मनोकामनाओं की पूर्ति के लिये श्रावण मास मे भगवान शिव की पूजा की विधियाँ

डॉ श्रद्धा सोनी, वैदिक ज्योतिषाचार्य, रतन विशेषज्ञ

1. विवाह के लिये श्रावण में स्त्रियों के लिये शिव पूजन विधि –

त्रयम्बक शिव के मंत्र
“ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पतिवेदनम , उर्वारुकमिव बंधनादितो मुक्षीय मामुतः !!” का जप करें तो वांछित वर की प्राप्ति होती है।

2. धन प्राप्ति के लिये श्रावण मास में शिव पूजन विधि –

“ॐ जूं सः” इस त्रयक्षरी मृत्युंजय मंत्र के दस हजार जप करते हुए शिवलिंग या शिवजी की मूर्ति का अभिषेक गन्ने के रस से करें ।

भगवान शिव के ऊपर अखंडित चावल चढाने से लक्ष्मी की वृद्धि होती है.

3. स्मृति बढ़ाने के लिये श्रावण मास में शिव पूजन –

स्मृति, बुद्धि तथा ज्ञानादि बढ़ाने के लिये दक्षिणामूर्ति शिव के मंत्र
“ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्तये मह्यं मेधां प्रज्ञां प्रयच्छ स्वाहा “
का जप करें ।

दक्षिणामूर्ति शिव का वास वट वृक्ष की जड़ में होता है …इसलिये यदि वट वृक्ष के नीचे बैठकर इसका जप करें तो स्मरण शक्ति, बुद्धि एवं ज्ञान शीघ्र बढ़ेंगे ।

शर्करा मिश्रित दूध की धार से मृत्युंजय मंत्र
” ॐ जूं सः “
से शिवलिंग का अभिषेक करने से स्मृति बढ़ती है व उत्तम बुद्धि प्राप्त होती है ,
यदि 10 हज़ार मंत्रों के साथ अभिषेक किया जाये तो उत्तम फल मिलता है।

4. पुत्र प्राप्ति के लिये श्रावण मास में शिव पूजन –

शिवजी की सामान्य पूजा करके भगवान शिव के सहस्त्रनाम के साथ घी की धारा से शिवलिंग का अभिषेक करने से वंश विस्तार होता है।

5. रोगनाश के लिये श्रावण मास में शिव पूजन –

भगवान शिव के मृत्यंजय मंत्र
” ॐ जूं सः “
के दस हजार जप करते हुए घी की धारा से शिवलिंग का अभिषेक किया जाए तो प्रमेह (डाइबिटीज) रोग दूर होता है एवं कई बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है।

6. सर्वार्थ सिद्धि के लिये श्रावण मास में शिव पूजन –

गंगाजल की धारा से मृत्युंजय मंत्र
“ॐ जूं सः”
के दस हजार जप करते हुए शिवलिंग का अभिषक करें तो भोग एवं मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।

7. अन्य कार्यों के लिये श्रावण मास में शिव पूजन –

जिन साधकों को गुरु की प्राप्ति नहीं होती उन्हें दक्षिणामूर्ति शिव को गुरु मानकर अपनी साधना आरम्भ करनी चाहिए ।

दक्षिणामूर्ति शिव का निवास स्थान वट वृक्ष के मूल (जड़) में बाताया गया है …साधक शुद्ध चित्त होकर चंद्रमा के समान श्वेत रंग वाले, तीन नेत्रों वाले, चतुर्भुज, दाहिने दो हाथों में मोतियों की माला और ज्ञानमुद्रा, बांये दो हाथों में अमृतकलश और पुस्तक लिये भगवान दक्षिणामूर्ति शिव का ध्यान कर उनके गायत्री मंत्र

” ॐ दक्षिणामूर्तये विद्महे ध्यानास्थाय धीमही तन्नो धीशः प्रचोदयात “

का जप करना चाहिए. इससे वे शिव गुरु की भांति साधना का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

यदि स्वर्ण का शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा करते हैं तो कुबेर के समान महाधनी होना निश्चित है।

स्फटिक के शिवलिंग की पूजा समस्त कामनाएं प्रदान करने वाली होती है।

8. पारद शिवलिंग –

पंचामृत बनाकर पारद शिवलिंग पर अर्पित करते हुये निम्न मंत्र का जप करते जायें ,
मंत्र
” ॐ हृीं तेजसे श्रीं कामसे क्रीं पूर्णत्व सिद्धिं देहि पारदेश्वराय क्रीं श्रीं हृीं ॐ “
समस्त कामनाओं को पूर्ण करता है ।

!! ॐ नमः शिवाय !!
श्रावण मास मे दिन अनुसार शिव पूजा का फल –
रविवार- पाप नाशक
सोमवार- धन लाभ
मंगलवार- स्वस्थ्य लाभ, रोग निवारण
बुधवार- पुत्र प्राप्ति
गुरूवार- आयु कारक
शुक्रवार- इन्द्रिय सुख
शनिवार- सर्व सुखकारी

श्रावण मास में शिव पूजा हेतु शास्त्रोक्त उत्तम स्थान

तुलसी, पीपल व वट वृक्ष के समीप,
नदी, सरोवर का तट, पर्वत की चोटी, सागर तीर,
मंदिर, आश्रम, तीर्थ अथवा धार्मिक स्थल, पावन धाम और गुरु की शरण !

शिव पूजा व पुष्प

बिल्वपत्र- जन्म जन्मान्तर के पापो से मुक्ति (पूर्व जन्म के पाप आदि)
कमल- मुक्ति, धन, शांति प्रदायक
कुशा- मुक्ति प्रदायक
दूर्वा- आयु प्रदायक
धतूरा- पुत्र सुख प्रदायक
आक- प्रताप वृद्धि
कनेर- रोग निवारक
श्रंघार पुष्प- संपदा वर्धक
शमी पत्र- पाप नाशक ।

शिव अभिषेक व पूजा में प्रयुक्त द्रव्य विशेष के फल

मधु- सिद्धि प्रद
दुग्ध – समृद्धि दायक
कुषा जल- रोग नाशक
ईख रस- मंगल कारक
गंगा जल- सर्व सिद्धि दायक
ऋतू फल के रस- धन लाभ ।

श्रावण मास में शिव की उपासना करते समय पंचाक्षरी मंत्र ‘ॐ नम: शिवाय’ और ‘महामृत्युंजय’ आदि मंत्र जप बहुत महत्व्यपूर्ण माना गया है।

इन मंत्रों के जप-अनुष्ठान से सभी प्रकार के दुख, भय, रोग, मृत्युभय आदि दूर होकर मनुष्य को दीर्घायु की प्राप्ति होती है।

समस्त उपद्रवों की शांति तथा अभीष्ट फल प्राप्ति के निमित्त रूद्राभिषेक आदि यज्ञ-अनुष्ठानचमत्कारी प्रभाव देते है।

श्रावण मास मे प्रतिदिन इनके पाठ से भी अनंत पुण्यलाभ होता है

श्री रामचरित मानस, शिवपुराण, शिवलीलामृत, शिव कवच, शिव चालीसा, शिव पंचाक्षर मंत्र, शिव पंचाक्षर स्त्रोत, महामृत्युंजय मंत्र का पाठ एवं जाप श्रावण मास में विशेष फल कहा गया है

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