अपने अधिकारों को जानना और लडऩा जरूरी: कौशिक

कानून की जागरूकता के लिए निडर कार्यक्रम का आयोजन

इंदौर. लॉ की अवेयरनेस के लिए निडर कार्यक्रम का आयोजन क्रिएट स्टोरीज द्वारा एक स्कूल में किया गया. दीपक शर्मा ने बताया कि हर व्यक्ति को कानून का कुछ ज्ञान होना बहुत आवश्यक है. अन्यथा उपभोक्ता की सुरक्षा से लेकर मौलिक अधिकारों तक कई समस्याओं से निपटना बहुत मुश्किल हो जाएगा. इस मौके पर लीगल एक्सपर्ट आशुतोष कौशिक ने सभी से चर्चा की एवं जानकारी दी.

लीगल एक्सपर्ट आशुतोष कौशिक ने बताया कि आज की लड़ाई सिर्फ शिक्षा तक ही सीमित नहीं है. अपने अधिकारों के लिए अपने अधिकार को जानना और लडऩा दोनों ज़रूरी है. ज्यादा सहनशीलता से आप अपनी योग्यता और करियर में कई बार समझौता करते है. इसलिए गलत अधिकारों से लडऩा अति आवश्यक है. यह ज्ञान भले ही आप करियर के रूप में इस्तमाल ना करें लेकिन इसकी जागरूकता जीवन भर आपको सुरक्षा प्रदान करेगी.  

बात बहुत आसान है रोज़ तैरना ज़रूरी नहीं है लेकिन तैरना आना चाहिए. इस युवा पीढ़ी में में ये उत्साह आज देखने को मिल रहा है क्योंकि उनमें लडऩे की क्षमता है. हर स्टूडेंट और व्यक्ति को समाचार पत्रों के नियमित अध्ययन के लिए समय देना चाहिए क्योंकि कई बार नियमो में बदलाव या नये नियम से इस प्रकार हम अपने आप को अपडेटेड रखेंगे.

श्री कौशिक ने बताया कि न्याय व्यवस्था सिर्फ न्याय प्रणाली से ही नहीं आपकी जागरूकता से सुधरेगी. निडर रहे और अपने अधिकारों के उलंघन पर कभी चुप न रहे. गलत बात पर चुप रहना अपने आप से व्यक्तिगत अपराध है. अगर आप इसे संस्कार मान रहे है तो अपनी सोच में परिवर्तन करें. सत्य पराजित नहीं होता पर चुप रहकर सहकर आप ज़रूर सत्य को पराजित कर देते है.  उन्होंने सूचना का अधिकार अधिनियम और उपभोक्ता संरक्षण कानून यानी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की जानकारी दी.

इसके साथ ही उन्होंने शिकायतें क्या-क्या हो सकती हैं? कौन शिकायत कर सकता है?  शिकायत कहां की जाये ?  शिकायत कैसे करें? की जानकारी भी दी. उन्होंने बताया िक एक व्यक्ति दूसरो के मौलिक अधिकार की सुरक्षा के लिए पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन ( पी.आई .एल ) भी लगा सकता है.बच्चों को खुलकर बोलने देंउन्होंने कहा कि पेरेंट्स एवं टीचर्स, बच्चों को खुल कर बोलने दें. उनके एक्सप्रेशंस को प्रश्नों के द्वारा समझे. उनकी जिज्ञासा को कला के रूप में भी स्वीकार करें.

इससे बच्चे का भय समाप्त होगा और जीवन के हर उतार चढाव में वे अपनी बात को आज़ादी से घर परिवार और समाज के सामने रखने में सक्षम होंगे. जिस बच्चे में नियमों की जागरूकता है और पेरेंट्स का सपोर्ट है, अपने आप पर कॉन्फिडेंस है , वो डिप्रेशन में न जाते हुए और डिमोटीवेट न होते हुए ऐसी परिस्थिति को सुलझा लेता है और उदहारण बनता है की आने वाले सिमिलर केसेस को सकमारात्मकता से सुलझाया जा सकता है. बच्चे डरे नहीं , पेरेंट्स सपोर्ट करे एवं हक़ से आगे बढ़ें एवं दूसरो के लिए उदहारण बने और अवेयर करें.

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