विश्व होम्योपैथी दिवस 10 अप्रैल 2024 पर विशेष- इंदौर के वरिष्ठ होम्योपैथी चिकित्सक डॉ एके द्विवेदी का मानना है कि- नवजीवन की आस और जन-जन के विश्वास की चिकित्सा पद्धति ….. होम्योपैथी

डॉ द्विवेदी कहते हैं कि होम्योपैथी, एक ऐसी चिकित्सा पद्धति …… जिसे बच्चे मीठी गोली के लिए पसंद करते हैं तो डाइबिटिक बुजुर्ग इसलिए अपनाते हैं क्योंकि इस पैथी में दवाओं को पानी के साथ आसानी से लिया जा सकता है। युवावर्ग और एलीट क्लास के लोग होम्योपैथी की ओर इसलिए शिफ्ट हो रहे हैं क्योंकि सोशल मीडिया के दौर में अब इस राज से पर्दा हट चुका है कि होम्योपैथिक दवाओं के कोई साइड-इफेक्ट्स नहीं होते हैं। इसलिए होम्योपैथी वर्तमान दौर में जन-जन की आस और विश्वास वाली चिकित्सा पद्धति बन चुकी है।

कई जटिल और असाध्य बीमारियों में जब मरीजों और उनके परिजनों को यह कह दिया जाता है कि अब इस बीमारी का इलाज संभव नहीं है। तब वो होम्योपैथी चिकित्सक के पास इस उम्मीद के साथ आते हैं कि यही वह जगह है जहाँ उन्हें नवजीवन मिल सकता है और उसकी उम्मीद पर खरा उतरता है वह होम्योपैथी चिकित्सक जिसन हैनिमैन से शुरू हुई और कई पीढ़ियों से गुजरती होम्योपैथी जैसी जनहितकारी चिकित्सा पद्धति सहेज कर रखी है। वो न केवल मरीज में फिर से जिंदगी की उम्मीद जगाता है बल्कि अधिकांश मामलों में उसे स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर मरीज और उसके परिजनों के जीवन में फिर से खुशियों के रंग भर देता है।

ऑटो इम्यून डिसॉर्डर, एवीएन और कैंसर में लाभकारी
जब शरीर को किसी वायरस या संक्रमण से खतरा महसूस होता है, तो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली सक्रिय हो जाती है और उस पर हमला कर देती है। इसे प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया कहा जाता है। मगर ऑटोइम्यून डिसॉर्डर में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी और बाहरी कोशिकाओं के बीच अंतर नहीं कर पाती है। इससे शरीर गलती से सामान्य कोशिकाओं पर हमला कर देता है। इस जटिल समस्या से भारत सहित विश्व के अनेक देशों के लोग परेशान हैं। इसका कोई प्रचलित इलाज अभी तक नहीं मिल सका है। मुख्य रूप से 80 से अधिक प्रकार की ऑटोइम्यून बीमारियां हैं जो शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित करती हैं। मगर अब इन बीमारियों पर होम्योपैथी कारगर सिद्ध हो रही है।

रूमेटोइड गठिया और ल्यूपस का प्रभावी उपचार
रूमेटोइड गठिया, ल्यूपस एरिथेमेटोसस (ल्यूपस) समेत अनेक जटिल बीमारियों में होम्योपैथी ट्रीटमेंट काफी उपयोगी सिद्ध हो रहा है। ल्यूपस होने पर शरीर में ऑटोइम्यून एंटीबॉडी विकसित करते हैं जो पूरे शरीर के ऊतकों से जुड़ सकते हैं। यह बीमारी अक्सर आपके जोड़ों, फेफड़ों , रक्त कोशिकाओं , नसों और गुर्दे पर हमला करती है । कुछ आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों में प्रचलित उपचार नहीं होने से रोगी काफी निराश हो जाते हैं मगर उन्हें भी होम्योपैथी चिकित्सा में आशानुरूप परिणाम देखने को मिलते हैं।

सूजन और आंत्ररोगों पर भी पुरअसर
सूजन और आंत्र रोग (आईबीडी) से रोगी को दस्त, मलाशय से रक्तस्राव, तत्काल मलत्याग, पेटदर्द , बुखार और वजन कम होने की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अल्सरेटिव कोलाइटिस और क्रोहन रोग आईबीडी के दो मुख्य रूप हैं। होम्योपैथी पद्धति में प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर कर इनका इलाज आसानी से किया जा सकता है। मल्टीपल स्केलेरोसिस बीमारियों में दर्द, अंधापन, कमजोरी और मांसपेशियों में ऐंठन जैसी समस्याएं आम हैं। इसके लिए दी जाने वाली कुछ दवाओं के दुष्प्रभावों से लोग बहुधा परेशान हो जाते हैं। इसकी रोकथाम में भी होम्योपैथी चिकित्सा बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, बशर्ते मरीज की बीमारी ज्यादा न बढ़ी हो और मल्टीपल ऑर्गन इफ्फेक्टेड न हों। इसी तरह सोरायसिस और ओस्टियो नेक्रोसिस जैसी त्वचा और हड्डी संबंधी खतरनाक बीमारियों में भी होम्योपैथी चिकित्सा के बहुत अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। है, वह स्थिति होती है जब खून की आपूर्ति के कमी के कारण हड्डी के भाग नष्ट होने लगते हैं। ओस्टियो नेक्रोसिस के कई ऐसे मरीजों को भी होम्योपैथी चिकित्सा का लाभ मिला है जिन्हें फाइनली ट्रांसप्लांट का विकल्प अपनाने की सलाह दी गई थी।

कैंसर का पैलिएटिव एवं सपोर्टिव इलाज
कैंसर में कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और ऑपरेशन के बाद भी ठीक नहीं होने पर मरीज होम्योपैथी चिकित्सक के पास आते हैं। मरीज की बीमारी के स्टेज के आधार पर जब ठीक होने की सम्भावना कम हो जाती है तब होम्योपैथी चिकित्सा में पैलिएटिव एवं सपोर्टिव इलाज किया जाता है। होम्योपैथी चिकित्सा अपनाकर मरीज न केवल बार-बार रक्त चढ़ाने से छुटकारा पा जाते हैं बल्कि शरीर में रक्त के सामान्य होने से रक्त संबंधित परेशानियों से छुटकारा पाकर सामान्य जीवन भी जीते हैं। गले अथवा मुँह के कैंसर में जब मरीज भोजन का निवाला तक नहीं निगल पाते हैं, उस परिस्थिति में भी होम्योपैथी चिकित्सा से उन्हें आराम मिल जाता है। प्रोस्टेट कैंसर के ऑपरेशन के बाद भी जब मरीज को पेशाब के रास्ते में कैथेटर लगा दिया जाता है तब भी कई मरीजों को होम्योपैथी चिकित्सा अपनाने से कैथेटर से भी छुटकारा मिल जाता है। ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों में हाथ में आने वाली सूजन एवं दर्द को कम करने में भी होम्योपैथी चिकित्सा काफी प्रभावी सिद्ध हो रही है। गाल ब्लैडर कैंसर में जब मरीज का ऑपरेशन नहीं किया जा सकता है, उस स्थिति में भी होम्योपैथी चिकित्सा राहत प्रदान करती है।


डॉ एके द्विवेदी, योशिभूमि नई दिल्ली में आयोजित विश्व होम्योपैथी दिवस के कार्यक्रम में दिनांक 10 एवं 11अप्रैल को शामिल भी होंगे
जिसकी मुख्य अतिथि होंगी भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मूर्मू जी
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डॉ. ए.के. द्विवेदी
सदस्य – वैज्ञानिक सलाहकार मंडल, सी सी आर एच,आयुष मंत्रालय (भारत सरकार)

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