शरद पूर्णिमा का चांद है आचार्य विद्यासागर: आर्यिकाश्री दुर्लभ मति माताजी

आचार्य 108 श्री विद्यासागर महाराज का जन्म जयंती महोत्सव धूमधाम से मनाया गया।
जिस प्रकार शरद पूर्णिमा के चांद की रोशनी में औषधि अमृत बन जाती  हैं उसी तरह जो व्यक्ति अथवा भव्य जीव आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के संपर्क में आता है वह अपने जीवन  को सफल कर लेता है।
यह बात परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर महाराज की शिष्य आर्यिका 105 दुर्लभ मति माताजी ने कंचन बाग स्थित समरण दिगंबर जैन मंदिर पर आयोजित आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के जन्म महोत्सव के अवसर पर आयोजित,छत्तीसी विधान के दौरान आज कही। उन्होंने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हमने वर्तमान में भगवान महावीर के रूप जैसे, आचार्य श्री विद्यासागर महाराज महाराज का सानिध्य प्राप्त किया।
इस अवसर पर तुकोगंज दिगम्बर जैन समाज की पहली महिला अध्यक्ष श्रीमती रानी अशोक दोशी, मनोज बाकलीवाल, सुनील जैन अरिहंत, जयसेन जैन व अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
आज  इंदौर स्थित प्रमुख जैन मंदिरों पर आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का जन्म जयंती महोत्सव धूमधाम से मनाया गया निशुल्क चिकित्सकीय शिविर,वस्त्र वितरण, रंगोली, व महाआरती जैसे कार्यक्रम आयोजित किए गए।
जबरी बाग नसिया में भी आर्यिका 105 श्री अनुनयमति माताजी के सानिध्य में विधान एवं थायराइड से मुक्ति हेतु केम्प  एवं पंचबालयती मंदिर विजय नगर में निशुल्क नेत्र परीक्षण व चश्मा वितरण शिविर लगाया गया।
तिलक नगर, उदय नगर, विजय नगर जैन मंदिरों में भी कई तरह के सांस्कृतिक व धार्मिक कार्यक्रम हुए।
समाज के श्री संजीव जैन संजीवनी ने बताया कि शरद पूर्णिमा को ही मुनि श्री समय सागर जी, आर्यिका श्री 105  ज्ञानमती माताजी व अन्य साधुओं, साध्वियों का जन्मदिन है जिसे संपूर्ण जैन समाज धूमधाम से मना रहा है।

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