सुनाई हार न मान जीवन जीती कहानियां

ज़िन्दगी के रंग कार्यक्रम  का आयोजन क्रिएट स्टोरीज द्वारा तीन दिनी कला क्र्दार्शानी के आखिरी दिन प्रीतमलाल दुआ सभाग्रह में किआ गया | आयोजक दीपक शर्मा ने बताया की इस कार्यक्रम का उद्देश्य असल ज़िन्दगी के किस्से साँझा करना था ताकि आज के समय में जो लोग छोटी छोटी बातों पर डिप्रेस हो जाते है उससे सामना करना सीखे.

इस कार्यक्रम में न्यूरो साइकेट्रिस्ट डॉ पवन राठी ने  अपनी बात रखी  एवं तीन स्टोरीज – पद्मा वासुदेव  , वर्षा सिरसिया और कृष्णा काटे  ने अपनी हार न मानती जीवन जीती कहानी सुनाई | इसके साथ ही बरिष्ठ कलाकार प्राची वैशम्पायन ने तीन दिनी कला प्रदर्शनी कला के रंग के तीसरे भाग का समापन किआ |

डॉ पवन राठी , न्यूरो साइकेट्रिस्ट – आर्ट एंड साइकोलॉजी पे उन्होंने बताया की अक्सर लोगों को लगता है की आप किसी की पेंटिंग और आव भाव से उनके बारे में सब कुछ जान सकते है पर असल में ये एक मिथ है हम अंदाज़ा लगा सकते है परन्तु काफी बार हसते हुए चेहरे के पीछे भुत गम छुपा होता है |

आर्ट एक मैडिटेशन है जो हमे आज में जीने देता है जब हम आर्ट बनाते है तब हम पूरी तरह से उस पल में डूबे होते है या जी रहे होते है  इसे माइंडफुलनेस कहा जाता है | द्रविंग और पेंटिंग करने के लिए हमे बहुत ध्यान लगाना होता है जिससे हमारी मेमोरी भुत तेज़ रहती है |

उन्होंने  बताया की हर कला हमारे दिमाग को एक्सरसाइज कराती है जब भी कोई आर्टिस्ट कला को उकेरता है तब वो जैसा फील कर रहा होता है उस समय उसकी सोच , पसंद और स्टाइल सब उसकी कला में आता है भले ही उन्होंने प्लान करके वो कला बनाई हो | अच्छी कला हमे सरप्राइज करते है और अनियोजित होते है हमारी ज़िन्दगी की तरह | 

सभी को एक सलाह दी की दिन में कुछ वक्त अपने कला को ज़रूर दे भले ही अगर उस कला को करने के लिए भले एक कमरे  में कुछ समय अकेला ही क्यों न बैठना पड़े क्यूंकि जब हम वो काम करते है जिससे हमारा दिल खुश  होता है तब हमारी टेंशन और प्रोब्लेम्स सब भूल कर हम उस कला में मग्न हो जाते है जिसके बाद प्रोब्लेम्स का भी समाधान अपने आप मिल जाता है और टेंशन अपने आप कम हो जाती है |

पद्मा वासुदेव  ( 62 साल ) , होममेकर– ज़िन्दगी हर रंग देती है मैंने अपने ज़िन्दगी में हर एक रंग देखे हैं चाहे वो शादी के बाद के अडजस्टमेंट्स हो या चार बच्चों को पलने की ख़ुशी | एक उम्र पर आकर हमारी ज़िन्दगी काफी सेटल हो जाती है , और हम बस रिटायरमेंट एन्जॉय कर रहे थे की ज़िन्दगी में नया रंग आया , बहुत खूबसूरत नहीं था लेकिन बहुत कुछ सिखा गया | आज भी मुझे याद है डॉक्टर की वो टेंशन वाली आवाज़ जब उसने मुझे बताया की मुझे कैंसर है आज से तक़रीबन 4 साल पहले  |

उस बात ने मुझे और मेरे पूरे परिवार को हिला दिया था | मेरे को तुरंत ऑपरेशन करने की सलाह दी गयी | सबकी बड़ी मम्मी थी मैं , मेरी जॉइंट फॅमिली ने समझा हर मुझे हिम्मत दी थी एवं उस हिन् परिवार का असल मतलब समझ आया | एक ऑपरेशन हैंडल करना मेरी ऐज पर बहुत मुश्किल होता है पर मरी जीत तो उस एक बार में भी नहीं हुई | हर दिन लगता था हार जाऊ पर कोई न कोई जिंदा करके उठा देता था उन तकलीफ भरे कीमो के बाद |

मेरे परिवार ने मुझे बचाया और मुझे जीना था मेरे परिवार के लिए जिद थी मेरे अंदर और अगर अपने अंदर कुछ करने की छह हो तो ये कैंसर भी छोटी सी बीमारी लगती है जिसे हम हसते हसते हरा सकते है | मई सबको यही कहना चाहती हूँ हार मत मानो और हिम्मत मत हारो दर से मत भागो सामना करो हर चीज़ में सफलता मिलेगी |

वर्षा सिरसिया ( 24 साल ) , स्टूडेंट  – मेरा नाम वर्षा सिरसिया है मैं 24 साल की हूँ , मेरा सपना एक अच्छी आर्टिस्ट बनने  का है , मेरा बचपन एक साधारण परिवार में बीता है जहाँ मैंने खुद में बदलाव देखे और खुद को खुद को जानकार अपने दिल का रास्ता चुना | चाहे हम कितना भी कह ले लड़कियों के लिए परेशानियाँ तो है | बचपन में मैं दुआ करती थी काश मई लड़का होती लेकिन बड़े होते हुए जाना की लड़कियां ही दुआ होती है |

मैंने अपने इंटरेस्ट को क्रिएटिविटी की चाह को जाना और शायद अपने लड़की होने का वजूद भी जाना | मई आर्टिस्ट बनना चाहती थी और सारे आर्ट सीखना चाहती थी | मेरे पिता मुझे बाहर जाने और सीखने से रोकते थे लेकिन मेरी माँ मेरा सपोर्ट करती थी | पर आगे कुछ सीखना है तो फीस तो भरनी पड़ती है इसके लिए मैंने मेहंदी बनाना सीखा फिर मेहंदी बनाकर और छोटे छोटे आर्ट के काम करके अपनी फीस खुद निकलती थी | 

धीरे धीरे मेहनत करके मैंने खुद को निखारना चालू किआ एवं मेरी माँ ने हमेशा मेरा साथ दिया |  जब मैं ग्रेजुएशन कर रही थी तब मेरे पिता जी का देहांत हो गया और मेरी माँ ने घर का भार उठाकर मेरी सपनो को सपोर्ट किआ | मेरी माँ एक स्कूल में काम करती है और आज वे मेरी सबसे बड़ी सपोर्टर हैं | मैं अपने पिता जी से कभी बात ही नही कर पाई क्यूंकि बहुत डरती थी  , पर आज अगर मेरे पिता जी यहाँ होते तो शायाद मेरे काम को समझते ज़रूर |

मैं बस यही कहना चाहती हूँ की अपने में कला या शौक है अगर हमे उसमे आगे बढ़ना है तो कड़ी मेहनत करनी चाहिए उसकी बारीकी जानने में एवं अपने माता पिता से ना डरके उन्हें दिल की बात बताये वे हमे आगे बढ़ने के लिए सब करेंगे बस हमे एक बार हिम्मत करके बोलना और समझाना होगा ताकि हमे बाद में किसी नही तरीके का अफ़सोस ना रहे |

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