- फेलिसिटी थिएटर इंदौर में "हमारे राम" प्रस्तुत करता है
- जेएसडब्ल्यू ग्रुप के चेयरमैन सज्जन जिंदल को एआईएमए मैनेजिंग इंडिया अवार्ड्स में मिला 'बिजनेस लीडर ऑफ डिकेड' का पुरस्कार
- उर्वशी रौतेला 12.25 करोड़ रुपये में रोल्स-रॉयस कलिनन ब्लैक बैज खरीदने वाली पहली आउटसाइडर इंडियन एक्ट्रेस बन गई हैं।
- Urvashi Rautela becomes the first-ever outsider Indian actress to buy Rolls-Royce Cullinan Black Badge worth 12.25 crores!
- 'मेरे हसबैंड की बीवी' सिनेमाघरों में आ चुकी है, लोगों को पसंद आ रहा है ये लव सर्कल
दुनिया में प्रवासी बनकर साधना, तप और अराधना करें: मनीषप्रभ सागर

इन्दौर. इस दुनिया में व्यक्ति आवासीय है. हम यहां के प्रवासी है और निवासी बनकर रहना चाहते है. जैसे हम ट्रेन से एक से दूसरे शहर जाते है तो हमें कई स्टेशन पर गाड़ी रुकती है, लेकिन हमें जिस पड़ाव पर जाना है हम वहीं उतरते हैं. उसी तरह मनुष्य को प्रवासी बनकर जीना चाहिए. मनुष्य को यहां से जाना ही है, तो उसे धर्म लेकर जाना चाहिए, इसके लिए आराधना, तप-साधना करना चाहिए.
उक्त विचार खरतरगच्छ गच्छाधिपति आचार्य जिनमणिप्रभ सूरीश्वरजी के शिष्य मनीषप्रभ सागर ने शनिवार को कंचनबाग स्थित श्री नीलवर्णा पाश्र्वनाथ जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक ट्रस्ट में चार्तुमास धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए. उन्होंने बताया कि संयम की उम्र नहीं होती, आत्मा की उम्र नहीं होती, शरीर की उम्र होती है. हमारे पूर्व के जन्म के आधार पर ही बोध होता है. दीक्षा के भाव आते है।
जिस तरह बाजार से निकलते समय जरूरी नहीं है कि हम कोई वस्तु खरीदें, हम बिना खरीदें भी आगे जा सकते हैं उसी तरह संसार के इस मेले में बिना भोगे भी संसार से बाहर हो सकते हैं. संसार में व्यक्ति उलझ जाता है, परमात्मा की देशना से मार्ग मिलता है, उस पर आगे बढऩा भूल जाता है. हमें बोध के माध्यम से जागरूक बनना है। प्रवासी बनकर रहना है।
जो आज आपका है, वह कल किसी और का होगा
उन्होंने बताया कि जिस तरह से एक धर्मशाला या सराए में हम कुछ देर के लिए रुकते है तो हमारे मन में उस जगह के प्रति आसक्ति नहीं होती, उसी तरह महल, मकान, पैसा, साधन भी यहीं रहेंगे, हम नहीं ले जा पाएंगे, ऐसे भाव मन में नहीं आते।
व्यक्ति यह भूल जाता है कि जो मकान आज मेरा है, कल किसी और का था और कल किसी और का होगा। नीलवर्णा जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक ट्रस्ट अध्यक्ष विजय मेहता एवं सचिव संजय लुनिया ने जानकारी देते हुए बताया कि मुनिराज मनीषप्रभ सागरजी आदिठाणा व मुक्तिप्रभ सागरजी प्रतिदिन सुबह 9.15 से 10.15 तक अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा करेंगे। रविवार को 7 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों का शिविर लगेगा।