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भविष्य में मध्यप्रदेश के मरीजों को उच्च तकनीकी उपकरणों से जांच के पश्चात् रक्त एवं रक्ताधान की प्रक्रिया को तकनीकी प्रणाली से जोडकर सुरक्षित रक्त आसानी से उपलब्ध कराने हेतु प्रयास किये जा रहे है- डॉ. रूबी खान (डीप्युटी डायरेक्टर स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन कोंसिल मध्य प्रदेश )
मध्यप्रदेश में रक्तदान की स्थिति एवं सुरक्षित रक्ताधान के संबंध में
डॉ. रूबी खान (डीप्युटी डायरेक्टर स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन कोंसिल मध्य प्रदेश ) ने बताया कि एक सुसंगठित ब्लड ट्रांसफ्यूजन सर्विस (BTS) किसी भी हेल्थ केयर डिलीवरी सिस्टम के लिये एक महत्वपूर्ण अंग होता है। आमजन को पर्याप्त एवं सुरक्षित रक्ताधान उपलब्ध कराया जाने एवं रक्ताधान के दौरान संक्रमण रहित सुरक्षित रक्त हेतु सही रणनीति की जरूरत होती है। एक सही रणनीति का प्रमुख घटक स्वैच्छिक रक्तदाता से प्राप्त रक्त युनिट जिसकी रक्त से फैलने वाली बिमारियों की जांच की गई हो एवं निःशुल्क रक्तदान ही है।
हमारे देश में रक्त सेवायें अत्याधिक विकेन्द्रित होने के साथ अनेक महत्वपूर्ण संसाधन जैसे- पर्याप्त अधोसंरचना, कुशल मानव संसाधन एवं वित्तीय संसाधनों की कमी से ग्रस्त है। देश के रक्त सेवाओं के सिस्टम में बिखरा हुआ प्रबंधन एक मुख्य समस्या है। इसके मानक एक राज्य से दुसरे राज्य, एक शहर से दुसरे शहर और यहां तक की एक ही शहर में एक सेंटर से दुसरे सेंटर में अलग-अलग है। ब्लड काम्पोनेंट की सुविधा एवं उपलब्धता बहुत ही सीमित है एवं केवल बढे शहरों में ही उपलब्ध है। इसके साथ ही ट्रांसफ्यूजन मैडिसिन के क्षेत्र में कुशल हेल्थ केयर के प्रोफेशनलों की भी कमी है।
रक्त एवं रक्त सबंधी उत्पादों की गुणवत्ता, सुरक्षा एवं समुचित उपयोग के लिये पूर्णः आधुनिक सुसज्जित ब्लड सेंटर, पर्याप्त इंफ़्राटेक्चर एवं कुशल मानव संसाधन होना अत्याधिक आवश्यक है। सर्वोच्च सुरक्षा पाने के लिये क्वालिटी मेनेजमेंट सिस्टम एवं आधुनिक उपकरणों के साथ रक्ताधान सेवायें प्रदान करना एक बढी चुनौती है इस लिये एक राष्ट्रीय ब्लड पोलिसी एवं नेशनल ब्लड प्रोग्राम बनाने की आवश्यकता है। जिसके लिये माननीय सर्वोच्च न्यालय द्वारा 1996 में दिये गये निर्देशों के परिपालन में राष्ट्रीय रक्तधान परिषद् एवं राज्य रक्तधान परिषद् की स्थापना की गई।
ऐसा अनुमान है कि भारत में बडे पैमाने पर मातृ मृत्यु का मुख्य कारण पोस्टपार्टम हेमरेज है। जिसे आसानी से रक्तधान की मदद् से कम किया जा सकता है। हालाकि सुरक्षित रक्त की पहुच को पूरे देश में सुनिश्चित करना एक बडा मुदद् है जो कि इस कोरोना महामारी के समय और तेजी से सामने आया क्योकि देशभर में चलते लॉकडाउन और कोविड संक्रमण के डर की वजह से स्वैच्छिक रक्तदाता की संख्या में तेजी से कमी हुई है।
ये सामान्य तथ्य है कि एक ब्लड बैग से 3 ब्लड कॉम्पोनेंटस तैयार किये जाते है और उन्हे मरीज की आवश्यकता के अनुसार वितरित किया जाता है। एकत्रित किया गया अधिकांश रक्त, नियमित रूप से थैले सिमिक, सिकिल सेल एनीमिया मरीजों में, बच्चों के जन्म के दौ रान, चुनिदा सर्जरी से गुजर रहे मरीजों और एक्सीडेंट ग्रस्त के लिये किया जाता है। लेकिन रक्त की कमी से यह मरीज प्रभावित होते है। अधिक संख्या में ब्लड बैंक खोलना ही इस समस्या का समाधान नहीं है बल्कि आम जनता में रक्तदान के प्रति जागरूकता फैलाकर रक्तदान के प्रति प्रोत्साहित कर रक्त की कमी को दूर किया जा सकता है। इसके साथ ही हमें ब्लड बैंक के साथ बेहतर समन्वय बनाने की भी जरूरत है जिससे मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर का सही प्रबंधन किया जा
जबकि इसकी तुलना में वर्ष 2019-20 में कलेक्शन 550830 यूनिट्स तक था। ब्लड कलेक्शन में यह कमी कोविड-19 महामारी की स्थिति से उत्पन्न हुई। जिसके लिये राज्य सरकार ने स्वैच्छिक ब्लड डोनेशन और ब्लड सेफ्टी को बढाने के लिये कई बडे कदम उठाए। शासन द्वारा 45 जिला चिकित्सालयों में ब्लड कलेक्शन एवं ट्रांसपोर्टेशन वैन उपलब्ध कराया गया। प्रदेश में सिकिल सेल एनीमिया, थैलेसिमिया एवं हिमोग्लोबिनोपैथी के मरीजों को सुरक्षित रक्त उपलब्ध कराने हेतु हब एंड स्पोक माडल के माध्यम से जिला चिकित्सालयों में NAAT टेस्टिंग सुविधा उपलब्ध कराने हेतु राज्य के 02 मेडिकल कॉलेज, गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल एवं एम वाय मेडिकल कॉलेज इंदौर में NAAT टेस्ंटिंग लैब स्थापित की गई है। NAAT टेस्ंटिंग एक उच्च तकनीकी जांच है जिसमें वायरल एक्सपोजर और डिटेक्शन के बीच के समय में संक्रमण काल (Window Period) में भी संक्रमण का पता लगाया जा सकता है।
भविष्य में मध्यप्रदेश के मरीजों को उच्च तकनीकी उपकरणों से जांच के पश्चात् रक्त एवं रक्ताधान की प्रक्रिया को तकनीकी प्रणाली से जोडकर सुरक्षित रक्त आसानी से उपलब्ध कराने हेतु प्रयास किये जा रहे है।