- Anil Kapoor starts filming for gripping action drama ‘Subedaar’: New look unveiled
- अनिल कपूर ने अपनी एक्शन ड्रामा ‘सूबेदार’ की शूटिंग शुरू की: एक्टर का नया लुक आया सामने
- Director Abhishek Kapoor reveals title and teaser release announcement for his upcoming film ‘Azaad’
- निर्देशक अभिषेक कपूर ने अपनी आगामी फिल्म ‘आज़ाद’ के टाइटल और टीज़र रिलीज़ की घोषणा की!
- Rockstar DSP’s 'Thalaivane' song from ‘Kanguva’ is a pulsating track with incredible beats
नवरात्र में कैसे करें कलश स्थापना
नवरात्रि महोत्सव विशेष:
डॉ श्रद्धा सोनी
इस साल शरद नवरात्रि का शुभारंभ चित्रा नक्षत्र में मां जगदम्बे के नाव पर आगमन से शुरू हो रहा है।
इस बार प्रतिपदा और द्वितीया तिथि एक साथ होने से मां शैलपुत्री और मां ब्रह्मचारिणी की पूजा एक दिन होगी। ज्योतिषीय गणना के अनुसार 10 अक्टूबर को प्रतिपदा और द्वितीया माना जा रहा है।
पहला और दूसरा नवरात्र दस अक्तूबर को है। दूसरी तिथि का क्षय माना गया है। अर्थात शैलपुत्री और ब्रह्मचारिणी देवी की आराधना एक ही दिन होगी। इस बार पंचमी तिथि में वृद्धि है। 13 और 14 अक्तूबर दोनों दिन पंचमी रहेगी। पंचमी तिथि स्कंदमाता का दिन है।
शारदीय नवरात्रि 2018 में मां दुर्गा का आगमन नाव से होगा और हाथी पर मां की विदाई होगी। बंगला पंचांग के अनुसार, देवी अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आएंगी और डोली पर विदा होंगी।
नवरात्र पर्व प्रथम तिथि को कलश स्थापना (घट या छोटा मटका) से आरंभ होता है. साथ ही नौ दिनों तक जलने वाली अखंड ज्योति भी जलाई जाती है. घट स्थापना करते समय यदि कुछ नियमों का पालन भी किया जाए तो और भी शुभ होता है. इन नियमों का पालन करने से माता अति प्रसन्न होती हैं।
नवरात्र में कैसे करें कलश स्थापना:
अगर आप घर में कलश स्थापना कर रहे हैं तो सबसे पहले कलश पर स्वास्तिक बनाएं. फिर कलश पर मौली बांधें और उसमें जल भरें. कलश में साबुत सुपारी, फूल, इत्र और पंचरत्न व सिक्का डालें. इसमें अक्षत भी डालें।
कलश स्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए।
नित्य कर्म और स्नान के बाद ध्यान करें।
इसके बाद पूजन स्थल से अलग एक पाटे पर लाल व सफेद कपड़ा बिछाएं।
इस पर अक्षत से अष्टदल बनाकर इस पर जल से भरा कलश स्थापित करें।
कलश का मुंह खुला ना रखें, उसे किसी चीज से ढक देना चाहिए।
अगर कलश को किसी ढक्कन से ढका है तो उसे चावलों से भर दें और उसके बीचों-बीच एक नारियल भी रखें।
इस कलश में शतावरी जड़ी, हलकुंड, कमल गट्टे व रजत का सिक्का डालें।
दीप प्रज्ज्वलित कर इष्ट देव का ध्यान करें।
तत्पश्चात देवी मंत्र का जाप करें।
अब कलश के सामने गेहूं व जौ को मिट्टी के पात्र में रोंपें।
इस ज्वारे को माताजी का स्वरूप मानकर पूजन करें।
अंतिम दिन ज्वारे का विसर्जन करें।
कलश स्थापना की सही दिशा:
1. ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) देवताओं की दिशा माना गया है. इसी दिशा में माता की प्रतिमा तथा घट स्थापना करना उचित रहता है।
2. माता प्रतिमा के सामने अखंड ज्योति जलाएं तो उसे आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण) में रखें. पूजा करते समय मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में रखें।
3. घट स्थापना चंदन की लकड़ी पर करें तो शुभ होता है. पूजा स्थल के आस-पास गंदगी नहीं होनी चाहिए।
4. कई लोग नवरात्रि में ध्वजा भी बदलते हैं. ध्वजा की स्थापना घर की छत पर वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) में करें।
5. पूजा स्थल के सामने थोड़ा स्थान खुला होना चाहिए, जहां बैठकर ध्यान व पाठ आदि किया जा सके।
6. घट स्थापना स्थल के आस-पास शौचालय या बाथरूम नहीं होना चाहिए. पूजा स्थल के ऊपर यदि टांड हो तो उसे साफ़-सुथरी रखें।
एक घड़ा या पात्र
घड़े में गंगाजल मिश्रित जल ( जल आधा न हो, केवल तीन उंगली नीचे तक जल होना चाहिए)
घड़े या पात्र पर रोली से ऊं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे लिखें या ऊं ह्रीं श्रीं ऊं लिखें
घड़े पर कलावा बांधें। यह पांच, सात या नौ बार लपटें
घड़े पर कलावा में गांठ न बांधें
कलावा यदि लाल और पीला मिलाजुला हो तो बहुत अच्छा
जौं
काले तिल
पीली सरसो
एक सुपारी
तीन लौंग के जोड़े ( यानी 6 लोंग)
एक सिक्का
आम के पत्ते (नौ)
नारियल ( नारियल पर चुन्नी लपेटे)
एक पान
घट स्थापना की विधि
अपने आसन के नीचे थोड़ा सा जल और चावल डालकर शुद्ध कर लें
इसके बाद भगवान गणपति का ध्यान करें। फिर शंकर जी का, विष्णु जी का, वरुण जी का और नवग्रह का
आह्वान के बाद मां दुर्गा की स्तुति करें। यदि कोई मंत्र याद नहीं है तो दुर्गा चालीसा पढ़ें। यदि वह भी याद नहीं है तो ऊं दुर्गायै नम: का जाप करते रहें
ध्यान रहे, कलश स्थापना में पूरा परिवार सम्मिलित हो। ऊं दुर्गायै नम: ऊं नवरात्रि नमो नम: का जोर से उच्चारण करते हुए कलश स्थापित करें
जिस स्थान पर कलश स्थापित करें, वहां थोड़े से साबुत चावल डाल दें। जगह साफ हो
घड़े या पात्र पर आम के पत्ते सजा दें
पहले जल में चावल, फिर काले तिल, लोंग, फिर पीली सरसो, फिर जौं, फिर सुपारी, फिर सिक्का डालें
अब नारियल लें। उस पर चुनरी बांधें, पान लगाएं और कलावा पांच या सात बार लपेट लें।
नारियल को हाथ में लेकर माथे पर लगाएं और माता की जयकारा लगाते हुए नारियल को कलश पर स्थापित कर दें
कलश स्थापना के लिए मंत्र इस प्रकार है….
नमस्तेsतु महारौद्रे महाघोर पराक्रमे।।
महाबले महोत्साहे महाभय विनाशिनी
या
ऊं श्रीं ऊं
कलश स्थापना पर ध्यान रखें
प्रतिदिन कलश की पूजा करें।
हर नवरात्रि की एक बिंदी कलश पर लगाते रहें।
यदि किसी दिन दो नवरात्रि हैं तो दो बिंदी (रोली की) लगाते रहें कलश की पूजा हर दिन करते रहें और आरती भी
घट स्थापना: सिर्फ एक घंटा दो मिनट
इस बार नवरात्रि घट-स्थापना के लिए बहुतही कम समय प्राप्त हो रहा है। केवल एक घंटा दो मिनट के अंदर ही घट स्थापना की जा सकती है अन्यथा प्रतिपदा के स्थान पर द्वितीया को घट स्थापना होगी। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा। पहली बार नवरात्र की घट स्थापना के लिए काफी कम समय मिल रहा है। यदि प्रतिपदा के दिन ही घट स्थापना करनी है तो आपको केवल एक घंटा दो मिनट मिलेंगे। सवेरे जल्दी उठना होगा और तैयारी करनी होगी। पिछले नवरात्र पर घट स्थापना के लिए मुहूर्त काफी थे , लेकिन कम समय के लिए प्रतिपदा होने से इस बार घट स्थापना के लिए कम समय है।
10 अक्तूबर- प्रात: 6.22 से 7.25 मिनट तक रहेगा ( यह समय कन्या और तुला का संधिकाल होगा जो देवी पूजन की घट स्थापना के लिए अतिश्रेष्ठ है।)
मुहूर्त की समयावधि- एक घंटा दो मिनट
ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: 4.39 से 7.25 बजे तक का समय भी श्रेष्ठ है। 7.26 बजे से द्वितीया तिथि का प्रारम्भ हो जाएगा।
एक और मुहूर्त
यदि किन्हीं कारणों से प्रतिपदा के दिन सवेरे 6.22 से 7.25 मिनट तक घट स्थापना नहीं कर पाते हैं तो अभिजीत मुहूर्त में 11.36 से 12.24 बजे तक घट स्थापना कर सकते हैं। लेकिन यह घट स्थापना द्वितीया में ही मानी जाएगी।
प्रतिपदा तिथि का आरंभ :
9 अक्टूबर 2018, मंगलवार 09:16 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त : 10 अक्टूबर 2018, बुधवार 07:25 बजे
शारदीय नवरात्रि की तिथियां ओर जाने की कोन सा रंग किस दिन है कोनसे रंग के कपडे पहनना चाहिए जो शुभ रहे।
10 अक्टूबर 2018: नवरात्रि का पहला दिन, प्रतिपदा, कलश स्थापना, चंद्र दर्शन और शैलपुत्री पूजन ओर रंग पीला।
11 अक्टूबर 2018: नवरात्रि का दूसरा दिन, द्वितीया, बह्मचारकिणी पूजन ओर रंग हरा।
12 अक्टूबर 2018: नवरात्रि का तीसरा दिन, तृतीया, चंद्रघंटा पूजन ओर रंग ग्रे यानी स्लेटी कलर।
13 अक्टूबर 2018: नवरात्रि का चौथा दिन, चतुर्थी, कुष्मांडा पूजन इस दिन पहने नारंगी कलर जो शुभ रहता है।
14 अक्टूबर 2018: नवरात्रि का पांचवां दिन, पंचमी, स्कंदमाता पूजन ओर रंग सफेद।
15 अक्टूबर 2018: नवरात्रि का छठा दिन, षष्ठी, माँ सरस्वती रंग सफेद ओर माँ कात्यायनी ओर रंग लाल।
16 अक्टूबर 2018: नवरात्रि का सातवां दिन, सप्तमी, माँ कालरात्रि पूजन ओर रंग नीला चाहिए।
17 अक्टूबर 2018: नवरात्रि का आठवां दिन, अष्टमी, महागौरी पूजन, कन्या पूजन ओर गुलाबी रंग के होने चाहिए।
18 अक्टूबर 2018: नवरात्रि का नौवां दिन, नवमी, सिद्धिदात्री पूजन, कन्या पूजन, नवमी हवन, नवरात्रि पारण ओर रंग बैगनी होना चाहिए।
इस नवरात्रि में राजयोग, अमृत योग और सर्वार्थ सिद्धियोग
नवरात्रि के दौरान ग्रहों की स्थिति भी बेहद शुभ है. शुक्र अपने घर में विराजमान है जोकि शुभ स्थिति है. इस बार नवरात्रि में राजयोग, द्विपुष्कर योग, अमृत योग के साथ सर्वार्थसिद्धि और सिद्धियोग का संयोग भी बन रहा है. इन खास संयोग में आराधना और किसी भी नए कार्य की शुरुआत ज्यादा फलदायी रहेगी.।।