- Did you know Somy Ali’s No More Tears also rescues animals?
- Bigg Boss: Vivian Dsena Irked with Karanveer Mehra’s Constant Reminders of Family Watching Him
- Portraying Diwali sequences on screen is a lot of fun: Parth Shah
- Vivian Dsena Showers Praise on Wife Nouran Aly Inside Bigg Boss 18: "She's Solid and Strong-Hearted"
- दिवाली पर मिली ग्लोबल रामचरण के फैन्स को ख़ुशख़बरी इस दिन रिलीज़ होगा टीज़र
MIT-WPU ने छठे दीक्षांत समारोह में मशहूर वैज्ञानिक डॉ. कृष्णास्वामी विजय राघवन को विज्ञान महर्षि सम्मान से पुरस्कृत किया
पुणे: एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी (MIT-WPU) ने वैज्ञानिक उत्कृष्टता एवं शैक्षिक उपलब्धियों के प्रति आदर के भाव के साथ अपने छठे दीक्षांत समारोह का आयोजन किया और इस उपलक्ष्य में अत्यंत प्रतिष्ठित वैज्ञानिक, पद्मश्री डॉ. कृष्णास्वामी विजय राघवन को गौरवपूर्ण MIT-WPU विज्ञान महर्षि सम्मान से सम्मानित किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, माननीय केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने विज्ञान के क्षेत्र में श्री राघवन के उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें इस सम्मान से पुरस्कृत किया। इस सम्मान के तहत उन्हें एक प्रशस्ति-पत्र, माँ सरस्वती की प्रतिमा और 5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया।।
पद्मश्री से सम्मानित डॉ. कृष्णस्वामी विजय राघवन, परमाणु ऊर्जा विभाग होमी भाभा में अध्यक्ष तथा राष्ट्रीय जैविक विज्ञान केंद्र (NCBS) में एमेरिट्स प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। वे भारत सरकार के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार भी रह चुके हैं, और वर्तमान में प्रधानमंत्री विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार परिषद के अध्यक्ष हैं। वे जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव और टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) में NCBS के निदेशक के पद पर भी कार्य कर चुके हैं।
डॉ. कृष्णास्वामी विजय राघवन ने दीक्षांत समारोह के दौरान अपने संबोधन में गौरवपूर्ण MIT-WPU विज्ञान महर्षि सम्मान प्राप्त करने पर आभार जताते हुए कहा, “यह सम्मान पाकर मैं बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ। विश्वविद्यालय की शिक्षा का नाता सिर्फ़ कक्षाओं में व्यतीत किए गए आपके समय से नहीं है। वास्तव में, मैं तो यहाँ तक कहना चाहूँगा कि कक्षाएँ तुलनात्मक रूप से आनुषंगिक होती हैं। आपकी एक-दूसरे के साथ संवाद करने और जुड़ने की क्षमता ही सबसे अहम पहलू है, ताकि आप दुनिया में कदम रखते समय इन बंधनों को तोड़ सकें।” उन्होंने आज पूरी दुनिया के सामने मौजूद महत्वपूर्ण चुनौतियों और उनके संभावित समाधानों पर भी जोर देते हुए कहा, “पिछले 10 सालों की तुलना में, और निश्चित रूप से पिछले 50 वर्षों की तुलना में दुनिया अब कहीं अधिक जटिल हो गयी है। हम जलवायु परिवर्तन, बेहद खराब मौसम की घटनाओं, सतत विकास से जुड़ी समस्याओं, पानी की कमी और आर्थिक विकास जैसी कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। सचमुच इन समस्याओं का दायरा काफी विस्तृत है, परंतु ऐसी कोई चुनौती नहीं है जिसका हम सामना न कर सकें।”
समारोह के मुख्य अतिथि श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने MIT-WPU विज्ञान महर्षि सम्मान प्राप्त करने पर डॉ. कृष्णास्वामी विजय राघवन को बधाई दी, साथ ही उन्होंने स्नातक करने वाले छात्रों को अपनी शुभकामनाएँ दीं। इस अवसर पर उन्होंने कहा, “अपने नए सफ़र की शुरुआत करते हुए इस बात को हमेशा याद रखें कि निरंतर ज्ञान प्राप्त करने की लगन, दृढ़-संकल्प और कड़ी मेहनत के साथ चुनौतियों का सामना करने की क्षमता ही आपकी सफलता के आधार स्तंभ होंगे। आपकी यही उपलब्धियाँ कॉर्पोरेट जगत में प्रवेश करते समय आपको सही राह दिखाएंगी। यह आपकी ज़िम्मेदारी है कि आप अपनी काबिलियत को साबित करें, साथ ही समर्पण के भाव और उत्कृष्ट प्रदर्शन के ज़रिये अपने परिवार, अपने संगठन और जिस समुदाय से आपका नाता है, उसकी प्रतिष्ठा बढ़ाएँ। केवल ज्ञान प्राप्त करना ही शिक्षा का सच्चा मूल्य नहीं है, बल्कि यह इस बात में निहित है कि आप सकारात्मक बदलाव लाने के लिए उस ज्ञान का कितने कारगर तरीके से उपयोग करते हैं। इसलिए हमेशा नवाचार करने का प्रयास करें, चुनौतियों का समाधान ढूंढें, और दूसरों की खुशहाली बढ़ाने की दिशा में काम करें। आपके कार्यों में समाज पर स्थायी प्रभाव डालने और सभी के लिए बेहतर भविष्य का निर्माण करने की क्षमता है।”
इस अवसर पर MIT-WPU के संस्थापक अध्यक्ष, प्रो. डॉ. विश्वनाथ डी. कराड ने विज्ञान एवं अध्यात्म के बीच सामंजस्य स्थापित करने की अहमियत पर जोर दिया, साथ ही उन्होंने स्वामी विवेकानंद के आदर्शों पर आधारित अपना दृष्टिकोण भी साझा किया। उन्होंने कहा, “सन् 1893 में, स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में आयोजित पहले विश्व धर्म संसद में अपना दर्शन प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने विज्ञान एवं अध्यात्म के बड़े सामंजस्यपूर्ण तरीके से सह-अस्तित्व के बारे में बताया। उनका यही दर्शन आज भी हमारा मार्गदर्शन कर रहा है। हमें अनुशासन और चरित्र निर्माण के ज़रिये ऐसी मूल्यवान सार्वभौमिक शिक्षा प्रणाली को प्रोत्साहन देना चाहिए, जिसमें आध्यात्मिकता और विज्ञान एक-दूसरे से जुड़े हों।”
MIT-WPU के कार्यकारी अध्यक्ष, श्री. राहुल वी. कराड ने इस बात पर बल दिया कि, भारत आध्यात्मिकता एवं विज्ञान के क्षेत्र में विश्व गुरु बनने में सक्षम है। उन्होंने आध्यात्मिक घटकों को तकनीकी शिक्षा में शामिल करने के लिए एक वैश्विक शिक्षा प्रबंधन परिषद के गठन के बारे में विश्वविद्यालय के दृष्टिकोण पर भी चर्चा की। उन्होंने छात्रों को केवल पश्चिमी मॉडलों की नकल करने के बजाय कुछ नया कर दिखाने के लिए प्रोत्साहित किया, ताकि इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मौलिक सोच को बढ़ावा मिले।
समारोह के दौरान, उत्कृष्ट उपलब्धि हासिल करने वाले अन्य गणमान्य व्यक्तियों को भी MIT-WPU की ओर से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अभिजीत पवार को ‘संस्थापक अध्यक्ष पदक’ प्रदान किया गया, जबकि अनुश्री कुलकर्णी को ‘कार्यकारी अध्यक्ष पदक’ से सम्मानित किया गया।
संस्थान के दीक्षांत समारोह के दौरान इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी, कंप्यूटर विज्ञान एवं इंजीनियरिंग, व्यवसाय, अर्थशास्त्र एवं वाणिज्य, स्वास्थ्य विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी, विज्ञान एवं पर्यावरण अध्ययन, कानून तथा चेतना अध्ययन जैसे विभिन्न विषयों में 5,000 से अधिक छात्रों को डिग्री प्रदान की गई।
इस समारोह में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सलाहकार प्रो. राम चरण; MIT-WPU के संस्थापक न्यासी प्रो. पी. बी. जोशी; प्रबंधन समिति के अध्यक्ष प्रो. डॉ. मंगेश टी. कराड; संस्थान के उप-कुलपति डॉ. आर. एम. चिटनिस सहित कई अन्य गणमान्य अतिथियों ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।