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दरिंदों को फांसी के फंदे तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे: शिवराज
मुख्यमंत्री ने ली बच्ची के स्वास्थ्य की जानकारी
इंदौर. मंदसौर दुष्कर्म केस की पीडि़त बच्ची की हालत में लगातार सुधार हो रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह शुक्रवार शाम को एमवाय अस्पताल पहुंचे और बच्ची के स्वास्थ्य की जानकारी ली. उनके साथ मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी थे. सीएम ने अधिकारियों और चिकित्सकों से आवश्यक जानकारी लेकर बच्ची के बेहतर उपचार के निर्देश भी दिए. वे बच्ची के परिजनों से भी मिले.
बच्ची के हालचाल जानने के बाद मुख्यमंत्री ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि बेटी के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा है. बाल सुलभ स्वभाव से सबसे घुल मिल गई है. मैं दिए जा रहे इलाज से संतुष्ट हूं. उन्होंने कहा कि वो अपने माता-पिता के साथ ही मेरी और मप्र की भी बेटी है. मैं डॉक्टरों से लगातार सम्पर्क में था. फोन कर जानकारी ले रहा था. उसका भविष्य मेरी जिम्मेदारी है. उसके ईलाज के साथ ही पढ़ाई की भी व्यवस्था हम करेंगे. जिन दरिंदो ने बच्ची के साथ यह दुष्कृत्य किया है वे धरती पर बोझ है. उन्हें जल्द ही फांसी तक पहुंचाने के लिए पुलिस प्रशासन जल्द अपना काम पूरा करेगा. पुलिस प्रशासन जल्द ही अपनी औपचारिकताएं पूरी कर चालान पेश करेगा. मैंने भी सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया है कि फ़ास्ट ट्रैक सुनवाई हो. इन दरिंदों को फांसी पर चढ़ाया जाए. उन्होंने कहा कि एक और बेटी को एयर एम्बुलेंस से सतना से दिल्ली भेजा है. उसकी पढ़ाई और इलाज का हम खयाल रखेंगे. शिवराज ने कहा कि समाज मे कुछ लोग होते हैं जो हमे शर्मसार करते हैं. आज आधुनिक तकनीक और अश्लील फिल्मों के कारण बच्चे गलत दिशा में बढ़ते है. बेटी के मान सम्मान की बात पाठ्यक्रम में शामिल करेंगे. बेटी बचाओ अभियान में नई चीज जोड़ेंगे.
इधर, दोपहर में एमवाय अस्पताल अधीक्षक डॉ. वीएस पाल ने मेडिकल बुलेटिन जारी किया, जिसके अनुसार बच्ची की हालत में सुधार हो रहा है। उसके कुछ टांके काटे गए हैं। शुक्रवार को स्थिति देखकर और टांके काटे जाएंगे। बच्ची परिजन और स्टाफ से सहज बातचीत कर रही है। वीडियो गेम में वह स्टाफ को हरा रही है। इससे माना जा सकता कि वह मानसिक रूप से मजबूत हो रही है। उसने खाने को लेकर पसंदीदा चीजें मांगी हैं। उसे चॉकलेट, कचौरी, रबड़ी खिलाई गई। बुधवार की घटना देखते हुए पुलिस ने उसकी सुरक्षा बढ़ा दी है। नर्सिंग स्टाफ को लापरवाही न बरतने की हिदायत दी गई है। नर्स के मोबाइल से क्लिपिंग के मामले में अधीक्षक ने पुलिस जांच की बात कही।
वहीं, बच्ची बयान देने की स्थिति में है या नहीं, इसकी जांच के लिए चार डॉक्टरों की पैनल बनाई गई है। इसमें मनोचिकित्सकों के साथ शिशु रोग विशेषज्ञ व अस्पताल का डॉक्टर शामिल किया गया है। मनोचिकित्सक रोज बच्ची से बात कर रहे हैं, ताकि वह जल्द से जल्द ठीक हो सके।