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टीकाकरण के प्रति जागरूकता आवश्यक
इंदौर. टीकाकरण के प्रति देश में जागरूकता की आवश्यकता है क्योंकि इससे रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और बच्चों की असमय मौत से बचाया जा सकता है. टीकाकरण के अभाव में प्रतिवर्ष 20 से 30 लाख बच्चों की मौत हो जाती है. देश में 62 प्रतिशत जबकि मध्यप्रदेश में कवल 53.6 प्रतिशत बच्चों का ही टीकाकरण हो पाता है जिससे शेष में अधिकांश बच्चे मर जाते है.
यह कहना है इंडियन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स वैज्ञानिक समिति के सदस्य और पीडियाट्रिशियन डॉ. संजीवसिंह रावत का. वे टीकाकरण सप्ताह को लेकर मीडिया से चर्चा कर रहे थे. डॉ. रावत ने बाया कि इस वर्ष विश्व इम्युनाइजेशन (टीकाकरण) सप्ताह (24 से 30 अप्रैल पर इंडियन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स (आईएपी), इंदौर के विषेशज्ञ भारत में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों का जीवन बचाने के लिए राश्ट्रीय इम्युनाइजेषन के प्रयासों के लिए पूरे समर्थन में आ गए हैं. देश का लक्ष्य 2030 तक नवजात बच्चों की मृत्यु दर को प्रति 1000 जन्म पर 12 के स्तर पर और पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर प्रति 1,000 जन्म पर 25 के स्तर पर रोकना है ख्पप, ताकि भारत स्थाई विकास लक्ष्य (एसडीजी) को हासिल कर सके. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, इम्युनाइजेषन से हर वर्ष 20 से 30 लाख मौतों से बचा जा सकता है और इससे कई घातक बीमारियों को नियंत्रित करने और लाखों जीवन बचाने में मदद मिली है. आईएपी के विशेषज्ञ देश में बच्चों की मृत्यु दर में कमी लाने में इम्युनाइजेशन की भूमिका के बारे में जागरूकता का प्रसार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. यूआईपी में नए टीकों की पेशकश के लिए सरकार के प्रयास प्रमुख संक्रमणों से बचाने में मदद करेंगे जिनके कारण बच्चों की मृत्यु होती है. मेरा मानना है कि भारत को ब्रॉडकवरेज नियोमो को कल कॉन्ज्युगेट वैक्सीन (पीसीवी) 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु को घटाने के संयुक्त राष्ट्र के स्थाई विकास लक्ष्यों को 2030 तक हासिल करने में मदद करेंगे.
प्रयासों को धार देने की जरूरत: डॉ. श्रीलेखा
आईएपी इंदौर सचिव डॉ. श्रीलेखा जोशी ने कहा कि हमारे पास बच्चों की मृत्यु पर रोक लगाने का सबसे शक्तिशाली उपकरण टीकाकरण के तौर पर मौजूद है. स्थाई और गहन टीकाकरण कार्यक्रमों के माध्यम से हमने स्मॉल पॉक्स और पोलियो जैसी घातक बीमारियों से दुनिया को सफलता पूर्व कमुक्ति दिलाई है. अब हमें टीकाकरण से बचाई जा सकने वाली बीमारियों के कारण जाने वाली बच्चों की जान को बचाने के लिए पूर्ण इम्युनाइजेशन कवरेज हासिल करने के लिए प्रयासों को धार देने की जरूरत है. 2014-2015 में राश्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 (एन एफ एच एस-4) के आंकड़ों के मूल्यांकन के मुताबिक भारत में इम्युनाइजेषन कवरेज 62 फीसदी और इंदौर में 53.6 फीसदी था. इसके अलावा लगातार चल रहे टीकाकरण कार्यक्रम के परिणाम स्वरूप मौजूदा आंकड़ों में सुधार की उम्मीद है. अब अगला लक्ष्य दिसंबर, 2018 तक तेजी से इम्युनाइजेशन कवरेज को 90 फीसदी से आगे ले जाना है.