वर्चुअल वेडिंग – एक मिथक; वर्चुअल मीटिंग – आज की नई वास्तविकता

अग्रणी मैचमेकिंग पोर्टल, जीवनसाथी.कॉम ने भारत में मेट्रो और गैर-मेट्रो शहरों में पुरुषों और महिलाओं के बीच वर्चुअल शादियों और मीटिंग के बदलते डायनामिक का अध्ययन करने के लिए एक सर्वेक्षण किया।

लॉकडाउन की घोषणा होते ही वर्चुअल शादियों ने सुर्खियां बटोर लीं। एक प्रमुख मॅट्रिमनी साइट, जीवनसाथी.कॉम द्वारा हाल ही में किए गए सर्वेक्षण में, यह बताया गया है कि वर्चुअल शादियां सिर्फ धुन के तौर पर अपनाई जा रही हैं क्योंकि भारतीय अब शादी में होने वाले नियमों और रीति-रिवाज़ों को आसान बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

सर्वेक्षण में बताया कि 89% लोग वर्चुअल शादि के समर्थन में नहीं हैं। पूरे देश में युवा भारतीयों के बीच आम भावना यह है कि वे महामारी के दौरान सीमित मेहमानों के साथ ही पारम्परिक तरीके से शादी करना चाहते हैं। इसलिए, इस तथ्य को मानते हुए कहा जा सकता है कि ऑनलाइन शादियों के होते हुए भी भारतीय शादियों की चमक अभी भी बरकरार है।

अधिकांश भारतीयों (58%) द्वारा 50 मेहमानों के साथ छोटी शादियों के विकल्प को चुनने की संभावना है, उसके बाद कई लोग (21%) स्थिति के सामान्य होने तक अपनी शादी को स्थगित कर सकते हैं। बाकी उन लोगों की गिनती भी बराबर की है जो पूरी तरह से वर्चुअल प्लेटफार्म को अपनाकर, सुरक्षा उपायों के साथ धूम-धाम से शादी का आयोजन करना चाहते हैं।

बदलती प्राथमिकताएँ

भारतीय विवाह के आयोजन की बात आने पर महामारी ने युवा भारतीयों की प्राथमिकताओं को प्रभावित किया है। बदलते समय में लंबी अतिथि सूचियों, भोजन, सजावट, पोशाक, और अन्य ताम-झाम की जगह सुरक्षा और स्वच्छता ने ले ली है। 52% उत्तरदाताओं ने प्राथमिकता के रूप में उचित स्वच्छता को, उसके बाद प्रियजनों की उपस्थिति (18%) और यादगार तस्वीरों (11%) को चुना। परी कथा जैसी भव्य शादी की कामना सूची में कहीं नीचे चली गई है।

सर्वेक्षण में लैंगिक दृष्टिकोण भी दर्शाया गया है जिसमें महिलाएं (71%) पुरुषों (51%) की तुलना में सुरक्षा प्रोटोकॉल के बारे में अधिक गंभीर है। इसके अलावा, उत्तरदाताओं की एक पर्याप्त संख्या (82%) ने पुष्टि की है कि छंटनी की हुई अतिथि-सूचियों और घर पर शादियों का होना निस्संदेह किफायती है।

वर्चुअल शादी की जगह वर्चुअल मीटिंग

सामाजिक दूरी के इस समय ने अधिक से अधिक भारतीयों को आगे बढ़कर बात-चीत करने के लिए वर्चुअल कॉफी डेट की संभावना को अपनाने के लिए प्रेरित किया है। सर्वेक्षण में पुरुषों और महिलाओं के बीच उनके जीवन साथी की खोज के लिए वर्चुअल मीटिंग के प्रति बढ़ती आत्मीयता को प्रदर्शित किया गया।

कुल मिलाकर, तीन-चौथाई उत्तरदाताओं ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि एक-दूसरे को जानने के लिए आमने-सामने होने वाली मीटिंग की जगह वर्चुअल मीटिंग ले सकती हैं। हालांकि, प्रबल भावना यही बनी हुई है कि शादी के फैसले को अंतिम रूप देने के लिए महत्वपूर्ण है कि कम से कम एक मीटिंग आमने-सामने बैठ कर की जाए।

44% उत्तरदाताओं ने पुष्टि की कि अंतिम चरण से पहले इन-पर्सन मीटिंग महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, 32% संभावनाएं वर्चुअल मीटिंग के आधार पर शादी के लिए हां कहने में सहज हैं।

जेंडर लेंस के तहत, महिलाओं की तुलना में भारतीय पुरुषों के लिए वर्चुअल मीटिंग के द्वारा अपना जीवन साथी तय करना अधिक आरामदायक है। भारतीय महिलाओं ने व्यक्त किया कि प्रस्ताव को हां कहने से पहले सामने मिलना जरूरी है।

जीवनसाथी.कॉम के बिजनेस हेड रोहन माथुर ने कहा, “भारतीय शादियों के लिए वर्चुअल शादियां अभी भी एक दूर की वास्तविकता है। यहां तक कि वह लोग जो अपने जीवन साथी को तय करने के लिए वीडियो कॉल के माध्यम से विर्चुअली मिल रहे हैं, अंतिम निर्णय लेने से पहले एक व्यक्तिगत मीटिंग को प्राथमिकता देते हैं। यह देखना उत्साहजनक है कि कैसे वीडियो कॉलिंग की सुविधा लड़के व लड़कियों और उनके परिवारों के बीच आयोजित इन-पर्सन मीटिंग के प्रारंभिक चरणों की जगह ले रही है।”

एक डिजिटल मेकओवर लेते हुए फैमिली मीट-अप

महामारी ने परिवारों के मिलने के तरीके में क्रांति ला दी है। अधिकांश उत्तरदाताओं (40%) ने पुष्टि की कि परिवारों के साथ पहली कुछ बैठकें वर्चुअल हो गई हैं, लेकिन अंतिम निर्णय लेने से पहले आमने-सामने होने वाली मुलाकात अभी भी आवश्यक है।

अन्य (31%) वर्चुअल मीटिंग के द्वारा परिवारों को मिलाने में बिलकुल सहज नहीं हैं और बाकि (29%) का मनना है कि वर्चुअल मीटिंग, इन-पर्सन मीटिंग जैसी ही हैं। इसके अतिरिक्त, सर्वेक्षण में एक दिलचस्प जानकारी सामने आई कि भारतीय महिलाओं की तुलना में भारतीय पुरुषों के लिए परिवारों का वर्चुअली मिलाना अधिक स्वीकार्य है।

इसके अलावा, 56% उत्तरदाताओं ने पुष्टि की कि वे सभी सुरक्षा उपायों के साथ शादी में शामिल होना चाहते हैं और 44% का कहना है कि अगर कोई बहुत करीबी नहीं है तो वह शादियों में जाने से बचेंगे।

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