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शारीरिक बीमारी की शुरुआत होती है मन से
इंदौर. आजकल संसार में मानसिक बीमारी बढ़ती जा रही है अर्थात व्यक्ति के मन में तनाव, डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन, क्रोध, चिंता, असंतुष्टता आदि बढ़ रही है जिसका असर कुछ दिनों के बाद उसके शरीर में कोई न कोई बीमारी के रूप में दिखाई देता है. अत: शरीर का इलाज तो कर लेते है लेकिन मन बीमार होने के कारण पुन: बीमारी हमारे शरीर को घेर लेती है. इसलिए स्वस्थ रहने के लिए पहले मन का इलाज बेहद जरूरी है।
उक्त विचार माउन्ट आबू से पधारी ज्ञानामृत पत्रिका की सह संपादिका ब्रह्माकुमारी उर्मिला दीदी ने ओमशांति भवन, ज्ञानशिखर में चल रहे शिविर में व्यक्त किये। उन्होंने आगे बताया कि आज अनेक मनोविकारों के कारण इंसान की आपस में दूरियां बढ़ गई है इसलिए तलाक के केस भी बहुत बढ़ गए हैं. आज के सोशल मीडिया के युग में रिश्ता जुड़ता भी बहुत जल्दी है तो टूटता भी बहुत जल्दी है.
त: रिश्तों को स्वस्थ और मजबूत बनाना आवश्यक है. स्वस्थ मन और स्वस्थ रिश्ता बनाने में राजयोग मैडिटेशन कारगर उपाय है। मैडिटेशन में हम अपनी अच्छाइयों का और बुराइयों का अवलोकन करते है. मेडिटेशन अर्थात परमात्मा से रिश्ता जोडऩा. परमात्मा के साथ रिस्ता जुड़ते ही हमारे जीवन में सम्पन्नता आने लगती है. हमारी दिनचर्या मूल्य आधारित हो जाती है. राजयोग हमें नर और नारी के सर्वोच्च रूप श्री लक्ष्मी और श्री नारायण समान जीवन बनाने की शक्ति देता है.
आगे अपने कहा कि भगवान को उन चीजों के लिए धन्यवाद देना शुरू करें जो आपको प्राप्त है. जब हम धन्यवाद देते है तो वह चीजें बढऩे लगती है. शिविर के प्रति लोगों की रूचि को देखते हुए विशेष 17 से 21 जुलाई तक 5 दिन के लिए शिविर को आगे बढ़ाया गया है. जिसका समय सुबह 7 से 8 एवं शाम को 7.30 से 8.30 रहेगा।