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अब सिर्फ कारों तक सीमित नहीं रहे सनरूफ, घर में सूरज की ऊर्जा और चांदनी की रुमानियत लाने के लिए बनाये जा रहे हैं स्काई लाइट्स
– अपने घर में आराम से रहते हुए भी ले सकते हैं हर मौसम का लुत्फ़
– आईआईआईडी के ‘ज्ञानाजर्न’ में स्टूडेंट्स ने एक्सपर्ट्स से जानी प्रोफेशनल लाइफ की रूलबुक
– पढाई ख़त्म होने के बाद प्रोफेशनल लाइफ में आने वाली चुनौतियों के लिए स्टूडेंट्स को तैयार करना है मकसद
इंदौर। यदि हर सुबह आपकी नींद अलार्म क्लॉक से नहीं बल्कि सूरज की पहली किरण से खुले और रात में आप अपने पार्टनर के साथ तारों के नीचे चांदनी रात में प्यार भरी बातें कर पाएं, वह भी कहीं बाहर जाकर नहीं बल्कि अपने ही घर में आराम से बैठकर, तो आपको यह अनुभव कैसा लगेगा? जी हाँ, इन दिनों शहर के आर्किटेक्ट्स प्रकृति के खूबसूरत नज़ारों को आपके घर के आरामदायक माहौल में शामिल करने के लिए कारों की तरह घर में भी सनरूफ या स्काई लाइट्स तैयार कर रहे हैं। इसी तरह के कई नये इनोवेशंस के बारे में इंडियन इंटीरियर डिज़ाइनर्स (आईआईआईडी) द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘ज्ञानाजर्न’ में प्रोफेशनल आर्किटेक्ट्स ने स्टूडेंट्स को जानकारी दी।
आईआईआईडी की चेयरपर्सन आर्किटेक्ट शीतल कापड़े ने बताया कि अक्सर स्टूडेंट्स के मन में प्रोफेशनल लाइफ की शुरुआत को लेकर कई तरह के सवाल होते हैं। स्टूडेंट्स जो कुछ भी पढाई के दौरान सीखते हैं और प्रोफेशनल लाइफ में उन्हें जिस तरह की चुनैतियों का सामना करना पड़ता है, उसमें काफी अंतर होता है। इसलिए स्टूडेंट्स को प्रोफेशनल लाइफ की चुनौतियों के लिए तैयार करने के उद्देश्य से आईआईआईडी (IIID) ने ‘ज्ञानाजर्न’ नाम से यह कार्यक्रम किया था, जिसकी थीम थी – ‘वे अहेड’। इस कार्यक्रम के जरिए हम स्टूडेंट्स को भविष्य की चुनौतियों और संभावनाओं के लिए तैयार करना चाहते हैं। इस कार्यक्रम में अलग-अलग आर्किटेक्चर कॉलेज के विभागाध्यक्ष, फैकल्टी और 100 से अधिक स्टूडेंट्स शामिल हुए।
कॉलेज के बाद शुरूआती पांच साल अर्निंग नहीं लर्निंग पर फोकस करें
कार्यक्रम के दौरान आर्किटेक्ट आंनद मारु ने कहा कि आर्किटेक्चर एक बहुत ही व्यापक और रचनात्मक क्षेत्र है, जिसमें पढाई पूरी होने के बाद भी काफी कुछ सीखना और समझाना होता है इसलिए स्टूडेंट्स को कॉलेज ख़त्म होने के बाद शुरूआती पांच साल अर्निंग नहीं लर्निंग पर फोकस करना चाहिए। यहाँ आपका काम विज्ञापन से नहीं बल्कि माउथ पब्लिसिटी से ही आगे बढ़ता है इसलिए जब तक आप अपनी स्किल्स और क्राफ्ट को बेहतर नहीं बनाएंगे लोग आपके पास काम लेकर नहीं आएंगे। उन्होंने अपने पार्टनर अर्पित खंडेलवाल और प्रतीक गुप्ता के साथ स्टूडेंट्स को नये और इनोवेटिव प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अक्सर हम पढाई के दौरान सीखी गई टेक्निक्स और एक्सपेरिमेंट्स को प्रोफेशनल लाइफ में आकर भूल जाते हैं जबकि यही लर्निंग हमारे काम को यूनिक बनाकर हमें अपने क्षेत्र में एक अलग पहचान दिला सकती है।
आर्किटेक्ट बनाना ही अंतिम लक्ष्य नहीं
स्टूडेंट्स को भविष्य की संभावनाओं के बारे में बताते हुए आर्किटेक्ट रानू वर्मा ने कहा कि जरुरी नहीं है कि आप सभी कोर्स पूरा होने के बाद बतौर आर्किटेक्ट ही काम करें। आप चाहे तो इंटीरियर या लैंडस्केप डिजाइनिंग, कंस्ट्रक्शन या प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, एकेडेमिक्स रिसर्च या अर्बन डिजाइनिंग जैसे कई क्षेत्रों में काम कर सकते हैं। अपना उदहारण देते हुए रानू जी ने कहा कि मैंने आर्किटेक्ट नमन भरिहोके के साथ पार्टनरशिप में फर्म के रूप में काम करना शुरू किया। एक व्यक्ति सभी काम में एक्सपर्ट नहीं हो सकता है इसलिए आपको अपनी खूबियों के साथ ही कमियों को भी अच्छी तरह से पहचानना आना चाहिए। आपके अंदर जो कमियां हैं, उसे पूरा करने के लिए आप किसी दूसरे आर्किटेक्ट के साथ पार्टनरशिप भी कर सकते हैं। हर किसी के लिए सफलता का फॉर्मूला अलग होता है इसलिए आपको अपने फॉर्मूले को खुद पहचानना होगा और उसे फॉलो करते हुए अपने काम को आगे बढ़ाना होगा।