आने वाले कुछ वर्षाें में इस देश में परिवहन क्रांति आएगीः गडकरी

आईएमए की 29 वीं इंटरनेशनल मैनेजमेंट काॅनक्लेव संपन्न

‘5 ट्रिलियन इकाेनाॅमी: विजन टू रियलिटी’ विषय पर देश भर के
विशेषज्ञाें ने रखी बात

इंदाैर। इंदाैर मैनेजमेंट एसाेसिएशन द्वारा अायाेजित काॅनक्लेव का दूसरा दिन अध्यात्म, याेग, प्रबंधन मंथन, अर्थशास्त्र की बारीकियाें पर बात करने के साथ शुरू हुअा। अभय प्रशाल में अायाेजित समाराेह में दूसरे दिन के कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए पूर्व अध्यक्ष संतोष मुछाल ने सभी अतिथियाें का स्वागत किया अाैर फिर विचार मंथन अाैर संबाेधन का दाैर शुरू
हुअा।

याेग से हाेगा तनाव की समस्या का समाधान
अार्इएमए इंटरनेशनल काॅनक्लेव के दूसरे दिन रामकृष्ण आश्रम राजकोट के स्वामी निखिलेश्वरनदा ने “भविष्य के नेतृत्व के लिए सामाजिक पूंजी की आवश्यकता” विषय पर संबोधित करते हुए आध्यात्मिक शुरुआत की। आभार व्यक्त करते हुए उन्हाेंने कहा कि मेरा दृढ़ विश्वास है कि भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करने की कगार पर है। उन्होंने कहा कि हम जो कुछ भी हासिल करते हैं वह एक अवसर की लागत पर आता है और यह दृष्टि जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में प्रचलित वर्तमान शैलियों से नेतृत्व शैली को भारतीय शैली में ‘सर्वेंट स्टाइल’ लीडरशिप के रूप में जाना जाए। आज के समय में लाेग काम के अपमान, तनाव और सभी समस्याओं के कारण कितना परेशान और उदास हाेते हैं। इसका एक समाधान याेग है अाैर इसका जन्म भारत में ही हुअा था। प्रबंधन की समग्र शैली को विकसित कर सहकर्मी को खुश रख सकता है। जो धनाेपार्जन अाैर जीवन का मुख्य हिस्सा है। उन्होंने बताया कि विश्व की 73% पूंजी कुछ व्यक्तियों के हाथों में है। हमें इस अंतर को कम करने की जरूरत है। भारत को उन उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा में काम करने की जरुरत है जो राष्ट्र को भविष्य की अाेर ले जाए अाैर 5 ट्रिलियन इकाॅनाेमी काे वास्तविकता में परिवर्तित करने में कारगर साबित हाे।

अाज हम जाे भी हैं कल की मेहनत अाैर प्रयासाें से हैं
इंडिया टीवी के चेयरमैन अाैर एडिटर इन चीफ श्री रजत शर्मा ने मंच पर अाकर अपने जीवन के अनुभव साझा किए। वे एक ऐसे शख्स हैं जाे भीड़ में रहने के बावजूद भीड़ से अलग हाेकर खास बने। उन्होंने अपने जीवन में गरीबी और संसाधनों की कमी को बहुत करीब से देखा है। अपने पूरे जीवन में कर्इ पीड़ाअाें काे सहन किया। वे ऐसे घर में रहते थे, जहां दाे लाेग भी बमुश्किल रह पाते हैं। दूसरी सुविधाएं ताे दूर पढ़ार्इ करने के ‘संसाधन भी नहीं थे। इन सभी के बावजूद इंडिया टीवी जैसे नाम काे शुरू करना अाैर स्थापित करना बड़ी चुनाैती अाैर संघर्ष से कम नहीं था। यह पूरी कहानी काफी प्रेरणादायक थी। उन्हाेंने लोकप्रिय शो ‘आप की अदालत’ मे बारे में भी बताया। उन्होंने ‘नाे बडी’ से लेकर ‘सम बडी’ बनने तक के सभी पहलुअाें पर खुलकर चर्चा की। उन्होंने सीख दी कि आज हम जो कुछ भी हैं, वह बीते हुए कल की कड़ी मेहनत और प्रयासों की वजह से हैं। उन्हाेंने यह भी कहा कि ‘यदि आप गरीब हैं तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। राष्ट्र आपको महान बनने का मौका देगा। यह आप पर निर्भर करता है कि आप उस क्षण में भी कितने अच्छे
बने रह सकते हैं’।

लागत में कटाैती ही सफलता की कुंजी
भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री भी यहां विशेष वक्ता के रूप में उपस्थित हुए। श्री गडकरी ने “गवर्नमेंट पाॅलिसी इनेबर फाॅर 5 ट्रिलियन इकाॅनाेमी’ विषय पर संबाेधित करते हुए कहा कि सरकारी नीतियां 5 ट्रिलियन इकाॅनाेमी की दृष्टि अाैर कल्पना काे संबल देने वाली हैं। उन्हाेंने काे कि अाज जाे विचार या याेजनाएं हम अाज सुनते हैं वाे अाने वाले वर्षाें में लागू हाेंगी। उन्हाेंने कहा कि अाने वाले कुछ वर्षाें में इस देश में परिवहन क्रांति आएगी। मैंने अब तक 1700000 करोड़ की सड़क परियोजनाअाें पर काम किया है अाैर आने वाले कुछ वर्षों में अाैर भी हाेंगी। परिवहन का स्वरूप पूरी तरह बदल जाएगा अाैर यह अधिक आर्थिक विकास और सतत विकास के उद्देश्यों काे पूरा करने में भूमिका निभाएगा। उन्होंने लागत में कटौती करना सफलता की कुंजी बताया अाैर कहा कि वे खुद कैसे हर एक परियोजना में हजारों कराेड़ रुपए बचाने की दिशा में काम करते हैं। दरअसल यह एक अादत है जिसे ‘जिद’ कहा जाता है। उन्हाेंने कहा कि अगर हमने कुछ सोचा है ताे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह कितना मुश्किल है या कितना असंभव है। अगर यह आपके दिमाग में है तो ऐसा हो सकता है। उन्होंने कहा कि देश को लीडर्स द्वारा चलाया जाना चाहिए, न कि मालिकों द्वारा। लागत में कटौती, नवाचार, उद्यमी, नेतृत्व और दृढ़ संकल्प। जहां तक सड़कों और परिवहन का सवाल है, मैं अभी भी अपनी मातृभूमि की जरूरत के लिए काम करने के लिए माैजूद हूं। मुझे मातृभूमि अाैर समाज की भलार्इ की दिशा में काेर्इ प्रयाेग करने पर अालाेचना का कतर्इ डर नहीं है।

डिजिटल क्रेडिट कार्ड देने की जरुरत
एनीटाइम.इन के सह संस्थापक अाैर सीर्इअाे कीर्थी कुमार जैन ने 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के विषय पर संबाेधित करते हुए उन परियोजनाओं पर भी बात की जिन पर वे काम कर रहे हैं। फिनटेक, इंश्योरटेक और वेल्थटेक की जानकारी देते हुए उन्हाेंने कहा कि जीडीपी को 1 ट्रिलियन बढ़ाने के लिए इन्हें मिलाने की जरुरत है। उन्होंने पूरी तरह एक याेजना लागू करने अाैर लोगों
को डिजिटल क्रेडिट कार्ड देने की याेजना का सुझाव भी दिया जैसे लोग पेटीएम का उपयोग करते हैं। उन्हाेंने युवाअाें काे संदेश दिया कि पैसे का मूल्य तभी है जब इसे निवेश किया जाए अन्यथा यह बेकार है। उन्हाेंने कहा कि युवा आज में रहें और आने वाली पीढ़ियों के लिए भौतिकवादी चीजों को बचाने के बारे में सोचना बंद कर दें। उन्होंने अपने पंचामृत मॉडल का उपयोग करने के लिए कहा, जिसमें खाद्य, जल, सहायता, विचार और धन शामिल है। उन्हाेंने यह भी कहा कि अगर इन कारकों का उपयोग क्षमता के लिए किया जाता है तो भारत अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए दूर नहीं है और वह महाशक्ति बन जाएगा जिसके लिए हमारे पास एक दृष्टिकोण है।

जीडीपी में बढ़ेगा विमानन का याेगदान
यूनाइटेड एयरलाइन इंडिया के राष्ट्रीय प्रबंधक हरविंदर सिंह ने “प्रिपरेशन अाॅफ एविएशन एंड लाॅजिस्टिक्स इंडस्ट्रीज फाॅर 5 ट्रिलियन इकाॅनाेमी’ पर बात करते हुए कहा कि “जल्द ही हवाई चप्पल में हवाई अड्डे पर चलने वाला एक व्यक्ति भी एक विमान से यात्रा करने में सक्षम होगा।”
उन्होंने बताया कि एयरलाइन उद्योग कितना सस्ता हो गया है और इसमें कितना सस्ता काम करने की काेशिश कीजा रही है। उन्हाेंने भारत में पर्यटन उद्योग के बारे में दिल्ली, बॉम्बे, आगरा और आदि जैसे कुछ शहरों पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही। उन्हाेंने बताया कि हवाई मार्गों के विस्तार से जीडीपी में बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। एविएशन एंड टूरिज्म एक साथ संयुक्त हाेकर सबसे अच्छे आगामी उद्योग में से एक हो सकता है। भारत में विमानन जीडीपी में 2.4% के आसपास योगदान देता है और आगामी वर्षों में यह और बढ़ेगा। विमानन और पर्यटन मैनपाॅवर काे जन्म देगा जो भारत को नॉलेज हब बनाएगा। जब वह पूरी दुनिया में काम कर रहे हैं, तो हम देख सकते हैं कि बाकी देश किस तरह भारत का इंतजार कर रहे हैं ताकि अागामी वर्षाें में सतत
विकास हो सके। उन्होंने छोटी-छोटी बातों पर गंभीरता दिखाते हुए दैनिक जीवन की जाने वाली में चिंताअाें के बारे में चर्चा की अाैर सहज याेग की अनुशंसा भी की। जैसे कॉरपोरेट अवसाद के कारण खुश नहीं हैं और यह ट्रिलियन लक्ष्य तक पहुंचने में पिछड़ने का कारण बन सकता है। इसलिए इसे ध्यान में रखा जाना चाहिए।

निवेश शुरू करने अाैर मांग पैदा करने की जरुरत

चाैथे सत्र में संबाेधित करते हुए भारतीय स्टेट बैंक के प्रबंध निदेशक पीके गुप्ता ने ‘डिजिटल टेक्नाेलाॅजी: ए ट्रिलियिन अपाॅर्चुनिटी’ विषय पर बात की। उन्होंने कहा कि डिजिटलकरण और बड़े कॉर्पोरेट जीडीपी विकास को गति देने में मदद करते हैं। लेकिन अर्थव्यवस्था में विनिर्माण क्षेत्र के
संदर्भ में विकास की आवश्यकता है और देश को निवेश शुरू करने और मांग पैदा करने की जरुरत है। निजी निवेश को सार्वजनिक सरकारी निवेश के साथ होना चाहिए और वैश्विक कंपनियों के योगदान की भी कुछ सेक्टर को उन्हाेंने “सुपरस्टार” कहा जो ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स, फूड, रिन्यूअल, इंफ्रास्ट्रक्चर, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग है।

श्री दिलीप गौड़ (प्रबंध निदेशक, गार्सिम इंडिया लिमिटेड और हेड, ग्लोबल पल्प एंड फाइबर बिजनेस, अादित्य बिरला ग्रुप ) ने कहा कि कंज्यूमर स्टिकनेस पर अधिक अपेक्षाएं हैं। उन्होंने बताया कि देश को लागत, संस्कृति, व्यापार संधि पर ध्यान देने की आवश्यकता है। अाने वाले समय में कल के लीडर्स काे ‘गरूड़ विजन’ की जरुरत हाेगी।

कुछ भी शुरू करने से पहले जरूरी है खुश रहें
पांचवें सत्र में अार्ट अाॅफ लिविंग के ऋषि नित्य प्रज्ञ ने संबाेधित किया। चेतना की शक्ति के माध्यम से अनंत की खोज विषय पर बाेलते हुए उन्हाेंने कर्इ अनछुए पहलुअाें की अाेर इशारा किया। उन्हाेंने बताया कि कुछ भी करने से पहले जरूरी हैं कि खुश रहें। इसके बाद उन्हाेंने संगीतमय प्रस्तुति दी। इनके बाद श्री महेंद्र कुमार चौहान (अध्यक्ष, महेंद्र एंड यंग नॉलेज फाउंडेशन) ने अपनी बात रखी। उन्हाेंने लीडरशिप की जानकारी देते हुए कहा कि सीईओ, सीएफओ और प्रमुख शीर्ष प्रबंधन खिलाड़ी शामिल होते हैं और अंतिम रूप से साेशल लीडर्स ही समाज में बदलाव लाने वाले होते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि इन सभी लीडर्स काे अर्थव्यवस्था की बेहतरी की
दिशा में काम करना चाहिए। मूल उद्देश्य लक्ष्य की प्राप्ति हाेना चाहिए न कि व्यक्तिगत स्पर्धा अाैर अपना एजेंडा। भारत को अपनी वैश्विक रैंकिंग पर काम करने और वैश्विक समृद्धि के साथ-साथ राष्ट्रीय समृद्धि के साथ काम करने की आवश्यकता है।

घाेड़ा वहीं जाता है जहां याेद्धा चाहता है
लेफ्टिनेंट जनरल पीजीएस पन्नू (डिप्टी चीफ अाॅफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ अाॅपरेशन्स) ने ‘डिफेंस सेक्टर कंट्रीब्यूशन टू 5 ट्रिलियन इकाॅनाेमी’ विषय पर बात करते हुए उन्हाेंने कहा कि भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना है। हमारे पास भारत में कई अनुसंधान अाैर विकास केंद्र हैं। 70 प्रतिशत हम हम आयात करते हैं। ऐसी स्थिति में हमें रक्षा निर्यातक बनने की जरूरत है। उन्होंने अपनी शक्ति, जनशक्ति, शक्ति, उपकरण द्वारा रक्षा का समर्थन, सूचना, खुफिया, एकीकरण, नवाचार, निवेश अादि के बारे में भी बात की। उन्हाेंने कहा कि घाेड़ा वहां जाता है जहां योद्धा चाहता है। इसका मतलब है कि सही संचार और उद्देश्य हमें सफल बनाता है और इससे लक्ष्य
हासिल करने में मदद मिलती है।

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