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अपोलो हॉस्पिटल्स, इंदौर घुटनों और कूल्हे के प्रतिस्थापन के लिए भारत का पहला डे केयर सेंटर हैं, जहाँ प्रतिस्थापन के बाद उसी दिन मरीज को डिस्चार्ज कर दिया जाता है
यहाँ मध्यभारत का पहला और देश का दूसरा सफल कूल्हे की हड्डी का सम्पूर्ण प्रतिस्थापन किया गया
1 दिसम्बर 2020, राष्ट्रीय: अपोलो हॉस्पिटल्स, इंदौर ने आज घुटने और कूल्हे के प्रतिस्थापन के लिए देश का पहला डे केयर सेंटर बनकर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है, जहाँ प्रतिस्थापन के बाद उसी दिन मरीज को डिस्चार्ज कर दिया जाता है। तीन साल से दोनों कूल्हे के जोड़ों में गंभीर दर्द से पीड़ित 30 वर्षीय महिला पर की गई यह डे केयर हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी, मध्यभारत में पहली और देश में दूसरी बार की गई डे केयर हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी है।
इस सर्जरी में प्रोस्टेटिक घटकों के साथ क्षतिग्रस्त बाएं कूल्हे के जोड़ को बदलना था। इस जटिल सर्जरी के बाद मरीज को हॉस्पिटल में एडमिट होने के 12 घंटे से कम समय में उसी शाम अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। यह पारंपरिक सर्जरी से कहीं बेहतर है, जिसमें मरीज को सर्जरी के बाद की देखभाल के लिए एक सप्ताह से दस दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ता है।
12 घंटे से भी कम समय में डिस्चार्ज होने के कारण अस्पताल में रहने के दौरान होने वाले इंफेक्शन का खतरा भी कम हो जाता है। इस माइलस्टोन के साथ इंदौर स्थित अपोलो हॉस्पिटल्स, भारत और दुनिया के कुछ हिस्सों में डे केयर (घुटने और कूल्हे) की संयुक्त रिप्लेसमेंट करने वाला एकमात्र केंद्र बन गया है।
अपोलो ग्रुप हॉस्पिटल्स के प्रेसीडेंट डॉ के हरि प्रसाद ने कहा, “रोगियों को सर्वोत्तम सेवाएं प्रदान करने में मदद करने वाली अत्याधुनिक चिकित्सा तकनीक लाने में अपोलो हॉस्पिटल्स हमेशा अग्रणी रहा हैं। मिनिमली इनवेसिव या रोबोटिक सर्जरी और बेहतर दर्द प्रबंधन विधियों जैसी बेहतर सर्जिकल तकनीकों के कारण अब मरीजों की रिकवरी पहले से अधिक तेज़ और आसानी से होती है। इससे रक्त और मांसपेशियों को भी कम नुकसान होता है।
इन आधुनिक चिकित्सा तकनीकों से घुटने और कूल्हे के प्रतिस्थापन जैसी कुछ वैकल्पिक प्रक्रियाओं पर रोगी की सर्जरी संभव हो जाती है। अध्ययन से पता चलता है कि अगले दशक में मरीज के टोटल जॉइंट रिप्लेसमेंट में घुटने के प्रतिस्थापन 457% और कूल्हे के प्रतिस्थापन 633% बढ़ने की उम्मीद है। 2027 तक, 50% से अधिक जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी में मरीज को उसी दिन अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।
सफल डे-केयर जॉइंट रिप्लेसमेंट के लिए उचित रोगी का चयन और शिक्षा, मल्टीमॉडल प्रोटोकॉल महत्वपूर्ण हैं। जोड़ प्रतिस्थापन में उसी दिन डिस्चार्ज होने से स्वास्थ्य देखभाल की लागत भी कम होगी। हमें गर्व है कि अपोलो हॉस्पिटल्स, इंदौर घुटने और कूल्हे के प्रतिस्थापन के लिए देश का पहला डे केयर सेंटर बन चूका है।”
पिछले तीन वर्षों से दोनों कूल्हे के जोड़ों में गंभीर दर्द से पीड़ित राजस्थान की एक 30 वर्षीय महिला को अपोलो अस्पताल, इंदौर रेफर किया गया था। उसका बायाँ पैर लगभग 3 सेमी छोटा हो गया था और दर्द इतना बढ़ चूका था कि वे ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। विभिन्न स्थानों पर उपचार से कोई राहत नहीं मिलने के बाद, वह 15 सितंबर 2020 को डॉ सुनील राजन से परामर्श लेने के लिए अपोलो अस्पताल, इंदौर आईं।
अपोलो हॉस्पिटल्स, इंदौर के अपोलो इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स में ऑर्थोपेडिक एंड हिप, जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ सुनील राजन ने कहा, ” मरीज की दोनों जांघों की बॉल में एवस्कुलर एरोसिस था, जिसके लिए उन्हें कूल्हे जोड़ों के प्रतिस्थापन की सलाह दी गई थी। पहले बाएं हिस्से को बदलने का निर्णय लिया गया क्योंकि यह अधिक क्षतिग्रस्त था। कोविड महामारी के कारण भर्ती होने और ऑपरेशन करवाने में डर के कारण, उन्हें “डे केयर टोटल हिप रिप्लेसमेंट” का विकल्प प्रदान किया गया था, जिसमें उन्हें सर्जरी के बाद उसी दिन डिस्चार्ज किया जाता और उन्हें रात भर अस्पताल में रहने की आवश्यकता नहीं होगी।”
डॉ सुनील राजन ने इस प्रक्रिया के बारे में बताते हुए कहा, “डे-केयर सर्जरी की सफलता के लिए सर्जरी के पहले की जाने वाली सभी तैयारियां बेहद महत्वपूर्ण होती है। कार्डियोलॉजिस्ट और एनेस्थेसियोलॉजिस्ट की एक टीम ने सर्जरी शुरू करने से पहले एनेस्थीसिया और सर्जरी के लिए मरीज की फिटनेस से जुड़े जरुरी टेस्ट और तैयारियां की। उनकी मंजूरी के बाद, सर्जरी के लिए 19 नवंबर 2020 का दिन तय किया गया।
सर्जरी से एक दिन पहले, टीम के दो सदस्यों ने मरीज के घर जाकर उनके बिस्तर की ऊंचाई, वेस्टर्न टॉयलेट की उपलब्धता, बाथरूम में सहारे के लिए हैंडल्स और घर में वॉकर के साथ चलने की जगह जैसी चीजों की जानकारी ली ताकि सर्जरी के बाद मरीज आराम से अपनी घर पर रहते हुए जल्दी रिकवर हो पाएं।
रोगी के कमरे और उससे जुड़े वॉशरूम को सर्जरी से एक दिन पहले कीटाणुरहित कर सर्जरी के बाद मरीज के वापस आने तक बंद कर दिया गया था। रोगी और उसके परिवार या परिचारकों को हाथ स्वच्छता के बारे में प्रशिक्षित किया गया था, जिसका उन्हें सर्जरी के बाद पालन करना होगा। रोगी को घर पर सर्जरी से पहले की जाने वाली सफाई के बारे में सिखाया गया था।”
सर्जरी के बारे में बताते हुए, डॉ सुनील राजन ने कहा, “मरीज को सुबह 6.30 बजे भर्ती कराया गया और सुबह 8 बजे ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया। एनेस्थेसियोलॉजिस्ट डॉ जयेश जजोदिया ने ऑपरेशन के बाद मरीज को जल्दी डिस्चार्ज करने हेतु जनरल एनेस्थीसिया का उपयोग करने का निर्णय लिया।
डे-केयर सर्जरी के मद्देनज़र मरीज के लिए किसी तरह की ट्यूब्स और ड्रेंस उपयोग नहीं किया जा सकता था इसलिए विशेष सावधानियां रखने के साथ ही पर्याप्त दर्द निवारक और अन्य जरुरी दवाइयां दी गई। सर्जरी को एक घंटे से भी कम समय में सफलतापूर्वक पूरा किया गया और मरीज को रिकवरी के लिए स्थानांतरित कर दिया गया। वे सर्जरी के दो घंटे बाद तरल पदार्थ लेने में सक्षम थीं और एक बार जब उनकी आंतों गतिशीलता वापस आ गई, तो उन्हें