- उर्वशी रौतेला 12.25 करोड़ रुपये में रोल्स-रॉयस कलिनन ब्लैक बैज खरीदने वाली पहली आउटसाइडर इंडियन एक्ट्रेस बन गई हैं।
- Urvashi Rautela becomes the first-ever outsider Indian actress to buy Rolls-Royce Cullinan Black Badge worth 12.25 crores!
- 'मेरे हसबैंड की बीवी' सिनेमाघरों में आ चुकी है, लोगों को पसंद आ रहा है ये लव सर्कल
- Mere Husband Ki Biwi Opens Up To Great Word Of Mouth Upon Release, Receives Rave Reviews From Audiences and Critics
- Jannat Zubair to Kriti Sanon: Actresses who are also entrepreneurs
इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के विशेषज्ञों ने छह महीने के केन्याई बच्चे को दिया नया जीवन

नई दिल्लीः छह महीने की नाज़ुक उम्र में केन्या से आए बच्चे इमेन्युअल लीला कमांक की ओपन हार्ट सर्जरी इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स में की गई, बच्चा एक दुर्लभ सायनोटिक जन्मजात दिल की बीमारी टॉसिंग-बिंग एनोमली से पीड़ित था। पैदा होने के सिर्फ 4 दिनों के बाद इस बीमारी का पता चला, जिसके बाद बच्चे की हालत बिगड़ती जा रही थी, जिसके चलते उसे सर्जरी के लिए दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल्स भेज दिया गया।
डॉ मुथु जोथी, सीनियर कन्सलटेन्ट- पीडिएट्रिक कार्डियोथोरेसिक सर्जन, इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स, नई दिल्ली ने कहा,‘‘जब इमेन्युअल को अपोलो लाया गया, वह सायनोटिक से पीड़ित था, यानि उसके खून में ऑक्सीजन की कमी होने के कारण त्वचा का रंग नीला पड़ता जा रहा था। जांच करने पर हमने पाया कि उसकी रेस्पीरेटरी दर सिर्फ 20 प्रति मिनट थी, जो सामान्य से बहुत कम थी। उसे हॉस्पिटल में ही गंभीर रेस्पीरेटरी अटैक हुआ, यह अटैक इतना गंभीर था का बच्चे को कार्डियक अरेस्ट भी हुआ। उसकी गंभीर हाल को देखते हुए तंरत उसे कार्डियक आईसीयू में भेजा गया और वेंटीलेटर पर रखा गया।’’
डॉ जोथी ने बच्चे की नाजु़क हालत पर बात करते हुए कहा, ‘‘बच्चे में टॉसिंग-बिंग एनोमली का निदान हो चुका था, यह दिल का ऐसा विकार है जिसमें आर्योटा दाएं वेंट्रिकल से जुड़ी हुई थी, जबकि सामान्य अवस्था में यह बाएं वेट्रिकल से जुड़ी होती है। साथ ही उसकी पल्मोनरी आर्टरी भी दाएं वेंट्रिकल से जुड़ी थी, जो असामान्य है। इसे डबल आउटलेट राईट वेंट्रिकल डिफेक्ट कहा जाता है। जांच करने पर पता चला कि उसकी आर्योटा में एक ब्लॉक भी था।
इसके अलावा बच्चे में बड़ा सब-पल्मोनरी वेंट्रीकुलर सेप्टल डिफेक्ट, आट्रियल सेप्टल डिफेक्ट और पेटेंट डक्टस आर्टीरियोसस भी था। इस दोष में जब बच्चा मां के गर्भ में होता है तो खुली ब्लड वैसल जिसे बंद हो जाना चाहिए, वह बंद नहीं हो पाती। इसके अलावा सिंगल कोरोनरी ओरिजिन से दायीं और बायीं कोरोनरी आर्टरीज़ बन रही थी। दायीं कोरोनरी का एक हिस्सा आयोर्टा की दीवार में था जिसे हम इंट्राम्यूरल कोरोनरी आर्टरी कहते हैं।
इसके चलते कोरोनरी आर्टरी को नयी आर्योटा में रीलोकेट करना मुश्किल हो जाता है। इन सब पहलुओं को देखते हुए यह मामला बेहद गंभीर था, सर्जरी के बाद भी बच्चे के ठीक होने की संभावना बहुत कम थी। हालात को देखते हुए हमने इलाज की योजना बनाई। हमने परिवार को जानकारी दी कि उसकी सर्जरी में 50-60 फीसदी जोखिम है। परिवार ने जोखिम लेने के लिए सहमति दी और हमने सर्जरी करने का फैसला ले लिया।’’
21 जनवरी 2019 को डॉ मुथु जोथी ने बच्चे की सर्जरी की। उनकी टीम में डॉ मनीषा चक्रवर्ती, सीनियर कन्सलटेन्ट, पीडिएट्रिक कार्डियोलोजिस्ट, डॉ रीतेश गुप्ता, सीनियर कन्सलटेन्ट, पीडिएट्रिक इन्टेन्सिविस्ट) शामिल थे।
मामले की जटिलता के बारे में बताते हुए डॉ मुथु जोथी ने कहा, ‘‘पूरी प्रक्रिया टोटल सर्कुलेटरी अरेस्ट में की गई, यानि शरीर के पूरी खून को हार्ट लंग मशीन में ड्रेन किया जा रहा था। इससे पहले हमें बच्चे के शरीर को 16 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा रखना था। यह मनुष्य के शरीर के लिए जमा देने वाला तापमान होता है।
हमने उसके दिमाग की सतह पर पर बर्फ रखनी पड़ी। बिना सर्कुलेशन के हम मरीज़ को अधिकतम 45 मिनट के लिए रख सकते है।। इसके बाद दिमाग, स्पाइनल कोर्ड, किडनी एवं अन्य अंगों को नुकसान पहुुुंचने का खतरा होता है। इमेन्युअल को 30 मिनट के लिए टोटल सर्कुलेटरी अरेस्ट पर रखा गया। इस दौरान हमने आयोर्टिक आर्च की मरम्मत की, इसके लिए पीडीए ब्लड वैसल को डिसकनेक्ट किया और इसे आयोर्टिक आर्च के साथ कनेक्ट किया गया।’’
इसके बाद हमने बच्चे को फिर से हार्ट-लंग मशीन पर डाला, और खून की वाहिकों की पॉज़िशन ठीक की। इंट्राम्यूरल कोरोनरी आर्टरी बहुत ही मुश्किल स्थिति में थी, हमें इस वाहिका को नई आर्योटा में इम्प्लान्ट करना था। इस प्रक्रिया में आधे मिलीमीटर की गलती भी हार्ट अटैक का कारण बन सकती है। इसके बाद वेंट्रीकुलर सेप्टल डिफेक्ट और आट्रियल सेप्टल डिफेक्ट को ठीक किया गया। सर्जरी 9 घण्टे तक चली। इसके बाद बेबी इमेन्युअल धीरे-धीरे ठीक होने लगे और 17 वें दिन उसे हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई।
बच्चे के माता-पिता ने अपोलो हॉस्पिटल्स की टीम के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘भगवान की कृपा और डॉ मुथु जोथी एवं उनकी टीम के अथक प्रयासों के कारण इमेन्युअल आज ठीक है और हमारे बीच है। उसके आगे पूरी जिंदगी पड़ी है। हमारे पास डॉक्टरों के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए शब्द तक नहीं हैं। पूरे इलाज के दौरान वे हमें हौसला देते रहे।
बेबी इमेन्युअल अब केन्या जा चुका है और अपने परिवार के साथ रह रहा है।