- सोनिक द हेजहॉग 3’ में अपनी भूमिका के बारे में जिम कैरी ने मजाक में कहा, ‘‘मुझे बहुत देर से अहसास हुआ कि मैं एक ही भुगतान के लिए दोगुना काम कर रहा था’’
- “Until I realized I was doing twice the work for the same pay,” says Jim Carrey jokingly about his role in Sonic the Hedgehog 3
- स्टेबिन बेन से लेकर अरिजीत सिंह तक: 2024 के यादगार लव एंथम देने वाले सिंगर्स पर एक नज़र!
- अक्षय कुमार और गणेश आचार्य ने "पिंटू की पप्पी" फ़िल्म का किया ट्रेलर लॉन्च!
- Sonu Sood Graced the Second Edition of Starz of India Awards 2024 & Magzine Launch
बढ़ते प्रदूषण व तापमान से पर्यावरण पर गहरा रहा संकट, विकलांगता से लेकर बढ़ती बीमारियां इसी का असर
पर्यावरण संकट का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तर की कांफ्रेंस का समापन
इंदौर. ‘भारत में पहली बार पर्यावरण संकट का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तर की कांफ्रेंस का समापन हुआ। स्वस्थ्य पर्यावरण के बीच मांडव रिसोर्ट में कांफ्रेंस के दूसरे दिन राउंड टेबल परिचर्चा का आयोजन हुआ।
कांफ्रेंस के आर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. रामगुलाम राजदान ने बताया कि चर्चा में इंडियन साइकेट्री सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार व सोसायटी के सचिव डॉ. अरविंदा ब्रह्मा, इंदौर स्कूल ऑफ सोशल साइसेंस के आनंद गौड़ व मनाेरोग विशेषज्ञ और प्रतिभागी शामिल हुए।
चर्चा में यह बात सामने आई कि धरती का तापमान और प्रदूषण स्तर बढ़ने से मृत्युदर और विकलांगता के मामले बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही अन्य शारीरिक बीमारियां जैसे हृदय रोग, फेफड़ों संबंधित बीमारियां बढ़ रही है। मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। मानसिक तनाव, अवसाद व अनिद्रा, याददाश्त व बुद्धिमता में कमी जैसी परेशानी बढ़ रही है। साथ ही आत्महत्या क लगातार बढ़ते मामले भी पर्यावरण और मानसिक स्वास्थ्य के बीच बिगड़ते तालमेल का ही एक कारण है।
इंडियन साइकेट्री सोसायटी के सचिव डॉ. ब्रह्मा ने बताया कि पर्यावरण की वजह से उन्होंने अपनी रिसर्च में पाया है कि ब्रह्मपुत्र के सुंदरवन में धीरे-धीरे समुद्र जल स्तर बढ़ने से टापू डूब रहे हैं। समुद्री तटों से लगे कई क्षेत्रों पर भी खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में जल्द ही पर्यावरण को संभालना जरूरी है, ताकि पूरी मानव जाति के अस्तित्व पर आया संकट टाला जा सके।
परिचर्चा के अंत में छात्रों की जिज्ञासाओं को भी शांत किया। दो दिवसीय कांफ्रेंस में विषय विशेषज्ञों द्वारा इसी समस्या से जुड़े तमाम पहलुओं पर विचार-विमर्श किया गया। साथ ही यहां से निकले तमाम सुझाव प प्रयासों को अंतराष्ट्रीय पटल पर रखेंगे।