5 फरवरी बसंत पंचमी पर करें यह उपाय और पाएं मां सरस्वती की कृपा और आशीर्वाद

डॉ श्रद्धा सोनी, वैदिक ज्योतिषाचार्य, रतन विशेषज्ञ, वास्तु एक्सपर्टवैदिक ज्योतिषाचार्य

5 फरवरी दिन शनिवार, माघ मास शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि वसंत पंचमी, श्री पंचमी, सरस्वती पूजा। वसंत पंचमी 5 फरवरी को सुबह 3:47 बजे से शुरू होकर अगले दिन 6 फरवरी को सुबह 3:46 बजे तक रहेगा। 5 फरवरी शुक्रवार को वसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त है सुबह 6:59 से दोपहर 12:35 तक।वाणी,लेखनी,प्रेम,सौभाग्य,विद्या,कला सृजन,संगीत और समस्त ऐश्वर्य को प्रदान करने वाली देवी मां सरस्वती से शुभ आशीष प्राप्त करने का दिन है। इस दिन कामदेव,रति और भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है,वसंत पंचमी के दिन सुबह में ही मां सरस्वती की पूजा करने का विधान है।

कैसे करें मां सरस्वती की पूजा?

  • इस दिन पीले,बसंती या सफेद वस्त्र धारण करें,पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा की शुरुआत करें।
  • मां सरस्वती को पीला वस्त्र बिछाकर उस पर स्थापित करें और रोली मौली, केसर,हल्दी,चावल,पीले फूल,पीली मिठाई,मिश्री,दही,हलवा आदि प्रसाद के रूप में उनके पास रखें।
  • मां सरस्वती को श्वेत चंदन और पीले तथा सफ़ेद पुष्प दाएं हाथ से अर्पण करें,केसर मिश्रित खीर अर्पित करना सर्वोत्तम होगा।
  • मां सरस्वती के मूल मंत्र ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः का जाप हल्दी की माला से करना सर्वोत्तम होगा।
  • अगर बच्चे को वाणी दोष है तो वसंत पंचमी के दिन उसकी जीभ पर केसर से चांदी की कलम द्वारा ‘ऐं’ बीज मंत्र लिखें ऐसा करने से वाणी दोष दूर हो जाते हैं।
  • गरीब छात्रों को पुस्तक,पेन आदि विद्या उपयोगी वस्तुओं का दान करें।
  • जिन बच्चों का पढ़ाई में मन कम लगता हो वो वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को हरे फल अर्पित करे।
  • वीणा मां सरस्वती की सबसे प्रिय वस्तुओं में से एक है,इसे घर में रखने से सुख-शांति रहती है।
  • वसंत पंचमी के दिन वीणा को घर में ला सकते हैं।
  • हंस की तस्वीर घर में लाएं।
  • मोर पंख को इस दिन घर में लाना शुभ माना जाता है। इसे घर के मंदिर या बच्चों के कमरे में रखना चाहिए।
  • मां सरस्वती की मूर्ति घर में लाएं।
  • संगीत के क्षेत्र में रुचि रखने वाले मां सरस्वती को बांसुरी भेंट करें।

इसके अलावा आज सरस्वती पूजा पर मां सरस्वती के 12 नाम जरूर जपें-

प्रथम भारती नाम, द्वितीय च सरस्वती, तृतीय शारदा देवी, चतुर्थ हंसवाहिनी, पंचमम् जगतीख्याता, षष्ठम् वागीश्वरी तथा सप्तमम् कुमुदीप्रोक्ता, अष्ठमम् ब्रह्मचारिणी, नवम् बुद्धिमाता च दशमम् वरदायिनी, एकादशम् चंद्रकांतिदाशां भुवनेशवरी, द्वादशेतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेनर: जिह्वाग्रे वसते नित्यमं ब्रह्मरूपा सरस्वती सरस्वती महाभागे विद्येकमललोचने विद्यारूपा विशालाक्षि विद्या देहि नमोस्तुते।।

इसके अलावा माँ सरस्वती का मूल मंत्र का जप भी करें -मंत्र ‘ऊँ ऐं महासरस्वत्यै नमः’

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