जीएवीआई पुरस्कार से सम्मानित इम्यूनिफाई ने लॉन्च किया एप

भारत में टीकाकरण की बड़ी रिक्ति को भरने की होगी कोशिश

इंदौ. वर्तमान में पांच वर्ष से कम उम्र बच्चों की असामयिक मृत्यु के मामले में भारत, दुनिया में सबसे अधिक संख्या के बोझ को झेल रहा है। आंकड़ों के अनुसार 2018 में भारत में कुल 8.8 लाख बच्चे मौत के मुंह में समा चुके हैं. इनमें से अधिकांश बच्चे समय पर निर्धारित टीकाकरण न होने के कारण काल का ग्रास बन गए।

इन भयावह आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए इम्यूनिफाई मी हेल्थकेयर टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड ने वेब इंटरफेस, मोबाइल एप और स्मार्ट कार्ड के साथ एक क्लाउड बेस्ड इकोसिस्टम लॉन्च किया है जो कि बच्चों और शिशुओं को ऐसे रोगों से बचाने के लिए सुरक्षा प्रदान करेगा जिनके लिए टीकाकरण उपलब्ध है.

साथ ही यह इन टीकों का रिकॉर्ड रखने की व्यवस्था भी करेगा। देश में इम्यूनिफाई मी ही एकमात्र ऐसी प्राइवेट कम्पनी है जो कि टीकाकरण की महत्वपूर्ण प्रक्रिया के बीच आये इस खाली स्थान को भरने की दिशा में पूरा ध्यान केंद्रित किये हुए है।

इम्यूनिफाई मी को 2018 में वैश्विक स्तर पर ख्यात जीएवीआई इंफ्यूज़ इनोवेशंस द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका है तथा बर्लिन में 2018 में सम्पन्न वर्ल्ड हेल्थ समिट में इम्यूनिफाई मी ने टॉप 10 इनोवेशंस में जगह पाई थी. कुछ ही समय पूर्व प्रारम्भ हुई इस कम्पनी ने अपने बेहतर काम और सेवाओं के जरिये इसी वर्ष (2018) में स्टार्टअप थाईलैंड में टॉप ग्लोबल इम्पैक्ट परफॉर्मर का पुरस्कार भी अपने नाम किया।

नए एप की लॉन्चिंग के अवसर पर सम्बोधित करते हुए श्री नीरज मेहता, सीईओ, इम्यूनिफाई मी ने कहा-‘पूरी दुनिया में प्रत्येक वर्ष 3 मिलियन से भी अधिक बच्चे उन बीमारियों की वजह से मौत के आगोश में समा जाते हैं, जिन बीमारियों से टीकाकरण द्वारा बचाव आसानी से हो सकता है। भारत में ऐसे बच्चों की संख्या पूरे विश्व में सर्वाधिक है जिनका टीकाकरण नहीं होता।

भारत सरकार की राष्ट्रीय टीकाकरण सूची के अनुसार बच्चों के लिए 15 से भी अधिक टीकों का निर्धारण किया गया है जो शिशु के जन्म के तुरंत बाद से 16 साल की उम्र तक उसे लगाए जाने चाहिए। टीकाकरण संबंधी ये सभी जानकारियाँ वर्तमान में एक टीकाकरण बुकलेट में लिखी हुई हैं जिसे हर पैरेंट को सालों तक संभाल कर रखना चाहिए और उसका इस्तेमाल करना चाहिए।

अधिकांशतः ये बुकलेट्स गुम हो जाती हैं या क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जिससे बच्चे के टीकाकरण रिकॉर्ड को लेकर सही जानकारी नहीं मिल पाती। इसलिए हम तकनीक का उपयोग करते हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा ह्यूमन फैक्टर्स, सायकोलॉजिकल एवं फिजियोलॉजिकल ट्रिगर्स का उपयोग करते हुए हम पैरेंट्स को बार बार इस बात के लिए आगे बढ़ाते हैं कि वे अपने बच्चे के वैक्सीनेशन के शेड्यूल को पूरा करें। हमारा लक्ष्य होता है कि बच्चे के टीकाकरण का शेड्यूल माता-पिता की प्राथमिकता में सबसे ऊपर रहे। ‘

इस अवसर पर ख्यात बाल रोग विशेषज्ञ, डॉ. धीरेन्द्र जैन, पीडियाट्रिशियन तथा नियोनेटोलॉजिस्ट ने कहा-‘टीकाकरण सूची का पूरा पालन करना बच्चे के भविष्य की सेहत के लिए अनिवार्य कदम है. कई पालक इस सूची या टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत तो बहुत उत्साह से करते हैं लेकिन करीब 50 प्रतिशत लोग जानकारी के अभाव, टीकाकरण को लेकर फैली भ्रांतियों और कई बार तो महज आलस के चलते टीकाकरण के शेड्यूल को बीच में ही छोड़ देते हैं.

इस संदर्भ में इम्यूनिफाई मी का बुद्धिमतापूर्ण, तकनीक आधारित समाधान, टीकाकरण को बीच में ही छोड़ देने के पीछे के जटिल कारणों का पता लगाने में मदद करने की दृष्टि से बहुत आवश्यक है। मुझे पूरी आशा है कि अधिक से अधिक पीडियाट्रिशयन (बाल रोग विशेषज्ञ) पालकों को उनके बच्चों के सेहतमंद भविष्य के लिहाज से इस एप का प्रयोग करने को प्रोत्साहित और प्रेरित करेंगे।’

श्री मेहता ने बच्चों के प्रारंभिक स्वास्थ्य के बीच में आ रही इस रिक्तता को भरने की इम्यूनिफ़ाई मी की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा-‘भारत में हर तीन में से एक बच्चा अब भी टीकाकरण से वंचित है. हमने टीकाकरण, पोषण और प्रतिरोधक क्षमता संबंधि असमानता को दूर करते हुए सभी बच्चों के लिए एक समान सम्पूर्ण स्वास्थ्य सुनिश्चित करते हुए, शपथ ली है कि ‘एक भी बच्चा टीकाकरण से वंचित न रहे।’ कल इंदौर में पीडिकॉन 2020 के लिए एकत्र हो रहे पीडियाट्रिशियन के बड़े समूह के साथ मिलकर हम भारत में टीकाकरण की इस रिक्तता को भरने के लिए एक सामूहिक शपथ लेंगे।’

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