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अपोलो हॉस्पिटल्स, इंदौर ने शुरू किया मध्य भारत का पहला रोबोटिक असिस्टेड जॉइंट रिप्लेसमेंट प्रोग्राम
इंदौर, जुलाई, 2021: अपोलो हॉस्पिटल्स, इंदौर ने मध्य भारत की पहली पूर्ण रूप से रोबोट की मदद से काम करने वाली जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी यूनिट शुरू की है, यह इस क्षेत्र के जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी के इतिहास में एक एक बड़ी उपलब्धि है। इस यूनिट में जोड़ों की जटिल बीमारियों वाले रोगियों को रोबोटिक असिस्टेड जॉइंट रिप्लेसमेंट की सुविधा दी जाएगी। रोबोट-असिस्टेड जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी यूनिट उन्नत बहुमुखी नैविओ रोबोटिक सर्जिकल सिस्टम और एक समर्पित टीम से लैस है, जिसका नेतृत्व सीनियर कंसल्टेंट, डिपार्टमेंट ऑफ आर्थोपेडिक्स एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट और रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी यूनिट के हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ. सुनील राजन करेंगे।
रोबोटिक सिस्टम में एक उन्नत कंप्यूटेड प्रोग्राम है जो 3डी मैपिंग के साथ घुटने के बारे में सटीक जानकारी देता है। टेक्नोलॉजी के प्रयोग के कारण कम दर्द, कम रक्तस्राव, हड्डी तराशने में सटीकता और इम्प्लांट का ज्यादा अच्छी तरीके से पोजीशन और अलाइनमेंट हो पाता है। इसकी वजह से घुटने और कूल्हे रिप्लेसमेंट के बाद सामान्य घुटने और कूल्हे की तरह काम करने लगते हैं फिर वह चाहे पार्शियल रिप्लेसमेंट हो या फिर टोटल।
अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप के प्रेसिडेंट डॉ. हरिप्रसाद ने कहा, “ऑस्टियोआर्थराइटिस भारत में एक बढ़ती स्वास्थ्य चिंता है, जिसकी प्रसार दर 22 से 39 फीसदी के बीच है। ऐसे रोगियों में दर्द और चलने में होने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए ज्वाइंट रिप्लेसमेंट ही समाधान है। हमारा विजन हमेशा से अपने मरीजों को लाभ पहुंचाने के लिए भारत में सबसे उन्नत चिकित्सा तकनीक लाने का रहा है। अपोलो इंदौर देश का पहला केंद्र था जिसने डे केयर में घुटने और कूल्हे दोनों के जोड़ को बदला और इस पथ पर आगे बढ़ते हुए अब रोबोटिक्स का लाभ मिलने जा रहा है। हमें खुशी है कि यह इस क्षेत्र में अपनी तरह का पहला है और रोगी को इस तकनीक से अत्यधिक लाभ होगा।”
अपोलो हॉस्पिटल, इंदौर के सीनियर कंसल्टेंट और रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट प्रोग्राम के हेड डॉ. सुनील राजन ने बताया कि “नैविओ सर्जिकल सिस्टम अत्यधिक विश्वसनीय है और दुनिया भर में प्रमुख जॉइंट रिप्लेसमेंट सेंटर द्वारा उपयोग किया जाता है। रोबोटिक प्रणाली को यह सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है कि कृत्रिम घुटने को मिलीमीटर एक्यूरेसी के साथ स्थापित किया जा सकें। यह प्रणाली सर्जन को 100% सटीकता के साथ प्रत्यारोपण करने में सक्षम बनाती है। सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें हड्डी नहीं काटना पड़ती है। रोबोटिक हाथ स्वचालित रूप से सही मात्रा को हटा देता है, जैसे डायमंड पॉलिशिंग की जाती है। रोबोटिक्स यह भी सुनिश्चित करता है कि इस प्रक्रिया के दौरान कम से कम मात्रा में लिगामेंट रिलीज हो, जिससे की पेशेंट के कृत्रिम घुटने भी ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक घुटने की तरह ही काम कर सकें।
डॉ. राजन ने बताया कि, हमारा रोबोटिक कार्यक्रम वेरिलास्ट तकनीक के साथ आएगा। वेरिलास्ट एक सफल नी इम्प्लांट इनोवेशन है जो 30 वर्षों तक परीक्षण की गई एकमात्र नी इम्प्लांट लैब होने के कारण सुरक्षा और विश्वसनीयता के लाभों के साथ आता है। वेरिलास्ट और रोबोटिक्स की सटीकता का ये मेल हमारे रोगियों की रिकवरी और जीवन की गुणवत्ता में काफी वृद्धि करेगा। मुझे बहुत खुशी है कि हमारे पेशेंट्स को अमेरिका या यूरोप के सर्वश्रेष्ठ केंद्रों की तुलना में यह सुविधा इंदौर में बेहद कम कीमत पर मिल पाएगी।