प्री-कॉन्फ्रेंस कोर्सेज में कठिन सर्जरीज़ का दिया लाइव डेमो

इंदौर. शहर में 42 वर्षों बाद ब्रिलिएंट कन्वेंशन सेंटर में 18 से 20  जनवरी तक 72 वीं इंडियन डेंटल कॉन्फ्रेंस होने जा रही है. तीन दिन तक चलने वाली इस कॉन्फ्रेंस में भाग लेने के लिए देश और विदेश से 3500 डेलीगेट्स और 2000 से अधिक पीजी स्टूडेंट्स भाग लेने आएंगे. गुरुवार को प्री-कॉन्फ्रेंस कोर्सेज में कई कठिन सर्जरीज़ का लाइव डेमो दिया गया.

कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ देशराज जैन और सचिव डॉ. मनीष वर्मा ने बताया कि इस दौरान ब्रिलिएंट कन्वेंशन सेंटर के सभी कॉन्फ्रेंस हॉल्स में सेशन चलेंगे. बाहर लगा ट्रेड फेयर भी आकर्षण का केंद्र होगा, जिसमें लोग मेले की तरह घूमते हुए फुल डेन्चर और दांत बनते हुए देख पाएंगे. प्री वर्कशॉप कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ गुरुवार को हुआ जिसमें देवी अहिल्याबाई विशव विद्यालय के पूर्व कुलपति वी.सी. छपरवाल मुख्य अतिथि थे.

श्री छपरवाल ने कहा तीन लाख पर एक डेंटिस्ट है जबकि विदेशो में यह आंकड़ा एक हजार पे एक डेंटिस्ट का है. अभी भी जरूरी है की स्टूडेंट्स आगे आए और डेंटिस्ट्री के महत्व को समझें. आईडीए के अध्यक्ष दीपक माखीजानी ने कहा कि, यह कांफ्रेंस दंत चिकित्सकों का महाकुंभ है. इंडियन डेंटिंस्ट से आप और हम अक्सर मिलते ही रहते हैं मगर यह पहला मौका होगा जब देश-विदेश में डेंटिस्ट के क्षेत्र में होने वाली नई खोजों के बारे में भी हम सभी को जानने को मिलेगा.

साइंटिफिक सेशन के चैयरमैन डॉ राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि, दंत चिकित्सा के क्षेत्र में भी ईलाज की कई तरह की चुनौतियां होती हैं मगर अब इन्हें भी बेहतर ढंग से किए जाने पर इस कांफ्रेंस में बात हो सकेगी।

अकल दाढ़ की समस्या पर हुई बातदिल्ली से आए डॉ धीरेंद्र श्रीवास्तव ने शासकीय डेंटल कॉलेज में अकल दाढ़ की समस्याओं और इसकी सर्जरी को आसान बनाने के तरीकों पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि पिछले 50-60 सालों में आदमी के जबड़ों की बनावट भी छोटी होती जा रही है। इस कारण 18 साल के बाद आने वाली अकल दाढ़ के लिए मुंह में जगह ही नहीं होती है. यही कारण है कि यह पहले से ज्यादा तकलीफ देती है। हमारे पास रोजाना ही एक ओपीडी में 6-7 केस अकल दाढ़ से संबंधित ही होते हैं. तभी तो आज हमने इसे आसान ढंग से निकालना सिखाया है.

कांफ्रेंस के दूसरे हिस्से में फुल डेंचर के उपयोग और कठिन केसेस में डेंचर फीट करने की ट्रेनिंग दी गई। कॉलेज के डीन डॉ देशराज जैन ने बताया कि नई पीढ़ी को लगता है कि इम्प्लांट का महत्व ज्यादा है। मगर इस सेशन के जरिए हमने बताया कि फुल डेंचर भी इतना ही महत्वपूर्ण है।

6 सेशन में डेंटन की हर समस्या पर हुई चर्चा

आईडीए के सचिव डॉ अशोक घोबले और मीडिया कोर्डिनेटर डॉ पल्लव पाटनी ने बताया कि प्री कॉन्फ्रेंस कोर्स में 800 डेलीगेट्स और स्टूडेंट्स ने हिस्सा लिया। ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में प्री कांफ्रेंस कोर्स के दौरान 6 सेशन हुए। पहले सेशन में यूएसए से आए डॉ रॉबर्ट क्रिस्टिन ने जबड़े के ज्वाइंट से संबंधित जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दांत, मसल्स और ज्वाइंट मिलकर एक सिस्टम तैयार करते हैं। इन तीनों में से कुछ भी डिस्टर्ब होने पर व्यक्ति परेशान होता है। यह सिस्टम काम नहीं करता है। उन्होंने सिस्टम की वर्किंग के बारे में बताया.

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