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सावन सोमवार: मनचाही नौकरी पाने के लिए अपनाएं ये उपाय, मिलेगी सफलता!
डॉ श्रद्धा सोनी
वैदिक ज्योतिषाचार्य
सावन में शिव की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। ज्योतिष के अनुसार सावन के सोमवार व्रत में शिव की आराधना सर्वोत्तम मानी गयी है। शिव पुराण के अनुसार कुछ विशेष बातों का ध्यान रखते हुए की गई शिव पूजा महान फल प्रदान करती है। शिवपुराण के अनुसार सावन के सोमवार व्रत में कुछ बातों के विशेष ध्यान रखना चाहिए।
सोमवार के व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए। दैनिक कार्यों से निवृत होकर नहा धोकर शुद्ध सफेद रंग के कपड़े पहनने चाहिए। भगवान शिव की पूजा यदि घर में करनी हो तो पूजा का स्थान साफ करके गंगाजल छिड़ककर शुद्ध कर लेना चाहिए।
इसके बाद शिव जी की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करके साफ आसन पर बैठ कर पूजा करनी चाहिए। घर में सिर्फ पारद या नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए।
बाहर मंदिर में पूजा करने जाना हो तो पूजा का सामान ढक कर ले जाना चाहिए। संभव हो तो मंदिर में भी शुद्ध आसन पर बैठ कर पूजा करनी चाहिए। पूजा करते समय आपका मुंह पूरब या उत्तर दिशा में होना चाहिए।
बिल्व पत्र- शिवलिंग पर या शिवजी को बिल्व पत्र अवश्य चढ़ाना चाहिए।
रुद्राक्ष- शिवलिंग या शिव जी को रुद्राक्ष अवश्य चढ़ाना चाहिए।
भस्म शिवलिंग पर या शिवजी को भस्म अवश्य अर्पित करनी चाहिए।
त्रिपुण्ड्र- शिवलिंग पर भस्म या अष्टगंध से त्रिपुण्ड्र अवश्य लगाना चाहिए।
मंत्र जप -“ॐ नमः शिवाय” का जप अवश्य करना चाहिए।
शिव पूजा की सामग्री …
जल, गंगा जल, गाय का दूध, दही, फूल, फूल माला, बेल पत्र, मधु, शक्कर, घी, कपूर,रुइ की बत्ती, प्लेट, कपडा, यज्ञोपवीत, सूपारी, इलायची, लौंग, पान का पत्ता, सफेद चंदन, धूप, दिया, धतुरा, भांग, जल पात्र (लोटा) ,चम्मच, नैवेद्य (मिठाई)।
मनचाही नौकरी के उपाय ….
माना जाता है कि सावन के हर सोमवार के दिन शिवलिंग पर साबुत चावल और दूध चढाने से मनचाही नौकरी पाने में सफलता मिलती है।
इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि सावन के पहले सोमवार को एक सफ़ेद कपड़े में थोड़े से काले चावल बांधकर माता काली के चरणों में चढ़ाएं, साथ ही अपना नाम बोले इससे भी रोजगार में सफलता मिलती है।
वहीं कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि एक नींबू को खड़ा खड़ा चार हिस्सों में काट लें, फिर शाम को किसी सुनसान चौराहे पर जाकर एक एक करके चारो दिशाओं में फ़ेंक दें, और बिना पीछे देखे वापस लौंट आयें, इससे भी मनचाही नौकरी मिलती है।
परिवार में सुख के लिए करें इस मंत्र का जाप…
ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्जवलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम!
या फिर ‘ओम् नम: शिवाय’ और ‘ओम् गं गणपतये नम:’ का जाप भी कर सकते हैं।
शिव पूजा विधि ….
शिव पूजा के लिए सबसे पहले पूजा के सामान को यथास्थान रखें। इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करके ताम्बे के बर्तन से शिवलिंग को जल से स्नान कराएं।
गंगा जल से स्नान कराएं। इसके बाद दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से स्नान कराएं। इनके मिश्रण से बनने वाले पंचामृत से भी स्नान करा सकते हैं।
इसके बाद सुगंध स्नान के लिए केसर के जल से स्नान कराएं। चन्दन आदि लगाएं।
फिर मौली, जनेऊ, वस्त्र आदि चढ़ाएँ। अब इत्र और पुष्प माला, बेलपत्र आदि चढ़ा दें। बेलपत्र 5, 11, 21, 51 आदि शुभ संख्या में ही चढाएं। बेलपत्र चढाने से रोगों से मुक्ति मिलती है।
आक और धतूरे के फूल चढ़ाएं। शिव जी को सफेद रंग अतिप्रिय है क्योंकि ये शुद्ध, सौम्य और सात्विक होता है। आक और धतूरा चढ़ाने से पुत्र का सुख मिलता है।
वाहन सुख के लिए चमेली का फूल चढ़ाएं, धन की प्राप्ति के लिए कमल का फूल, शंखपुष्पी या जूही का फूल चढ़ाएँ, विवाह के लिए बेला के फूल चढ़ाएं, मन की शांति के लिए शेफालिका के फूल चढाने चाहिए।
पारिवारिक कलह से मुक्ति के लिए पीला कनेर का फूल चढ़ाएं। शिव जी की पूजा करते समय आपकी भावना भगवान शिव जैसी शुद्ध और सात्विक होनी चाहिए। फिर धूप, दीप आदि जलाएं।
अब फल मिठाई आदि अर्पित कर भोग लगाएं।— इसके बाद पान, नारियल और दक्षिणा चढ़ाएँ। अब आरती करें। जय शिव ओमकारा ….!— आरती के बाद ‘क्षमा मंत्र’ बोलें। क्षमा मन्त्र इस प्रकार है- आवाहनं न जानामि, न जानामि तवार्चनम, पूजाश्चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर:”।
अपनी राशि के अनुसार सावन में इस तरह करें शिव की पूजा .
ऐसी मान्यता है कि प्रत्येक राशि वालेे अलग अलग तरह से शिव पूजन की विधि अपना सकते हैं । सावन में हर राशि का व्यक्ति शिव पूजन से पहले काले तिल जल में मिलाकर स्नान करे। शिव पूजा में कनेर, मौलसिरी और बेलपत्र जरुर चढ़ाए।
इसके अलावा किस राशि के व्यक्ति को किस पूजा सामग्री से शिव पूजा अधिक शुभ फल देती है…
- मेष : इस राशि के व्यक्ति जल में गुड़ मिलाकर शिव का अभिषेक करें। शक्कर या गुड़ की मीठी रोटी बनाकर शिव को भोग लगाएं। लाल चंदन व कनेर के फूल चढ़ावें।
- वृष : इस राशि वालों को अपनी राशि के स्वामी शुक्र की वस्तु से शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। दूध में चीनी मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें और श्रीखंड चंदन से शिव का तिलक करें। इससे यश की प्राप्ति होती है। अक्षत यानी बिना टूटे हुए चावल अर्पित करें।
- मिथुन : इस राशि का व्यक्ति गन्ने के रस से शिव का अभिषेक करे। अन्य पूजा सामग्री में मूंग, दुर्वा और कुशा भी अर्पित करें।
- कर्क : चन्द्रमा की राशि वालों को शिव जी को खुश करने के लिए कच्चे दूध से शिव जी को स्नान करना चाहिए इसके बाद शिवलिंग पर घी मलें। सफेद फूल, चावल अर्पित करें।
- सिंह: सिंह राशि के व्यक्ति गुड़ के जल से शिव का अभिषेक करें। वह गुड़ और चावल से बनी खीर का भोग शिव को लगाएं। मदार के फूल भी चढ़ाएं।
- कन्या : मिथुन के समान कन्या राशि का स्वामी भी बुध है अतः इस राशि वालों को भी मिथुन राशि वालों की तरह ही मूंग और दूर्वा अर्पित करके शिव की पूजा करनी चाहिए। दूध में भांग मिलाकर शिव जी का अभिषेक करें।
- तुला : इस राशि के जातक इत्र या सुगंधित तेल से शिव का अभिषेक करें और दही, शहद और श्रीखंड का प्रसाद चढ़ाएं। सफेद फूल भी पूजा में शिव को अर्पित करें।
- वृश्चिक : इस राशि के व्यक्तियों को भी मेष राशि वालों की तरह दूध में गुड़ मिलाकर शिव जी का अभिषेक करना चाहिए। शिव को लाल चंदन और लाल फूल अर्पित करके बूंदी के लड्डू का भोग लगाना चाहिए।
- धनु : इस राशि के जातक दूध में हल्दी मिलाकर शिव का अभिषेक करें। भगवान को चने के आटे और मिश्री से मिठाई तैयार कर भोग लगाएं। पीले या गेंदे के फूल पूजा में अर्पित करें।
- मकर : शनि की इस राशि वालों को शिव की कृपा पाने के लिए जल में तिल मिलाकर शिव जी का अभिषेक करना चाहिए। शिव जी को नीला फूल और तिल का लड्डू अर्पित करें।
- कुंभ: इस राशि के व्यक्ति को तिल के तेल से अभिषेक करना चाहिए। उड़द से बनी मिठाई का भोग लगाएं और शमी के फूल पूजा में अर्पित करें। यह शनि पीड़ा को भी कम करता है।
- मीन राशिः इस राशि के स्वामी भी गुरू हैं। इस राशि के व्यक्तियों को दूध अथवा गंगाजल में हल्दी मिलाकर शिव जी का अभिषेक करना चाहिए। भगवान शिव को पीला चंदन और पीला फूल अर्पित करके पीले रंग की मिठाईयों का भोग लगाएं।
सावन मास की महिमा…
सावन का महीना हर किसी के लिए फलदायी सिद्ध होता है। भगवान शंकर ने स्वयं अपने श्रीमुख से ब्रह्मा के मानस पुत्र सनत कुमार को सावन मास की महिमा के बारे में इस प्रकार बताया था। बताया कि मेरे तीन नेत्रों में सूर्य दाहिने, चंद्र वाम नेत्र तथा अग्नि मध्य नेत्र हैं। चंद्रमा की राशि कर्क और सूर्य की सिंह है।
जब सूर्य कर्क से सिंह राशि तक की यात्रा करते हैं, तो ये दोनों संक्रांतियां अत्यंत पुण्य फलदायी होती हैं और यह पुण्यकाल सावन के महीने में ही होता है अर्थात ये दोनों ही संक्रांतियां सावन में ही आती हैं। अतः सावन मास मुझे अधिक प्रिय है।
पौराणिक मान्यताओं में भगवान शंकर की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन महाशिवरात्रि, उसके बाद सावन के महीने में आनेवाला प्रत्येक सोमवार, फिर हर महीने आनेवाली शिवरात्रि और सोमवार का महत्व है, किंतु भगवान को सावन यानी श्रावण का महीना बेहद प्रिय है।
ऐसी मान्यता है कि इस महीने में खासकर सोमवार के दिन व्रत-उपवास और पूजा पाठ रुद्राभिषेक, कवच, पाठ, जाप इत्यादि से विशेष लाभ होता है।