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एड्स मरीजों के प्रति समाज की हीनभावना भी उन्हें और बनाती है कमजोर
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विश्व एड्स दिवस पर आयुष समृद्धि इंरनेशनल वेबिनार का आयोजन
इन्दौर। आयुष समृद्धि इंरनेशनल वेबिनार आयोजित किया गया जिसमें विभिन्न आयुष चिकित्सा पद्धतियों के आयुष डाॅक्टर डाॅ. जयप्रकाश नारायणन (चेन्नई), डाॅ. स्वागत एन. (आगरा), डाॅ. जियाउर रहमान शेख (इलाहाबाद) एवं डाॅ. ए.के. द्विवेदी (इन्दौर) ने अपनी बात रखी। आज विश्व एड्स दिवस पर एड्स में आयुष चिकित्सा पद्धतियों की भूमिका पर इंटरनेशनल रिसर्च इथिक्स सोसायटी द्वारा आयुष चिकित्सा अन्तर्गत आयुर्वेद, सिद्धा तथा होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति की विभिन्न उपलब्धियों पर विस्तृत में चर्चा की गई।
म.प्र. के प्रसिद्ध होम्योपैथिक चिकित्सक तथा केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसन्धान परिषद्, आयुष मंत्रालय भारत सरकार में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डाॅ. ए.के. द्विवेदी ने बताया कि, एड्स के मरीजों की इम्युनिटी कमजोर हो जाती है, इम्युनिटी बढ़ाने के लिए सबसे उपयुक्त चिकित्सा प्रणाली है होम्योपैथी। आपने बताया कि, पिछले 20-25 वर्षों में कई सारे एड्स के मरीज आये जो पूर्व में शासकीय अस्पताल द्वारा दी जा रही दवाईयों के बाद भी उनकी समस्यायें ठीक नहीं होती थी। उनकी मुख्य समस्या बार-बार स्टूल होना, बार-बार लूज मोशन होती थी। ऐसे मरीजों ने जब होम्योपैथी ट्रीटमेंट लेना चालू किया तब लगभग चार से छः महीने में उन्हें आराम लगने लगा और बारह-पन्द्रह बार लूज जाने के बजाय अब उन्हें दिन में मात्र दो या तीन बार ही जाना पड़ता है।
आपने बताया कि, ऐसे भी मरीज आये जिनकी बार-बार की खाँसी ठीक नहीं होती थी, सर्दी ठीक नहीं होती थी, जब उन्होंने लगभग चारःछः महीने तक लगातार होम्योपैथिक दवा का सेवन किया तो उन्हें सर्दी-खाँसी होना ही बन्द हो गया। एड्स के मरीजों में एक और कठिन समस्या वजन कम होना या कमजोरी लगना।
डाॅ. द्विवेदी बताते हैं कि, काफी सारे मरीज जिनका काफी वजन कम हो गया या जिनको जरूरत से ज्यादा कमजोरी लगती, उसमें होम्योपैथिक दवाई से उनका वजन भी बेहतर किया और कमजोरी लगना भी बन्द हो गया। डाॅ. द्विवेदी ने बताया कि, ऐसे लोग जो सोषल स्टिगमा या डर के बतौर लेते हैं, जिन्हें एड्स हो जाता है, वे सोसायटी से अलग हो जाते हैं, घर परिवार के सदस्य भी उन्हें अलग दृष्टिकोंण से देखते हैं तो उन्हें जो सोशल स्टिगमा होता है या डर (फियर) से भी बचाने के लिए भी होम्योपैथिक दवाईयों ने काफी अच्छा आराम दिलाया।
आज इस आयुष के प्लेटफाॅर्म पर कोरोना कोरोना के बदलते वेरिएंट ओमिक्रान पर भी चर्चा हुई और सभी चिकित्सकों ने एकसाथ जुटकर ओमिक्रान या जितने भी बदलते कोविड वेरिएंट होंगे, उससे मजबूती से लड़कर जीत हासिल करने में एकजुटता दिखाई। डाॅ. द्विवेदी का मानना है कि, आर्सेनिक एल्बम बतौर होम्योपैथिक मेडिसीन ओमिक्रान या बदलते हुए डिफरेंट ट्रेंस को भी कन्ट्रोल करने में सफल साबित अवष्य होगी। ऐसे लोग जिन्हें अभी भी वैक्सीन नहीं लगी हुई है उन्हें होम्योपैथिक दवाईयों का सेवन अवष्य करना ही चाहिए।