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जयकारों के साथ मराठी समाज ने निकाली दिण्डी यात्रा
इन्दौर. आषाढ़ी एकादशी पर सोमवार शाम को कृष्णपुरा छत्री पर वैसा ही श्रद्धा और भक्ति से भरा माहौल था, जैसा पंढरपुर (महाराष्ट्र) में दिखाई देता है. भक्तिगण गले में टाल, हाथों में ढपली, मृदंग और झांझ बजाते हुए रास्तेभर श्री हरी वि_ल और जय हरि वि_ल, ज्ञानबातुकाराम के जयघोष लगाते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे.
मौका था आषाढ़ी एकादशी पर समग्र मराठी समाज मप्र इंदूर द्वारा आयोजित दिंडी यात्रा का. दिंडी यात्रा में महिलाएं 16 हाथ की साड़ी पहने पारम्परिक गहनें पहनकर चल रही थी. वहीं पुरुष वर्ग सफेद रंग का कुर्ता पायजामा और सिर पर टोपी पहने पारंपरिक वैषभूषा में शामिल थे. यह जानकारी यात्रा संयोजक सुश्री विनीता धर्म और कमलेश नाचन ने दी. उन्होंने बताया कि भव्य दिंडी यात्रा में मल्हार मार्तण्ड मंदिर तिलकपथ (रामबाग) और बाराभाई से भी पालकी और झांकियां आई, जबकि राजेन्द्र नगर से तरुण मंच के युवक-युवतियां झांझ-मंजीरे के साथ बड़ी संख्या में शामिल हुए.
युवकों के सिर पर पीले रंग के साफे और हाथों में केसरिया ध्वज थे. युवतियां झांझ मंजिरे पर नृत्य करते हुए आगे बढ़ रही थी. संस्था के भूपेंद्र पराड़कर और प्रशांत बड़वे ने बताया कि कृष्णपुरा छत्री पर पहले पालकी यात्रा का पूजन अण्णा महाराज, रामचन्द्र अमृतफळे महाराज, प्रवीणनाथ महाराज, स्वामी ऐश्वर्यानंद सरस्वती, विवेक बर्वे गुरूजी, बापू मोतीवाले वाले महाराज, जनार्दन अग्निहोत्री महाराज, सुनिल शास्त्री (राजू दादा), दादू महाराज, बाबा साहेब तराणेकर, श्यामराव सालुंके, रामकोकजे गुरूजी (गोंदवलेधाम), भंते संघशील आदि संतों ने किया.
अतिथि स्वागत शरयू वाघमारे, सुधारी दांडेकर और शेखर किबे ने किया. कार्यक्रम में विधायक जीतू पटवारी, भाजपा नेता गोपी नेमा विशेष रूप से उपस्थित थे.
पाऊली भजन गाए
संस्था के चंद्रकांत कुंजीर, संजय शिंदे एवं शेखर किबे ने बताया कि दिंडी यात्रा कृष्णपुरा छत्री से शुरू होकर वीर सावरकर मार्केट, महालक्ष्मी मंदिर, आड़ा बाजार, यशवंत रोड से होते हुए पंढरीनाथ मंदिर पहुंची. भक्तों द्वारा चंद्रभागेच्या तिरी उभा मंदिरी तो पहा विठेवरी वि_ल वि_ल जय हरी दुमदुमली पंढरी, पांडुुरंग हरी तो पहा विठेवरी वि_ल वि_ल जय हरी … टाळ बाजे, मृदंग वाजे, हरीची वीणा,पाऊली तुकोबा निघाले पंढरपुरा… माझे माहेर पंढरी आहे भिवरेच्या तिरी… जैसे पाऊली भजन गाए गए. भजनों और उद्घोष से सारा वातावरण गूंज गया. दिंडी यात्रा का रास्तेभर क्षत्रिय धनगर सेवा संघ, क्षत्रिय मराठा समाज, क्षत्रिय सेनारी, सिंधी समाज, माली समाज, अहीर स्वर्णकार समाज आदि संस्थाओं एवं पूरे रास्ते में अनेक मंचों से फूलों की पंखुडिय़ां उड़ाकर किया गया. साथ ही पालकी का पूजन कर आरती उतारी गई। दिंडी यात्रा का समापन पंढरीनाथ मंदिर पर हुआ.
रास्तेभर लगे श्री हरि विट्ठल के जयघोष
श्री राजे क्षत्रिय मराठा संगठन, क्षत्रिय नवनिर्माण सेना एवं पाडुरंग भजन मंडल के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को शाम 4 बजे तिलक पथ स्थित श्री मल्हारी मार्तण्ड मंदिर से दिण्डी यात्रा निकाली गई. इस दिण्डी यात्रा में मराठा समाज के दस अधिस संगठन एकजुट होकर यह यात्रा निकालकर सभी समाजों को एकता की मिसाल भी पेश की। वहीं इस दिण्डी यात्रा में सभी समाज बंधु जयकारे भी लगाते हुए शोभायात्रा में चल रहे थे.
श्री राजे क्षत्रिय मराठा संगठन एवं क्षत्रिय मराठा नवनिर्माण सेना संजय शिंदे, चन्द्रकांत कुंजीर एवं भरतरी खंडागले ने जानकारी देते हुए बताया कि इस वर्ष दिण्डी यात्रा दस अधिक संगठनों ने एक साथ मिलकर निकाली. दिण्डी यात्रा तिलक पथ स्थित श्री मल्हारी मार्तण्ड मंदिर से अण्णा महाराज के सान्निध्य में निकाली गई। इस यात्रा में सभी समाज बंधु महाराष्ट्रीयन वेशभूषा में शामिल हुए. दिण्डी यात्रा में भगवान की पालकी, शिवाजी महाराज की झांकी, ढोल-ताशे, बैंड-बाजे एवं भजन मंडलियों के अलावा महिलाएं भी भजनों पर नाचते-झूमते शोभायात्रा के मार्ग में चल रही थी.
दिण्डी यात्रा तिलक पथ श्री मल्हारी मार्तण्ड मंदिर से महाआरती के पश्चात विभिन्न मार्गों से होते हुए तिलक पथ पहुंची जहां श्री मल्हारी मार्तण्ड मंदिर पर इस यात्रा का समापन हुआ. शहर में पहली बार 10 संगठनों द्वारा निकाली गई इस शोभायात्रा में सभी समाज बंधुओं ने स्वच्छता का संदेश भी दिया. दिण्डी यात्रा में श्री राजे क्षत्रिय मराठा, क्षत्रिय मराठा नवनिर्माण सेना, पांडूरंग भजूनी मण्डल, तरूण मंच, क्षत्रिय मराठा समाज, मराठी भाषी सोशल ग्रुप, विठु माउली भक्त मंडल, मराठा सेवा संघ, जिजाऊ ब्रिगेड एवं समस्त मराठी भाषी संगठन के पदाधिकारी एवं महिला, पुरूष, युवा शामिल थे। यात्रा में तरूण मंच के कलाकारों ने भी अपनी विशेष प्रस्तुतियां देकर शोभायात्रा के मार्ग में सभी का ध्यान आकर्षण किया।