महिला सशक्तिकरण और स्वास्थ जागरूकता पर हेल्थ टॉक

प्रेरणादायक अनुभवों ने बढ़ाया आत्मविश्वास

केयर सीएचएल हॉस्पिटल ने मनाया अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

इंदौर, मार्च, 2025: समाज की प्रगति और सशक्तिकरण में महिलाओं की भूमिका हमेशा से महत्वपूर्ण रही है। दुनिया भर में महिलाओं के अधिकार, उनकी उपलब्धियों और योगदान को पहचानने और सम्मानित करने के लिए हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इसी कड़ी में, महिलाओं के स्वास्थ्य और सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शहर के प्रसिद्ध केयर सीएचएल अस्पताल में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सुबह 10:30 से दोपहर 12:00 बजे तक चले इस आयोजन में विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिष्ठित हस्तियों, अस्पताल की महिला कंसल्टेंट्स, नारी शक्ति मौजूद रही। आयोजन में लाइव योगा सेशन, ध्यान सत्र और हेल्थ टॉक के माध्यम से महिलाओं के स्वास्थ्य, मानसिक और शारीरिक जागरूकता और उनके जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई।

केयर सीएचएल हॉस्पिटल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नीना अग्रवाल ने कहा, “हर दिन महिलाओं का दिन है। आधी दुनिया महिलाएं हैं, और बाकी आधी महिलाओं द्वारा बनाई गई है। इसलिए महिलाओं को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए, ताकि वे अपने परिवार और समाज को बेहतर तरीके से संभाल सकें। साल में एक बार जरूरी चेकअप कराएं, हर महीने सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन करें और रूटीन जांच करवाते रहें। बच्चेदानी के मुंह के कैंसर के लिए वैक्सीन उपलब्ध है, जिसे लगवाकर कई गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है।” पीसीओडी से जुड़े प्रश्न पर उन्होंने कहा, “स्वस्थ दिनचर्या और सही खानपान अपनाने से इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और मानसिक तनाव को कम करके पीसीओडी के प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता है।”

केयर सीएचएल हॉस्पिटल की मैक्सिलोफेशियल सर्जन डॉ. सर्वप्रिया शर्मा ने कहानियां साझा करते हुए बताया, “हम पिछले कई सालों से कटे होंठ और कटे तालु वाले बच्चों का इलाज कर रहे हैं। हाल ही में हमने एक साल के बच्चे की सर्जरी की, जो अब पूरी तरह से स्वस्थ और सामान्य जीवन जी रहा है। ऐसे मामलों में सही समय पर उपचार मिलने से बच्चों के चेहरे की बनावट और उनके आत्मविश्वास दोनों को बेहतर बनाया जा सकता है।”

केयर सीएचएल हॉस्पिटल की किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. ईशा तिवारी ने कहा, “महिलाओं के लिए किडनी स्वास्थ्य का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, क्योंकि गर्भावस्था, हार्मोनल बदलाव और यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) जैसी समस्याएं किडनी पर असर डाल सकती हैं। कई बार महिलाएं अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर देती हैं, जिससे किडनी से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। नियमित स्वास्थ्य जांच, पर्याप्त पानी का सेवन, कम नमक और संतुलित आहार अपनाकर महिलाएं अपनी किडनी को स्वस्थ रख सकती हैं। खासकर हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज से ग्रसित महिलाओं को किडनी की सेहत पर विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि ये दोनों बीमारियां किडनी फेलियर का प्रमुख कारण बन सकती हैं।”

आयोजन की विशेष अतिथि मानसिक रोग विशेषज्ञ मेजर डॉ. संहिता भूषण ने कहा, “महिलाओं का मानसिक स्वास्थ्य उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि शारीरिक स्वास्थ्य, लेकिन अक्सर इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है। समाज, परिवार और कार्यस्थल की जिम्मेदारियों के बीच महिलाएं खुद के लिए समय नहीं निकाल पातीं, जिससे तनाव, अवसाद और एंग्जायटी जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाए रखने के लिए जरूरी है कि महिलाएं अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त करें, खुद की देखभाल को प्राथमिकता दें, नियमित व्यायाम और मेडिटेशन करें, और जरूरत पड़ने पर मनोवैज्ञानिक परामर्श लेने से न झिझकें। एक स्वस्थ महिला ही एक स्वस्थ परिवार और समाज की नींव रख सकती है।”

केयर सीएचएल हॉस्पिटल के एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ. संदीप जुल्का ने महिलाओं के संपूर्ण स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण विचार साझा करते हुए कहा कि, “महिलाओं का योगदान सिर्फ परिवार तक सीमित नहीं है, बल्कि वे समाज के विकास की महत्वपूर्ण आधारशिला भी हैं। विशेष रूप से इंदौर शहर की स्वच्छता में महिला कर्मचारियों की भूमिका सराहनीय है, जो प्रतिदिन शहर को स्वच्छ बनाने में अपना योगदान देती हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महिला दिवस केवल एक दिन तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि हर दिन महिलाओं के योगदान को मान्यता और सम्मान मिलना चाहिए।”

डॉ. जुल्का ने “WOMEN” शब्द को परिभाषित करते हुए बताया कि, “इसके प्रत्येक अक्षर का एक विशेष महत्व है। “W” से Work Up, जिसका मतलब है कि हर महिला को एक निश्चित उम्र के बाद अपनी नियमित जांच करवानी चाहिए, जैसे कि ब्लड शुगर, थायरॉइड, और विशेष रूप से मैनोपॉज और रजोनिवृत्ति के दौरान। “O” से Osteoporosis और Osteomalacia, मतलब विटामिन D की कमी के कारण हड्डियों में कमजोरी और फ्रैक्चर के बढ़ने का खतरा बढ़ सकता है। “M” से Metabolic में कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, पीसीओएस, और प्रेगनेंसी के बाद और पहले ब्लड शुगर से जुड़ी समस्याएं बढ़ सकती है। “E” से Exercise का मतलब है नियमित व्यायाम की आवश्यकता, जो शरीर को तंदरुस्त रखने में मदद करता है। अंत में, “N” से Nutrition का मतलब है सही और संतुलित आहार का सेवन करना, जैसे सोयाबीन, चने, दालें, और अन्य स्वस्थ खाद्य पदार्थ, जो शरीर को ऊर्जा और पोषण प्रदान करते हैं। महिलाओं को इन सभी पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए ताकि वे अपनी दिनचर्या को स्वस्थ और संतुलित तरीके से आगे बढ़ा सकें।

कार्यक्रम में कई महिला मरीजों ने भाग लिया, इस दौरान सभी फीमेल पेशेंट ने अपने जीवन के अनुभव साझा किए, जिससे यह आयोजन न सिर्फ स्वास्थ्य जागरूकता बल्कि महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बना। अंत में मुख्य प्रबंधक श्री मनीष गुप्ता ने आभार व्यक्त किया।

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