विश्व का आर्थिक गुरुत्व केंद्र एशिया में शिफ्ट हो रहा है : विष्णु प्रकाश

पीआईएमआर  के चौदहवें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का भव्य शुभारम्भ

इंदौर: जब वर्तमान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष 2007 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में  चीन के संघाई शहर आए थे तो उन्होंने मुझसे पूछा कि चीन इतना विकसित क्यों है? तो मैंने  चीन में भारत के राजनयिक की हैसियत से उन्हें कहा कि यह सब एक नेता के प्रयास से संभव हुआ है जिसने 1978 में एक  गांव के लोगों को सड़क बनाने का आह्वान किया, ताकि उस गांव से एक बच्ची स्कूल जा सके। 1978  से पहले चीन एक निहायत गरीब देशों में गिना जाता था पर 1978 में चीन का नेतृत्व इस नेता के हाथ में आने के पश्चात उसने अपनी नेतृत्व की क्षमता के बदौलत चीन को बदल दिया। 

यह बात  कोरिया एवं कनाडा के पूर्व राजदूत तथा विदेशी मामलों के विशेषज्ञ, विष्णु प्रकाश ने प्रेस्टीज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एवं रिसर्च द्वारा “उभरते वैश्विक परिदृश्य में लीडरशिप और गवर्नेंस  के रणनीतियों पर पुनर्विचार” विषय पर आयोजित चौदहवें  अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उदघाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए कही।

नेतृत्व, परिवर्तन, संपर्क, शिक्षा, बालिकाओं का सशक्तिकरण को राष्ट्र निर्माण का महत्वपूर्ण घटक बताते हुए उन्होंने चीन के विकास का अनुसरण करने पर बल देते हुए कहा कि अन्य शक्तियों और चीन में अंतर यह है कि चीन अपारदर्शी है। वे चीन केंद्रित दुनिया बनाना चाहते हैं। आर्थिक गुरुत्व केंद्र एशिया में स्थानांतरित हो रहा है। 21 वीं सदी किस तरह की होगी? संघर्ष की सदी या शांति? आज भले ही शीत युद्ध समाप्त हो गया है लेकिन वर्चस्व को लेकर चीन और अमेरिका के बीच शीत टकराव अभी भी बना हुआ है I

21 वीं सदी में पांच तत्व जो एक सफल नेता को एक गैर सफल व्यक्ति से अलग करेंगे  वह है समय की पाबंदी, टीम प्लेयर बनना , नवाचार, सफलता को आत्मसात करना, समर्पण एवं उत्कृष्ता। मैं चाहूंगा आप सब मिनट आदमी बनें और अपने जीवन में मिनट के महत्व को समझें।

हम एक जुडी हुई दुनियां में रह रहे हैं: फरहान अंसारी 

रिलायंस इंडस्ट्रीज के उपाध्यक्ष, फरहान अंसारी जिन्हें प्रेस्टीज  संस्थान द्वारा `पी आई एम् आर प्रबंधन उत्कृष्टता पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया, ने अपने उद्बोधन में कहा  कि प्रेस्टीज प्रबंध संस्थान  ने पहले ही लीडरशिप और गवर्नेंस की स्ट्रैटिजी को अंजाम दिया है। उन्होंने कहा कि आज हम सब                  

डीजिटलाइजेशन के युग में जी रहे हैं।  5.5 मिलियन मोबाइल उपयोगकर्ता, 4.5 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ता, के माध्यम से  हम एक जुड़ी हुई दुनिया में रह रहे हैं। 1930 के दशक में हाईस्कूल पढ़ाई के बाद स्नातक स्तर की पढ़ाई एक क्रांति थी। शिक्षा नेतृत्व का रूप था । शिक्षा से हम जिज्ञासु, साहस, करुणा, सहानुभूति जैसी प्रविर्तियाँ  हासिल करते हैं ।

अर्थव्यवस्था मॉडल आपको यह नहीं बताएगी कि आप जो जानते हैं, आपका चुनाव इसलिए होगा कि आप जो जानते हैं उससे क्या कर सकते हैं । कड़ी मेहनत करने से आप सफल और खुश हो जाएंगे, यह मंत्र बदल गया है। यदि समस्या आप पर हावी हो रही है, तो आपको तो समय रहते उसे सुलझाना होगा और खुद को कायम रखना होगा ।

छात्रों में आत्महत्या का महत्वपूर्ण कारण आत्मविश्वास की कमी : निहित उपाध्याय

इंदौर शहर के सीएसपी निहित उपाध्याय जिन्हें `पीआईएम्आर आउटस्टैंडिंग अलुम्नुस पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया, ने इस अवसर पर कहा “हर दिन उनके थाने  में एक मामला  होता है आत्महत्या का । दस में से छै सुसाइड के मामले स्टूडेंट्स द्वारा किये गए होते हैं  ।जब मैंने इन मामलों का  अपने स्तर पर विश्लेषण किया तो पता चला कि अधिकांश मामलों में छात्रों द्वारा सुसाइड किये जाने का प्रमुख कारण उनमें आत्मविश्वास की कमी थी। छात्रों में आत्मविश्वास का स्तर शैक्षिक सफलता का एक महत्वपूर्ण कारक है। उन्होंने छात्रों से कहा कि जीवन में आये गए उतार  चढ़ाव से खुद को विचलित न करें, बल्कि लाइफ में एक स्ट्रेटेजिक थिंकिंग और प्लानिंग को अपनाएं ताकि आप हर परिस्तिथि में सही रास्ते पर रहें रहे, प्रयासरत  रहें और तब निश्चित ही सफलता आपको मिलेगी।

लीडर्स में सुनने की आदत होने चाहिए: कृष्णमूर्ति 

उद्घाटन समारोह के गेस्ट ऑफ़ ऑनर श्रीख्यातिप्राप्त मेंटर, ट्रेनर तथा रणनीति एवं नवाचार के विशेषज्ञ कृष्णमूर्ति बी. वी ने  कहा “हम लीडरशिप, गवर्नेंस र इमर्जिंग ग्लोबल परिदृश्य के बारे में 3 अलग-अलग संगमों पर बात कर सकते हैं – लीडर्स में सुनने की आदत होनी चाहिए। उन विचारों को समायोजित करना सीखें जो आपके विचारों से बहुत भिन्न है। यदि आप नहीं सुनते तो आप ऐसे लोगों से घिरे रहेंगे  जिनके पास कहने को कुछ नहीं है। कृष्णामूर्ति ने कहा कि शासन नेतृत्व के सिक्के का दूसरा चेहरा है, कोई भी नियम अगर संदेह पैदा करें तो उसका तुरंत निवारण करें ।“

रणनीतिक सोच व्यवसाय, व्यापार के लिए आवश्यक: डॉ डेविश जैन  

प्रेस्टीज एजुकेशन सोसाइटी के उपाध्यक्ष, डॉ डेविश जैन ने कहा  “सफलता एक व्यक्तिगत प्रयास से नहीं बल्कि पूरी टीम के प्रयास से मिलती है । अगर हम चीन की बात करें, तो इस देश द्वारा किये गए बड़े पैमाने पर उत्पादन तकनीक की प्रणाली एक प्रेरणा है क्योंकि वे जनशक्ति पर अभिनव तरीकों का उपयोग करते हैं। चीनी नेता वैश्विक व्यवस्था की दिशा में काफी आगे बढ़ रहे हैं । रणनीतिक सोच और निर्णयों के स्रोत को संदर्भित करता है जो एक संगठन और उसके काम को आकार देते हैं और निर्देशित करते हैं। आपका व्यवसाय किसी भी प्रकार का हो, रणनीतिक सोच का उद्देश्य एक रणनीति बनाना है जो विशेष रूप से व्यापार और संसाधन उपयोग की दिशा के बारे में निर्णयों के लिए एक सुसंगत, एकीकृत, एकीकृत ढांचा है।

रणनीति के क्रियान्वयन में नवीनतम रुझानों की जांच करें: डॉ योगेश्वरी फाटक 

पी.आई.एम.आर की निदेशिका डॉ योगेश्वरी फाटक ने अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस में आये सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि  “यह बहुत ज़रूरी है कि हम रणनीति के क्रियान्वयन में नवीनतम रुझानों की जांच करें और सफलतापूर्वक कैसे निष्पादित करें। हमारा प्रयास होना चाहिए कि रणनीति डिजाइन और कार्यान्वयन के बीच को अन्तर को कैसे कम करें? सामाजिक जीवन की चुनौतियों को पहचानने से नेतृत्व और शासन की प्रगति प्रभावित होगी। कुशल और प्रतिभाशाली मिलेनीअल उभरते हुए वैश्विक परिदृश्य में में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन एक  प्रयास है  जिसमें इस विषय पर विचार  किया जाएगा कि रणनीतिओं को गंभीरता से लेना क्यों महत्वपूर्ण है, आधुनिक और चुस्त तरीके से रणनीति को कैसे निष्पादित और कार्यान्वित किया जाए ।

इस अवसर पर अतिथियों द्वारा  बेस्ट पीएचडी, बेस्ट थीसिस, बेस्ट फैकल्टी, बेस्ट रिसर्च पेपर इत्यादि का भी पुरस्कार प्रदान किया गया तथा अतिथियों द्वारा प्रेस्टीज जर्नल पुस्तिका का विमोचन किया गया। इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन  में प्रेस्टीज एजुकेशन सोसाइटी के चेयरमैन डॉ एन  एन जैन के अलावा बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं, फैकल्टीज एवं विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ उपस्थित हुए।

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