- सोनिक द हेजहॉग 3’ में अपनी भूमिका के बारे में जिम कैरी ने मजाक में कहा, ‘‘मुझे बहुत देर से अहसास हुआ कि मैं एक ही भुगतान के लिए दोगुना काम कर रहा था’’
- “Until I realized I was doing twice the work for the same pay,” says Jim Carrey jokingly about his role in Sonic the Hedgehog 3
- स्टेबिन बेन से लेकर अरिजीत सिंह तक: 2024 के यादगार लव एंथम देने वाले सिंगर्स पर एक नज़र!
- अक्षय कुमार और गणेश आचार्य ने "पिंटू की पप्पी" फ़िल्म का किया ट्रेलर लॉन्च!
- Sonu Sood Graced the Second Edition of Starz of India Awards 2024 & Magzine Launch
मैकेनिक और ड्राइवर के हुनर से महिलाओं ने हासिल की आज़ादी
सम्मेलन में 200 महिला मैकेनिक एवं ड्राईवर्स ने अपने अनुभव साझा किए
इन्दौर। महिला हिंसा के विरूद्ध अंतर्राष्ट्रीय अभियान ‘उमड़ते सौ करोड’ के अंतर्गत 6 मार्च को आयोजित सम्मेलन में इन्दौर की महिला मैकेनिक एवं ड्राइवर्स ने अपने साहस, संघर्ष और सफलता के अनुभव साझा किए। सम्मेलन में समान सोसायटी द्वारा प्रशिक्षित 200 महिला मैकेनिक और ड्राइवर शामिल हुई।
सम्मेलन की शुरूआत करते हुए समान सोसायटी के निदेशक राजेन्द्र बंधु ने कहा कि समाज में बच्चों के पैदा होते ही लड़का और लड़की के आधार पर अलग—अलग व्यवहार होता है। रोजगार के मामले में भी यही स्थिति है। समाज द्वारा महिला और पुरूष के लिए अलग—अलग तरह के रोजगार तय कर गए दिए हैं। हमने इसी परंपरा को तोड़ते हुए महिलाओं को प्रशिक्षण देकर मैकेनिक और ड्राइवर जैसे रोजगार से जोड़ा है।इसमें सबसे बड़ी भूमिका उन महिलाओं की है जिन्होंने तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए रोजगार की आज़ादी हासिल करने का साहस दिखाया।
सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में भोपाल से आई सामाजिक कार्यकर्ता स्वाति कैथवास ने पूछा कि क्या तुम आज़ाद हो? यानी क्या महिलाएं अपनी जिन्दगी के फैसले खुद लेती है? उन्हें कैसा रोजगार चाहिए? कितनी और कैसी शिक्षा पानी है? ये सब फैसले दूसरे लोग लेते हैं। आज़ादी का मतलब यह है कि हमारी जिन्दगी के फैसले हम खुद लें। उन्होंने कहा कि यहां उपस्थित महिलाओं को मैकेनिक और ड्राईविंग जैसे रोजगार को अपनाने के लिए इसलिए संघर्ष करना पड़ा, क्योंकि कई लोग उनके फैसले के खिलाफ थे।
सम्मेलन में सामाजिक कार्यकर्ता क्रांति खोड़े ने महिलाओं पर हिंसा के मुद्दे पर चर्चा करते हुए कहा कि समाज में हिंसा से पीड़ित महिलाओं को अपना नाम छुपाना पड़ता है जबकि हिंसा करने वाले बैखौफ घूमते हैं। हमें समाज में इस परंपरा को बदलना है। सम्मेलन को संबोधित करते हुए संगीतकार अंजना सक्सेना ने कहा कि मैकेनिक और ड्राइवर के रूप में अपनी पहचान बनाने वाली महिलाओं ने एक मिसाल कायम की है और हुनर के जरिये आज़ादी की प्रेरणा दी है।
इस अवसर पर महिला मैकेनिक और महिला ड्राईवर ने अपने अनुभव साझा किए। होरा सर्विस सेंटर पर मैकेनिक के रूप में काम कर रही रेखा गवली ने बताया कि पहले लोग यह विश्वास ही नहीं करते थे में महिला बाईक रिपेयर कर सकती है, लेकिन मैने एक दिन मे 12 बाईक सर्विसिंग का रिकॉर्ड बनाया है।
ड्राईवर अनीता वर्मा ने कहा कि ड्राईविंग प्रशिक्षण से मुझे सिर्फ रोजगार ही नहीं मिला, बल्कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत भी आई है। नूजेरा बी ने कहा कि मैने ड्राईविंग प्रशिक्षण के लिए घर से लेकर समाज तक संघर्ष किया, लेकिन पीछे नहीं हटी। आज सभी लोग मेरे इस फैसले की तारीफ करते है। बाईक मैकेनिक जमना सागोरे ने कहा कि मैं सर्विस सेंटर पर मैकेनिक की नौकरी करती हूं और आज मेरे परिवर के लोग गर्व से यह बात अपने रिश्तेदारों को बताते है।
सम्मेलन में महिला मैकेनिक और ड्राईवर के अनुभवों से यह बात सामने आई कि प्रशिक्षण का शुरूआती दौर संघर्षमय था, लेकिन जो इस संघर्ष में कायम रहीं, उन्हें अपने जीवन को बेहतर बनाने और नई पहचान बनाने में सफलता हासिल हुई। सम्मेलन में मालवा की पहली महिला कबीर गायिका प्रीति सिंगार ने कबीर से समतावादी दोहों का वाचन किया। सम्मेलन का संचालन समान सोसायटी की रचना पाटीदार एवं सपना राठौर ने किया।