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पेड़ों को आधुनिक मशीन से कर रहे ट्रांसप्लांट
निजी कंपनी ने अपने प्रोजेक्ट में की पहल
इंदौर. आमतौर पर किसी भी प्रोजेक्ट या विकास कार्यों के लिए हरे-भरे पेड़ों की बलि दे दी जाती है. इसके कारण पेड़ तो नष्ट होता ही है, पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है. पर्यावरण को क्षति न पहुंचे और प्रोजेक्ट भी पूरा हो ऐसी अनुकरणीय पहल एक निजी कंपनी ने की है. यह कंपनी बिजली की ट्रांसमिशन लाइन के रास्ते में आ रहे पेड़ों को काटने के बजाए आधुनिक मशीन से दूसरे स्थान पर ट्रांसप्लांट करवा रही है. इस तरह के काम अभी तक विदेशों में भी देखने को मिले हैं.
स्टरलाइट पावर नाम की इस कंपनी ने विद्युत संप्रेषण परियोजनाओं (पावर ट्रांसमिशन प्रोजेक्ट्स) का निर्माण करते हुये अधिक हरित इको-सिस्टम को बढ़ावा देने की एक पहल शुरू की है. कंपनी ने एक ट्री ट्रांसलोकेशन प्रोजेक्ट को लॉन्च किया है, जिसके द्वारा बड़े और परिपक्व हो चुके जिंदा पेड़ों को 500 मीटर के अंदर स्थानांतरित किया जायेगा. इस परियोजना से पेड़ों के गिरने की घटनाओं में लगभग 40 प्रतिशत की गिरावट आएगी.
इस पहल के शुरूआती चरण को इंदौर में इसके खरगोन ट्रांसमिशन प्रोजेक्ट (केटीएल) के हिस्से के रूप में शुरू किया गया है. 189 किमी का केटीएल प्रोजेक्ट इंदौर को खंडवा के 1320 मेगावॉट के थर्मल पावर के साथ जोड़ेगा. इस परियोजना से घरेलू, व्यावसायिक, कृषि और औद्योगिक सेगमेंट्स को फायदा होगा. इस प्रोजेक्ट यह लाइन खंडवा, खरगोन, धुले होते हुए इंदौर आ रही है. इसमें इंदौर में लगभग 150 पेड़ आ रहे हैं जिसे कंपनी आधुनिक मशीन से ट्रांसप्लांट करवा रही है. यह मशीन भारत में अभी गिनती की है. इस तरह का प्रदेश में संभवत: यह पहला मामला है.
कंपनी ने कंपेल में आधुनिक मशीन की मदद से आंवले के पेड़ का ट्रांसप्लांट महज 30 मिनटों में बड़ी ही आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर कर दिया. कम्यूनिकेशन हेड बालाजी कृष्णस्वामी ने बताया कि ट्री ट्रांसप्लांटेशन से बड़ी स्तर की परियोजनाओं को बिना पेड़ों की कटाई किये निर्माण करने में मदद मिलती है. बड़े जीवित पेड़ हमें ढेरों लाभ देते हैं और इसलिये उन्हें जीवित बचाये रखना बेहद जरूरी है.
तीन महीने करते हैं देखरेखकपंनी के प्रोज्कट हेड बीके सिंह ने बताया कि पेड़ को ट्रांसप्लांट करने के पहले हम उसकी भलीभांति जांच करते हैं. उसके बाद ही उसे दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है. इस दौरान उसे लगाने के साथ ही मशीन उसमें केमिकल भी छोड़ती है जो उसे बचाने में मददगार होते हैं. अगर पेड़ में कुछ बीमारी है तो उसे ट्रांसप्लांट नहीं करते हैं. ट्रांसप्लांट होने के बाद हम उसकी तीन महीने तक देखरेख करते हैं ताकि वह पहले जैसा ही रहे.
उन्होंने बताया कि स्टरलाइट पावर ने सर्वाधिक पर्यावरणीय रूप से हितैषी तरीके से अपनी परियोजनाओं को लागू कर एक सामाजिक प्रभाव उत्पन्न करने के लिये काम किया है. ट्री ट्रांसलोकेशन प्रोजेक्ट हरित आवास को बढ़ावा देने के लिये अपना योगदान करने का हमारा तरीका है. हमें पूरा भरोसा है कि यह पहल एक मिसाल कायम करेगी.