- इंदौर एनिमल लिबरेशन की पहल: जानवरों के अधिकारों का हो समर्थन
- सपनों को साकार करने का मंच बन रहा है ‘प्लास्ट पैक 2025’
- शुरू हुआ मध्यभारत का सबसे बड़ा एक्जीबिशन “प्लास्टपैक 2025”, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने किया उद्घाटन
- आईडी फ्रेश फूड इंदौर में लेकर आया है ऑथेंटिक साउथ इंडियन इडली डोसा बैटर
- शाओमी इंडिया ने रेडमी 14C 5G को बाज़ार में उतारा और रेडमी नोट 14 5G सीरीज़ के लिए 1000 करोड़ रुपए की शानदार उपलब्धि हासिल की
सत्य मनुष्य को निर्भय बनाता है: जगदीश पुरी
इंदौर, 8 अगस्त. सत्य मनुष्य को निर्भय बनाता है. सत्य ही सबसे बड़ा धर्म माना गया है. सत्य के स्वरूप का चिंतन भगवान कृष्ण का ही चिंतन होगा. कृष्ण ही जगत की उत्पत्ति के आधार और कारण है और उनकी प्रत्येक किया में जीव के कल्याण का भाव निहित है. सत्य का ज्ञान नहीं होने से ही आज हमारा समाज अंध परंपराओं का शिकार हो रहा है. सत्य का चिंतन और आचरण मनुष्य को सही दिशा में प्रवृत्त करता है.
ये विचार हैं शक्करगढ़, भीलवाड़ा स्थित अमरज्ञान निरंजनी आश्रम के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी जगदीशपुरी महाराज केे, जो उन्होने मनोरमागंज स्थित गीता भवन पर चातुर्मास अनुष्ठान के सत्संग में व्यक्त किये. प्रवचन के प्रारंभ में गीता भवन ट्रस्ट के अध्यक्ष गोपालदास मित्तल, मंत्री राम ऐरन, सत्संग समिति के संयोजक रामविलास राठी, सुश्री प्रमिला नामजोशी आदि ने महामंडलेश्वरजी का स्वागत किया. गीता भवन में स्वामी जगदीशपुरी महाराज के सान्निध्य में 26 अगस्त तक प्रतिदिन प्रात: 8.30 से 9 बजे तक विष्णु सहस्त्रनाम से आराधना, 9 से 10.30 एवं सांय 5 से 6.30 बजे तक भागवत कथासार एवं प्रवचनों की अमृत वर्षा जारी रहेगी.
आत्मा का पोषण भागवत रूपी रस से
आचार्य महामंडलेश्वरजी ने कहा कि भगवान तो अंतर्यामी हैं और वे जानते हैं कि हमें क्या चाहिए। आत्मा का पोषण भी भागवत रूपी रस से ही संभव है. भागवत की शरण लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए भगवान हर काम छोडकर उसे अपनी शरण में लेने को तत्पर रहते हैं. सत्य से बड़ा कोई धर्म नहीं होता. कृष्ण ही सत्य का स्वरूप है और कृष्ण ही जगत की उत्पत्ति एवं पालन-पोषण के साथ जीवमात्र का कल्याण करते हैं।