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काफी रिसर्च के बाद अब धीमा नहीं होता होम्योपैथी चिकित्सा से इलाज
छोटों बच्चों के इलाज में भी होम्योपैथी चिकित्सा को प्राथमिकता दे रहे हैं पैरेंट्स
अप्लास्टिक एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी को भी ठीक करने में सक्षम है होम्योपैथी चिकित्सा
विश्व होम्योपैथी दिवस आज, लगातार हो रहे रिसर्च के बाद अनेक गंभीर बीमारी के मरीज को शीघ्र फायदा पहुंची रही है होम्योपैथी चिकित्सा
इंदौर। भारत सहित कई देशों में ऐलापैथ जैसी चिकित्सा पद्धति का विकल्प देने वाले चिकित्सक डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन की जयंती पर हर साल 10 अप्रैल को ‘वर्ल्ड होम्योपैथी डे’ मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा में होम्योपैथी के योगदान के बारे में जागरूकता पैदा करना है। इस बार ‘वर्ल्ड होम्योपैथी डे’ बुधवार को मनाया जाएगा। वहीं होम्योपैथी चिकित्सा में लगातार हो रहे रिसर्च के परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। लोगों का विश्वास इस चिकित्सा पर बढ़ा है। होम्योपैथी से धीमे इलाज की भ्रांती भी लोगों में दूर हो रही है। इंदौर के वरिष्ठ होम्योपैथी चिकित्सक एवं केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद्, आयुष मंत्रालय (भारत सरकार) में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. एके द्विवेदी भी लगातार रिसर्च करते हुए होम्योपैथी चिकित्सा से अनेक गंभीर बीमारियों में शीघ्र ही मरीजों को राहत पहुंचा रहे हैं।
डॉ. द्विवेदी के अनुसार होम्योपैथी में सर्जरी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। यह माना जाता है कि शरीर में बीमारियों को ठीक करने की क्षमता होती है और होम्योपैथी दवाएं इस क्षमता को उत्तेजित करने में मदद करती हैं। होम्योपैथी चिकित्सा में लगातार रिसर्च हो रहा है। मेरे द्वारा भी रिसर्च के बाद एडवांस होम्योपैथी अपनाई जाती है और 50 पोटेंसिएल की होम्योपैथी दवा इस्तेमाल की जाती है जिससे मरीजों को शीघ्र लाभ मिलता है और डॉ. द्विवेदी ने लोगों की उस भ्रांति को भी मिटाया जिसमें लोगों मानते थे कि होम्योपैथी चिकित्सा से इलाज धीमा होता है। मेरे पास डेढ़ साल से लेकर 80 साल तक के मरीज भी होम्योपैथी चिकित्सा से उपाचर के लिए आते हैं। इनमें मध्यप्रदेश के आलावा गुजरात, राजस्थान, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र,पंजाब, दिल्ली, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों के मरीज शामिल है। वहीं देश के बाहर से भी अनेक मरीज ऑनलाइन उपचार ले रहे हैं।
डेढ़ साल के बालक का अप्लास्टिक एनीमिया हुए ठीक, अब दवा की भी जरूरत नहीं पड़ती
डॉ. द्विवेदी के अनुसार बिहार दरभंगा के डेढ़ साल के बालक शिवांश को लेकर उसके पैरेंट्स इलाज के लिए लाए थे। जिसे अप्लास्टिक एनीमिया था। बालक के पैरेंट्स उसका इलाज के लिए दिल्ली एम्स तक भी गए थे लेकिन सभी जगह से निराशा ही हाथ लग रही थी। पैरेंट्स काफी परेशान थे। लेकिन मेरे पास आने के बाद बालक का एक से डेढ़ साल होम्योपैथिक उपचार चलने के बाद आज वो पूरी तरह से स्वस्थ है। किसी भी तरह की दवाएं भी नहीं चल रही है। आज वो एक सामान्य जीवन व्यतित कर रहा है।
प्रोसटेट कैंसर पीड़ित 81 साल के मरीज को दिलाई राहत
डॉ. द्विवेदी के अनुसार जबलपुर के 81 वर्षीय बुजुर्ग को प्रोसटेट कैंसर की शिकायत थी। डॉक्टर्स ने उन्हें पेशाब नली डाल दी थी और जीवनभर उसे लगी रहने का कहा था। निराश परिजन मेरे पास होम्योपैथी चिकित्सा से इलाज के लिए उन्हें लेकर आए। मैंने बुजुर्ग को होम्योपैथी चिकित्सा के साथ ही प्राकृतिक चिकित्सा से भी उपाचर दिया। करीब 5-6 दिन के इलाज के बाद ही बेहतर परिणाम देखने को मिले और उनकी पेशाब की नली निकाल दी गई। आज वे स्वस्थ है और सामान्य जीवन जी रहे हैं और स्वतः पेशाब भी कर लेते हैं।
पैरेंट्स भी छोटे बच्चों के इलाज में होम्योपैथी को दे रहे हैं प्राथमिकता
डॉ. द्विवेदी के अनुसार होम्योपैथी में बढ़ते विकास और इलाज के बेहतर परिणाम को देखते हुए छोटी उम्र के बच्चों के पैरेंट्स भी होम्योपैथी चिकित्सा को प्राथमिकता दे रहे हैं। वे अपने बीमार बच्चों का इलाज होम्योपैथी से करवाते हैं। कोरोना काल के दौर में कई बार तो जन्म लेने वाले नवजात को भी होम्योपैथी चिकित्सा से उपचार दिया गया। वहीं होम्योपैथी की गोलियां मीठी होने से बच्चे भी इन्हें आसानी से ले लेते हैं।
डायबिटीज के मरीजों के लिए नॉन स्वीट लिक्विड फॉर्म में उपलब्ध होती है होम्योपैथिक दवाएं
डॉ. द्विवेदी के अनुसार होम्योपैथी के माध्यम से डायबिटीज का उपचार किया जा सकता है। सबसे अच्छी बात यह है कि यदि आप इंसुलिन सहित पारंपरिक या फार्मास्युटिकल दवाएं ले रही हैं, तो उसके साथ होम्योपैथी की दवा ली जा सकती है। वहीं यह एक मिथ है कि मधुमेह के रोगियों को होम्योपैथिक दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये मीठी होती हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि होम्योपैथिक दवाओं में ग्लूकोज नहीं होता है। इसमें कॉम्प्लेक्स शुगर लैक्टोज होता है, जो हानिकारक नहीं होता है। जरूरी होने पर डिस्टिल वॉटर में भी दवाएं दी जा सकती हैं। होम्योपैथिक दवाएं नॉन स्वीट लिक्विड फॉर्म में भी उपलब्ध होती हैं।