आईबीएम ने लड़कियों के लिए एसटीईएम शुरू करने के लिए बिहार सरकार के साथ एमओयू साइन किया

‘आईबीएम एसटीईएम फॉर गर्ल्स’ कार्यक्रम तीन जिलों के 30 उच्च माध्यमिक विद्यालयों में शुरू किया गया

पटना। आईबीएम (एनवाईएसई: आईबीएम) ने ‘आईबीएम एसटीईएम फॉर गर्ल्स’ कार्यक्रम शुरू करने के लिए बिहार सरकार के स्कूल एंड मास एजुकेशन डिपार्टमेंट के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत बिहार के तीन जिलों के 30 उच्च माध्यमिक विद्यालय में पढ़ने वाले करीब 13,000 छात्रों के विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) क्षेत्रों में कौशल और करियर को आगे बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे। आईबीएम और भारतीय राज्य सरकारों के बीच यह समझौता एसटीईएम करियर में लड़कियों और महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए शुरू किए गए तीन साल के कार्यक्रम का हिस्सा है।

क्लाउड और एआई जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के विकास के साथ भारत में एक योग्य कार्यबल की मांग तेजी से बढ़ रही है। ’आईबीएम एसटीईएम फॉर गर्ल्स’ कार्यक्रम में एक व्यापक दृष्टिकोण है, जो तकनीकी क्षमताओं के साथ-साथ जीवन और आत्म-बोध कौशल का निर्माण करता है।

‘एसटीईएम फॉर गर्ल्स’ मुख्य रूप से सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली लड़कियों को शिक्षा के जरिए करियर बनाने और काम हासिल करने में मदद देने के लिए आईबीएम कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व की पहल है। कार्यक्रम में डिजिटल साक्षरता, कोडिंग, प्रौद्योगिकी कौशल के साथ 21 वीं सदी के कौशल और करियर विकास में प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इस पहल का उद्देश्य लड़कियों को सक्षम बनाने के लिए एसटीईएम शिक्षा और करियर में उनकी रुचि बढ़ाना है।

बिहार राज्य परियोजना के निदेशक, आईएएस संजय सिंह ने कहा ‘’आज स्किल डेवलपमेंट कोई विकल्प नहीं बल्कि एक अनिवार्यता है। उभरती प्रौद्योगिकियां हर पेशे को प्रभावित कर रही हैं और भविष्य की नौकरियों को पूरी तरह से बदल देंगी। हम आईबीएम के साथ काम कर रहे हैं ताकि स्कूल के पाठ्यक्रम को नए समय की जरूरत के मुताबिक बनाकर विद्यार्थियों को भविष्य में सफल होने के लिए कौशल प्रदान किया जा सके।”

आईबीएम इंडिया प्रा लिमिटेड के कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी, प्रमुख मनोज बालाचंद्रन ने कहा, ‘अगर हम चाहते हैं कि भारत के युवा ग्लोबल इकोनॉमी में स्पर्धा करें तो उनके कौशल का विकास करना जरुरी है। बिहार सरकार के साथ मिलकर किया गया हमारा यह प्रयास छात्रों को बाजार में बदलाव और उद्योग की जरूरतों के साथ बेहतर तालमेल बनाने में मदद करेगा। आईबीएम छात्रों के सशक्तीकरण में सबसे आगे है और उन्हें भविष्य के लिए तैयार करने और प्रतिभावान युवाओं को बढ़ाने के लिए निवेश कर रहा है। ”

इस साल मार्च में, आईबीएम ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) क्षेत्रों में 200,000 (2 लाख) से अधिक छात्राओं के कौशल और करियर को आगे बढ़ाने के लिए भारत में एक महत्वपूर्ण जुड़ाव की घोषणा की। आईबीएम ने देश के कई राज्यों की सरकारों के साथ मिलकर काम करना शुरू किया है। इन राज्यों में फ़िलहाल कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, उड़ीसा, पंजाब शामिल है और कई अन्य राज्यों के साथ आगे इस तरह की साझेदारी (collaboration) करने की योजना है। यह कार्यक्रम आने वाले महीनों में देश भर के सैकड़ों और स्कूलों में शुरू किया जाएगा।

भारत में आईबीएम के नए कॉलर स्किलिंग इनिशीअटिव (पहल) में शामिल हैं:
1) कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के सहयोग से उभरती प्रौद्योगिकियों में दो साल का उन्नत डिप्लोमा कार्यक्रम, जो अगले तीन वर्षों में 50 औद्योगिक सभी महिला आईटीआई सहित 100 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के लिए उपलब्ध होगा। आईबीएम कुछ छात्रों को पांच महीने तक की इंटर्नशिप की पेशकश भी करेगा, जिससे उनके लिए क्लाउड और एआई जैसे उभरते क्षेत्रों में अपने कौशल और समझ को और गहरा करने का अवसर मिलेगा। वर्तमान में 40 आईटीआई को इस शैक्षणिक वर्ष में 2 वर्ष का डिप्लोमा कार्यक्रम शुरू करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

2) अटल टिंकरिंग लैब्स पहल के माध्यम से युवा इनोवेटर्स के लिए भारत सरकार के साथ आईबीएम की सहभागिता के कारण करीब 4,000 मेंटर्स और 600,000 विद्यार्थी एक अद्वितीय एआई- संचालित मेंटर प्लेटफॉर्म के जरिए लाभान्वित होंगे। आईबीएम वॉटसन कॉग्निटिव इंजन के साथ विकसित प्लेटफार्म मेंटर्स और स्टूडेंट्स की बातचीत की मॉनिटरिंग करता है ताकि उन्हें पर्सनलाइज्ड सपोर्ट उपलब्ध करवाया जा सकें। आईबीएम ने “नेशनल मेंटर ऑफ चेंज मिशन” के साथ मिलकर अब तक 300 आईबीएम कर्मचारियों सहित 2,500 मेंटर्स को इस प्लेटफॉर्म से जोड़ा है।

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