पुष्ययागम उत्सव में फूलों से नहाए भगवान 

वेंकटेश देवस्थान पर पुष्य यागम उत्सव
इन्दौर. ऊँ अच्युताय नम:, ऊँ अनंताय नम:, ऊँ नारायणाय नम:, ऊँ  विष्णवे नम:, ऊँ श्रीधराय नम: से मंत्रोच्चार -अर्चना करते दक्षिण भारत के विद्वत भट्टरस्वामी व आचार्यगण और फूलों की टोकरी उठा-उठाकर देते कार्यकर्ता और प्रभु की मन से हृदय से अर्चना करते भक्तगण.
आज श्री पावनसिद्धधाम वेंकटेष देवस्थानम छत्रीबाग पर पुष्य यागम उत्सव में यह सब प्रभु की पुष्प अर्चना करते समय घटित हो रहा था. द्वादष तिलक लगाए ‘बाबूलाल तिवारी’ प्रभुवेंकटेष सहित श्रीदेवी, भूदेवी की चँवर डुला रहे थे. स्वामी श्री विष्णुप्रपन्नाचार्य, अनंताचार्य एवं दिव्यांश वेदान्तीजी लगातार पुष्पों की टोकरी से भगवान के चरणों में, मस्तक पर पुष्पअर्पण कर रहे थे. 11 प्रकार के पुष्पों से कमल, गेंदा, गुलाब, मोगरा, कुंद, तुलसी, लिली, आर्किड आदि शामिल थे।
आर्किड की वंदनवार से मंदिर मण्डप सजा था तो लिली व कुंद की झालर से मण्डप की सजावट की गई थी। पुष्प अर्चना के पूर्व सभी भक्तों को मंत्रोच्चार के साथ संकल्प भी दिलाया गया. मंदिर समिति के अषोक डागा, कैलाष मूंगड़, सागरमल खटोड़ ने बताया कि आज प्रात: भगवती महालक्ष्मीजी का अभिषेक दूध, दही, शक्कर, केसर, हल्दी व पवित्र नदियों के जल से किया गया, जिसमें श्रीसूक्तम् एवं पुरूषसूक्तम् का पाठ भी किया गया.
सायंकाल सत्र में भगवती महालक्ष्मीजी की सवारी स्वर्णमंगलगिरि पर आरूढ़ मंदिर परिसर में परिक्रमित हुई. इस दौरान आलविंदार स्त्रोत एवं वेंकटेष स्त्रोत का पाठ , वेणुगोपाल संस्कृत विद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा किया गया. भजन गायक पीयूष भावसार ने भजनों की सुमधुर प्रस्तुतियाँ दी. इस अवसर पर ट्रस्ट मंडल के श्री रविन्द्रजी धूत, कैलाशचन्द्र धूत, सावंरमल शर्मा, के. एल. अग्रवाल, स्वामी रामप्रपन्नाचार्यजी, पृथ्वीराज सिंह राठौर उपस्थित थे. 10 जुलाई को प्रात: 9 बजे प्रभु श्री वेकटेष का महाभिषेक, रात्रि 8 बजे भगवान वेंकटेष की शोभायात्रा छत्रीबाग क्षेत्र में परिक्रमित होगी।
भगवान स्वयं मंत्र
स्वामी अनंताचार्यजी महाराज ने वेंकटेष देवस्थान में धर्मसभा में कहा कि भगवान स्वयं मंत्र है उनको जपने से अभीष्ट सिद्धि प्राप्त होती है. अपने सद््गुरू द्वारा जो भी मंत्र आपको दिया गया है, उससे सबकुछ प्राप्त हो सकता है. हमारे जीवन की पद्धति तभी सफल होगी जब हम आचार्य द्वारा नियमपूर्वक जाप व भगवत अर्चन करेंगे. जीवन की जो भी कामनाएं है वह तभी पूर्ण व सार्थक होगाी जग हम गुरू के बताए मार्ग पर चलेंगें. स्वामी विष्णुप्रपन्नाचार्य ने कहा कि भक्तों को भक्ति भाव में शुद्धता रखकर प्रभ्ुा का अर्चन वंदन करते रहना चााहिए.

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