरे 2 महीने तक वे मेरे साथ रहीं और जिस तरह मैंने किया उसके मुताबिक चंद्रो दादी को समझने के लिए उन्होंने मेरी मदद की साथ ही इस खूबसूरत अनुभव के दौरान वे मेरी मार्गदर्शक और शक्ति का स्तंभ बनी रहीं।
मेरी मां ने सांड की आंख के इस सफर को मेरे लिए और भी यादगार बना दिया। उनके साथ इस तरह काम करने का मौका स्कूल के बाद शायद पहली बार मिला है और यह मुझे काफी अच्छा लगा। भूमि कहतीं हैं, उनके बिना मैं यह सब नहीं कर सकती थी।