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भूमि ने भारत के क्लाइमेट चैम्पियन के रूप में वैश्विक नागरिक पहल ‘काउंट अस इन’ के साथ भागीदारी की!

यंग बॉलीवुड स्टार भूमि पेडणेकर भारत में एक ऐसी ताकतवर और बुलंद आवाज बन चुकी हैं, जो जलवायु परिवर्तन की तरफ लगातार लोगों का ध्यान खींच रही हैं। पर्यावरण की दृष्टि से सचेत नागरिक भूमि ने एक बहु-प्रशंसित ऑनलाइन एवं ऑफलाइन पहल ‘क्लाइमेट वारियर’ शुरू की थी, जिसके माध्यम से वह पर्यावरण का संरक्षण करने में योगदान देने के लिए भारत के नागरिकों को एकजुट कर रही हैं।
अब भूमि वैश्विक नागरिक पहल काउंट अस इन का सक्रिय हिस्सा बनेंगी, जिसे विविध प्रकार के संगठन-समूहों ने मिलकर प्रारंभ किया है और जो पूर्व यूएन क्लाइमेट प्रमुख क्रिस्टीयाना फिगरर्स के सहयोग पर निर्भर है। भूमि को स्टबर्न ऑप्टिमिस्ट के तौर पर नियुक्त किया गया है – एक ऐसी क्लाइमेट चैम्पियन, जो भारतीयों को अपना कार्बन फुटप्रिंट घटाने के लिए शिक्षित एवं प्रेरित करने हेतु उनके साथ करीबी से काम करेंगी। पूरे देश में भारतीयों को जोड़ने तथा शिक्षित करने के लिए भूमि की पहल ‘क्लाइमेट वारियर’ वैश्विक नागरिक पहल ‘काउंट अस इन’ के साथ बेहद निकटता से काम करेगी।
भूमि कहती हैं, “पर्यावरण को संरक्षित करना मेरी जिंदगी का मिशन बन चुका है और मैं जलवायु परिवर्तन को लेकर भारत में ज्यादा से ज्यादा जागरूकता पैदा करने के लिए ‘काउंट अस इन’ के साथ भागीदारी करके रोमांचित हूं। क्रिस्टीयाना फिगरर्स एक ऐसी प्रेरणादायक शख्सियत हैं, जिन्होंने इस ग्रह यानी हमारी धरती को बचाने के लिए अपनी जिंदगी समर्पित कर दी है।
मैं इस मुद्दे पर उनके साथ अपने देश में काम करने की उत्सुक हूं। मेरा मानना है कि भारत के युवाओं के लिए इस नाजुक मसले को लेकर खड़ा होना और आगे कदम बढ़ाना बेहद महत्वपूर्ण है। हम सबको हाथ मिला कर चलना होगा और अपने प्लैनेट की रक्षा करने की दिशा में लगातार काम करना होगा, क्योंकि ईमानदारी की बात तो यह है कि हमारे पास कोई प्लैनेट बी नहीं है।“
“विज्ञान ने जो करना जरूरी बताया है, उस पर अमल करने के लिए हमारे पास एक दशक से भी कम का वक्त बचा है, और वह काम है- वर्ष 2030 तक उत्सर्जन को आधा करना”- यह कहना है पूर्व यूएन क्लाइमेट प्रमुख क्रिस्टीयाना फिगरर्स का। बता दें कि जलवायु परिवर्तन को लेकर ऐतिहासिक पेरिस एग्रीमेंट फिगरर्स की देखरेख में ही संपन्न हुआ था।
वह आगे कहती हैं, “जलाने और नष्ट करने के बजाए पुनर्निर्माण और पुनरुत्पादन वाली अर्थव्यवस्था में तब्दील होना पूरी तरह से मुमकिन है। जलवायु परिवर्तन हम सबको इस क्षण भी प्रभावित कर रहा है और इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, इससे निपटने के लिए हमारे पास एजेंसी मौजूद है।“
‘काउंट अस इन’ और भूमि की पहल ‘क्लाइमेट वारियर’ लोगों तथा स्थानीय संगठनों को समझाने-बुझाने और उनको सुसज्जित करने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगी। लोगों को एक ऐसे आंदोलन का हिस्सा बनाना इनका साझा उद्देश्य होगा, जो बहुत देर हो जाने से पहले उनकी प्यारी चीजों को जलवायु परिवर्तन से बचा रहा है।
‘काउंट अस इन’ लोगों और संगठनों का एक ऐसा समुदाय है, जो अपनी प्यारी चीजों को जलवायु से बचाने के लिए व्यावहारिक कदम उठाते हैं। अगले दशक के दौरान यह संस्था पूरे विश्व में 100 करोड़ लोगों को प्रेरित करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। यह प्रेरणा लोगों को बड़े पैमाने पर उनका कार्बन प्रदूषण घटाने तथा वैश्विक प्रणालियों में बदलाव लाने के लिए नेताओं को साहसपूर्ण कदम उठाने हेतु मजबूर करने की दिशा में दी जाएगी।