विश्व साक्षरता दिवस पर शिक्षकों को हिण्डालको महान ने किया सम्मानित

विद्यालय के प्राचार्य के इलाज के लिये दी 50 हजार रुपये की सहायता राशि

साक्षरता और शिक्षा दोनो साथ-साथ चले तभी सही भविष्य का निर्माण हो सकता है अभिप्राय केवल किताबी शिक्षा ही नही है बल्कि साक्षरता का अर्थ लोगों में उनके अधिकारो और कर्तव्यो के प्रति जागरुकता लाकर सामाजिक विकास का आधार बनाना है। साक्षरता गरीबी उन्मूलन, लिंग अनुपात सुधारने, भ्रष्टाचार और आंतकवाद से निपटने में सहायक और समर्थ है। आज विश्व मे साक्षरता दर सुधारनी जरुर है फिर भी शत-प्रतिषत से यह कोसो दूर है।

हिण्डालको महान शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिये अनवरत प्रयासरत है। ट्रांसफार्म सिगरौली के तहत हिण्हालको महान कई तरह से शिक्षा के बेहतरी के लिये प्रयास किया, उसी तारतम्य में हिण्डालको महान का सीएसआर विभाग ने मझिगवां आर एण्ड आर काॅलोनी मे संचालित सरस्वती शिशु मंदिर में विश्व साक्षरता दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें हिण्डालको महान परियोजना के मानव संसाधन प्रमुख बिश्वनाथ मुखर्जी, सीएसआर विभाग प्रमुख यसवंत कुमार के साथ-साथ सीएसआर विभाग से विजय वैश्य, धीेरेन्द्र तिवारी, बीरेन्द्र पाण्डेय, भोला वैष्य, प्रभाकर शामिल हुये, साथ ही विद्यालय के समस्त आचार बन्धु समेत आस-पास शासकीय विद्यालय के षिक्षकगण भी मौजुद रहे। कार्यक्रम का संचालन कर रहे बीरेन्द्र पाण्डेय ने बताया की भारत एक प्रगतिषील देष है, भारत का शैक्षिक इतिहास अत्यधिक समृृद्ध है।

प्राचीन काल में त्रृृषि‘-मुनियो द्वारा शिक्षा मौखिक रुप में दी जाती थी। षिक्षा का प्रसार वर्णमाला के विकास के पश्चात भोज पत्र और पेड़ो की छालो पर लिखित रुप में होने लगा इस कारण भारत में लिखित साहित्य का विकास तथा प्रसार होने लगा। देष में षिक्षा जन साधारण को बौद्ध धर्म के प्रचार के साथ-साथ उपलब्द्ध होने लगी। नालन्दा, विक्रमशिला और तक्षषिला जैसी विश्व प्रसिद्ध शिक्षा संस्थानो की स्थापना ने शिक्षा के प्रचार मे अहम भूमिका निभाई। भारत में अंग्रेजो के आगमन से युरोपीय मिषनरियो ने अंग्रेजी शिक्षा का प्रचार किया। इसके बाद से भारत में पष्चिमी पद्ध्ती का निरन्तर प्रसार हुआ है। वर्तमान समय में भारत में सभी विषयो के शिक्षण हेतु अनेक विष्वविद्यालय और उनसे जुड़े हजारो महाविद्यालय है।

सीएसआर प्रमुख यषवंत कुमार अपने उद्बोधन में कहा की स्वतंत्रता प्राप्ति के समय से ही देश के नेताओ ने साक्षरता बढ़ाने के लिये कार्य किये और कानुन बनाये पर जितना सुधार कागजो में हुआ उतना वास्तव में नही हो पाया। केरल को छोड़ दिया जाये तो देश के अन्य शहरो की हालत औसत है जिसमें मध्यप्रदेष में वर्तमान में साक्षरता दर 70 प्रतिषत के करीब है व सिंगरौली जिले में औसतन 62 प्रतिषत के करीब है वही बिहार और उत्तर प्रदेष में साक्षरता दर 70 फीसदी से भी कम ही है। स्वतंत्रता के समय वर्ष 1947 में देष की केवल 18 प्रतिषत आबादी ही साक्षर थी, बाद में वर्ष 2007 तक यह प्रतिषत बढ़कर 68 हो गयी और 2011 में यह बढ़कर 74 प्रतिषत हो गयी, लेकिन आज भी 100 प्रतिशत लक्ष्य से दुर है जो आज भी चिंता का विषय है.

हम पढ़ने वाले बच्चो की हर तरह की मदद करने के लिये तैयार है लेकिन उन्हे पूरे लगन से मेहनत करनी पड़ेगी जो बच्चा आज खेलने और फिल्में देखने में वक्त गुजार देगा उसका भविष्य अंधकारमय होना तय है, वही कार्यक्रम में हिण्डालको महान के मानव संसाधन प्रमुख बिषनाथ मुखर्जी ने शिक्षा को सफलता की कुंजी बताते हुये कहा कि शिक्षक भविष्य के निर्माता है और जीवन में जिससे भी ज्ञान मिले ग्रहण कर लेना चाहिये। ज्ञानियो की न तो जात होती न ही उम्र आवष्यक है। शिक्षा के आभाव में किसी कार्यक्रम का नियोजन सम्भव नही है, षिक्षा हमारे जीवन का आवश्यक अंग है, व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लिये शिक्षा अत्यंत आवष्यक है। वास्तव में निरक्षरता अंधेरे के समान है और साक्षरता प्रकाष के समान है अच्छा जीवन जीने के लिये लोगो का साक्षर होना जरुरी है।

जीवन में सफलता और बेहतर जीने के लिये भोजन की तरह ही साक्षरता भी महत्वपूर्ण है। साथ ही यह गरीबी उन्मूलन, बाल मृृत्यूदर को कम करने, जनसंख्या वृृद्धि को नियंत्रित करने, लैंगिक समानता की प्राप्ति आदि के लिये भी आवश्यक है। एक व्यक्ति का शिक्षित होना उसके स्वयं का विकास है वही एक बालिका शिक्षित होकर पूरे घर को संवार सकती है। जब देश का हर नागरिक साक्षर होगा तभी देश की तरक्की हो सकेगी। वही हिण्डालको महान के मानव संसाधन प्रमुख ने विद्यालय के प्रचार्य प्रभाकर मिश्रा को जिनका कुछ दिनो पूर्व बडोखर में भीषण वाहन दुर्घटना के षिकार हो गये थे, उनके इलाज के लिये 50 हजार रुपये/- की त्वरित आर्थिक सहायता का चेक विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य को देते हुये उनके सुखद स्वास्थ्य की कामना की, वही कार्यक्रम में आये हुये समस्त शिक्षकों को श्रीफल व साॅल देते हुये सम्मानित किया गया।

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