- CoinDCX के पहले मुहूर्त ट्रेडिंग सत्र में अभूतपूर्व भागीदारी देखी गई, 5.7 मिलियन यूएसडीटी वॉल्यूम के साथ संवत 2081 का जश्न मनाया गया
- जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर इंडिया ने सालाना 31 प्रतिशत वृद्धि के साथ अक्टूबर में 7045 यूनिट की बिक्री का बनाया रिकॉर्ड
- Jsw mg motor india records sales of 7045 units in october 2024 with 31% yoy growth
- Did you know Somy Ali’s No More Tears also rescues animals?
- Bigg Boss: Vivian Dsena Irked with Karanveer Mehra’s Constant Reminders of Family Watching Him
रामस्नेही सम्प्रदाय ने राम नाम को ही ब्रह्म माना- संत हरिराम शास्त्री
रामद्वारा में संत समागम का आयोजन
इंदौर. छत्रीबाग स्थित रामद्वारा में सात दिवसीय संत समागम एवं सत्संग का आयोजन अन्तर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के द्वितीय आचार्य रामजन्नजी महाराज का निर्वाणा उत्सव सोमवार को सभी भक्तों ने मनाया.
छत्रीबाग स्थित रामद्वारा में संत समागम एवं सत्संग में जोधपुर से आए संत हरिराम शास्त्री ने सभी भक्तों को संबोधित करते हुए अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने अपने प्रवचन में सभी भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि महापुरूषों का जीवन, विचार, चिंतन जहां से भी शुरू करें वहीं से मीठा लगता है. जिस प्रकार गुलाब जामुन को किसी भी तरफ से खाओ वह हमेशा मीठा ही लगता है. उसी प्रकार महापुरूषों का जीवन और उनके विचार कहीं से भी शुरू हो हमेशा मीठा ही लगता है. रामद्वारा में सभी मूलआचार्यों ने रामभजन को ही अपना सर्वोपरी माना और केवल राम नाम को ही उन्होंने ब्रह्म माना है.
जोधपुर से आए संत हरिराम शास्त्री ने अपने प्रवचन में सभी भक्तों को नम्रता से बात करना, हर एक का आदर करना, शुक्रिया अदा करना और यदि आवश्यक हो तो माफी भी मांग लेना की सीख दी. उन्होंने कहा कि यह सभी गुण जिस व्यक्ति में है वह सदा सबके करीब और सबके लिए खास होता है. उन्होंने भक्तों से कहा कि अपने जीवन में हार कभी नहीं मानना चाहिए. नाकायाबी प्राय: सफलता की भूमिका बनाने में अहम रोल अदा करती है.
रामद्वारा छत्रीबाग से जुड़े रामसहाय विजयवर्गीय ने जानकारी देते हुए बताया कि रामद्वारा में सोमवार को अन्तर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के द्वितीय आचार्य रामजन्नजी महाराज का निर्वाणा उत्सव भक्तों ने बड़ी धूमधाम से मनाया. महोत्सव के तहत सुबह भक्तों द्वारा रामद्वारा परिसर में ग्रंथ पूजन, प्रवचन, आरती, रामधुन भजन के साथ ही प्रसादी वितरण भी किया गया.
इसी के साथ मुख्य उत्सव में संत गोपालरामजी (ब्यावर वाले), मनसुखरामजी (सिरोही वाले), सनमुखरामजी (जोधपुर वाले) अपनी वाणी से सभी भक्तों को प्रवचनों की अमृत वर्षा की.