गुरुवार को इन उपायों से पाएं शुभ फल

डॉ. श्रद्धा सोनी
गुरुवार श्री विष्णु जी व देवगुरु बृहस्पति जी का दिन है. कुंडली में यदि गुरू ग्रह अशुभ है या कमजोर है जो कुछ उपाय कर उसके दोष दूर किये जा सकते है. गुरु ग्रह के दोष और शांति हेतु गुरुवार को नीचे दिये उपाय करे :
यदि कुंडली में गुरू ग्रह नीच राशिगत हो पाप प्रभाव मे हो तो निम्न उपाय करे -:-
ग्रहों में गुरु ग्रह को सबसे बड़ा और प्रभावशाली माना जाता है. अगर कुंडली में गुरु ग्रह (बृहस्पति) उच्च भाव में और मजबूत होता तो इंसान बहुत प्रगति करता है. गुरु वैवाहिक जीवन व भाग्य का कारक ग्रह है.
गुरु ग्रह को मजबूत बनाने के लिए या फिर इस ग्रह के दोष कम करने के लिए कुछ आसान उपाय यहां बताए जा रहे हैं:
1. गुरु ग्रह के दोष कम करने के लिए गुरुवार का व्रत रखें, जिसमें पीले वस्त्र पहनें व बिना नमक का भोजन करें. भोजन में पीले रंग की चीजें जैसे बेसन के लड्डू, आम आदि शामिल करें.
2. गुरु बृहस्पति की प्रतिमा या फोटो को पीले वस्त्र पर विराजित करें. इसके बाद पंचोपचार से पूजा करें. पूजन में केसरिया चंदन, पीले चावल, पीले फूल व भोग में पीले पकवान या फल अर्पित करें और सच्चे मन से प्रभु की आरती करें.
3. गुरु मंत्र का जप करें. मंत्र- ‘ॐ बृं बृहस्पते नम:’. मंत्र जप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए.
4. गुरु से जुड़ी पीली वस्तुओं का दान करें. पीली वस्तु जैसे सोना, हल्दी, चने की दाल, आम (फल), केला आदि.
5. शिवजी को बेसन के लड्डू का भोग लगाएं.
6. इन उपायों से धन, संपत्ति, विवाह और भाग्य संबंधी बाधाएं दूर हो जाती हैं.

दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि हानि होती है । गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।
गुरुवार का दिन भगवान श्री हरि विष्णु भगवान का माना जाता है ।गुरुवार को शंख से भगवान विष्णु को स्नान करा के उन्हे पीले चन्दन का तिलक करके वस्त्र यज्ञोपवित , केसर और घी मिश्रित खीर का भोग लगाकर पूजा करने से भक्तो को विपुल धन-धान्य , समृद्धि, आरोग्य और दीर्घ आयु की प्राप्ति होती है ।

बृहस्पतिवार का पंचांग

विक्रम संवत् 2075
शक संवत – 1940
अयन – उत्तरायण
ऋतु – वर्षा ऋतु
मास -सावन माह
पक्ष – कृष्ण पक्ष
तिथि – पंचमी -11:32 तक तदुपरांत षष्ठी ।
तिथि का स्वामी –
पंचमी तिथि के स्वामी सर्पदेव (नागदेवता) है । विक्रम षष्ठी तिथि के स्वामी भगवान कार्तिकेय जी है ।
शास्त्रानुसार पंचमी तिथि को नाग देवता की पूजा करने से सर्प भय तथा कालसर्प दोष दूर होता है, इस दिन नाग देवता की पूजा करने से घर मे किसी की भी सर्पदंश से मृत्यु नही होती और अगर सर्पदंश से किसी की मृत्यु हो भी गई हो तो उसे मुक्ति प्राप्त होती है ।
पंचमी तिथि को पूर्णा तिथि कहते है , इस दिन संपन्न कार्य की सफलता की संभावना मे कोई संदेह नही रहता । व किया गया कार्य सिद्ध होता है । लेकिन पौष मास की पंचमी को कोई भी नया कार्य नही करे ।शास्त्रानूसार पंचमी तिथि को कटहल, खटाई और बिल्व निषेध है ।

आज सावन माह का पंचम दिवस है सावन माह मे शिवभक्ति कर शिवकृपा पाने का अनुठा अवसर है
नक्षत्र – ऊत्तर भाद्रपद 13:13 तक पश्चात रेवती ।
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- ऊत्तर भाद्रपद नक्षत्र के देवता अहिर्बुधन्य है । एवं रेवती नक्षत्र के देवता पूषा है ।
योग -सुकर्मा – 14:39 तक पश्चात धृति ।
प्रथम करण- तैतिल – 11:32 तक ।
द्वितीय करण – गर 23:54 तक ।
गुलिक काल – गुरुवार को शुभ गुलिक 9:00 से 10:30 बजे तक ।
दिशाशूल – गुरुवार को दक्षिण दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
राहुकाल दिन – 01:30 से 3:00तक।
सूर्योदय – प्रातः 05:42
सूर्यास्त – सायं 06:52
विशेष – पंचमी को बिल्व निषेध
पर्व त्यौहार-
मुहूर्त- पंचमी पूर्णा तिथि समस्त शुभ कार्यो के लिए सदा सर्वदा श्रेष्ठ है , लेकिन पंचमी को ऋण कतई न देवे ।
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण,आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन शुभ अत्यंत मंगल दायक हो ।

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