चिकित्सकगण सामाजिक दायित्व गंभीरता से निर्वहन करें- राज्यपाल श्रीमती पटेल

इंदौर. ब्रिलियंट कंवेन्शन सेंटर में आज फेडरेशन ऑफ फेमिली फिजिशियन कांफ्रेस सपन्न हुई। इस अवसर पर चिकित्सकों कों संबोधित करते हुए श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि चिकित्सकगण अपने सामाजिक दायित्व का गंभीरता से निर्वहन करें। इलाज करते समय उन्हें गरीबों की सेवा का भी ध्यान रखना होगा। चिकित्सकगण ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं देकर आदर्श प्रस्तुत करें।

उन्होने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में दुनिया ने बहुत प्रगति की है। कई बीमारियां तो टीकाकरण करने से ही समूल समाप्त हो जाती हैं। उन्होने कहा कि समाज में चिकित्सकों को प्राचीन काल से ही बहुत बड़ा महत्व हैं। प्राचीनकाल में नाड़ी पकड़कर चिकित्सक बीमारी का पता लगा लेते थे। आजकल एक-एक अंग के अलग-अलग विषेशज्ञ हैं, जबकि सारे चिकित्सकों में सारी बीमारियों के इलाज करने की क्षमता होनी चाहिए।

महिलाओं और बच्चों के इलाज पर विशेष ध्यान देने की जरूरत

      राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि समाज में 75 प्रतिशत आबादी महिलाओं और बच्चों की हैं। इनका इलाज, टीकाकरण, पोषण आहार की विशेष जरूरत है। फेमिली डाक्टर ऑल राउंडर होते हैं और परिवार की 90 प्रतिशत बीमारियों का इलाज स्वयं ही कर देते हैं। प्राय: यह भी देखा गया है कि महिला और बच्चें पुरूषों की तुलना में ज्यादा बीमार होते हैं। शासन चिकित्सा के क्षेत्र में अमीर और गरीब के बीच खाईं पाटने के लिए गरीबों के नि:शुल्क इलाज के लिए शासकीय अस्पताल खोल दिये हैं। जहाँ पर मुफ्त में इलाज, परीक्षण और दवा मिलती है। चिकित्सकगण अपने मन में यह भावना रखें की नर सेवा की नारायण सेवा है। तभी उनकी सोच में बदलाब आयेगा।

एड्स और कैंसर के टीके की खोज की जरूरत

      उन्होने कहा कि चेचक, डायरिया, खसरा, काली खांसी आदि बीमारियों को टीका खोज लिया है, मगर समाज में कई नई घातक बीमारियों मसलन केंसर, एड्स, हृदय रोग आदि के कारण मानव समाज नई समस्याओं से जूझ रहा हैं। एड्स और कैंसर के टीके की खोज भी जरूरी है। इलाज के क्षेत्र में आयुर्वेद, होम्योपैथी, योगा, एक्युपंचर और प्राकृतिक चिकित्सा का भी महत्व है। यह सारी पद्धतियां एक-दूसरे की पूरक हैं।

चिकित्सक कभी रिटायर नहीं होता

      इस अवसर पर वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. आर.के. वाजपेयी ने कहा कि हमारे चिकित्सकगण प्राकृतिक आपदा में बीमारियों का मुफ्त इलाज करते हैं। केरल की बाढ़ और महाराष्ट्र व गुजरात का भूकंप इस बात का जीवंत उदाहरण है। मानव सेवा से बढ़कर और कोई धर्म नहीं हैं। चिकित्सक चाहे तो कम से कम एक आदमी को रोज जीवनदान दे सकते हैं। चिकित्सकों को बुर्जुगों के इलाज पर विशेष ध्यान देना जरूरी हैं। चिकित्सक नियम-संयम से रहता है, आजीवन इलाज करता है, वह कभी रिटायर नहीं होता। सम्मेलन को संबोधित करते हुए वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. प्रग्नेश जोशी ने कहा कि फेमिली फिजिशियन परिवार और समाज की रक्षा करते हैं। इस विशाल राष्ट्रीय सम्मेलन से वरिष्ठ चिकित्सकों में नया आत्मविश्वास पैदा होगा और जागरूकता आयेगी तथा ज्ञानवर्धन होगा।

स्वास्थ्य पत्रिका का विमोचन

      इस अवसर पर राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, डॉ. महेश गुप्ता द्वारा संपादित स्वास्थ्य पत्रिका विमोचन ने किया। कार्यक्रम को डॉ. आलोक सिंह चौहान, डॉ. मेग्नम शाह तथा डॉ. आलोक श्रीवास्तव ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर डॉ. विनय सुजालकर, डॉ. के.के चितलंग्या, डॉ. राकेश गुप्ता. डॉ. राजकिशोर वाजपेयी सहित अनेक वरिष्ठ चिकित्सक सम्मेलन में मोजूद थे।

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