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इंदौर की अच्छाइयाँ पूरे विश्व में फैलाने की जरूरत: उप राष्ट्रपति श्री नायडु
वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर का द्वितीय दीक्षान्त समारोह
इंदौर. इंदौर न केवल स्वच्छता एवं खानपान में नंबर वन है, बल्कि शिक्षा और समाजसेवा में भी नंबर वन है। यहाँ की अच्छाइयाँ पूरी दुनिया में फैलाने की जरूरत है। आजकल फास्ट फूड का जमाना है। फास्ट फूड से नई-नई बीमारियाँ पैदा हो रही हैं। हमें पिज्जा बर्गर की बजाय, पारम्परिक भारतीय भोजन इस्तेमाल करना चाहिये, क्योंकि स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है।
यह बात आज श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर के द्वितीय दीक्षान्त समारोह में विद्यार्थियों और शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए भारत के उप राष्ट्रपति श्री एम. वेंकैंया नायडु ने कही।
उप राष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडु ने कहा है कि देश के शैक्षणिक संस्थान बौद्धिक विकास के साथ विद्यार्थियों के शारीरिक विकास पर भी जोर दें अर्थात उन्हें तकनीकी शिक्षा के साथ शारीरिक शिक्षा और योग की शिक्षा भी दी जाये। शिक्षा से मनुष्य सभ्य, सुसंस्कृत और संस्कारित होता है।
शिक्षा का मूख्य उद्देश्य सिर्फ ज्ञानार्जन ही नहीं, बल्कि शिक्षा प्राप्त करके विद्यार्थी राष्ट्र की सेवा करें। शिक्षा का उद्देश्य परिवार, समाज और देश की सेवा करना है। शिक्षा से मनुष्य देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनता है। विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ नौकरी या स्वरोजगार भी जरूरी है। यह दीक्षान्त समारोह दीक्षा का अन्त नहीं बल्कि एक शुरुआत है।
उन्होंने इस अवसर पर यह भी कहा कि शिक्षा, अस्पताल और राजनीति समाज सेवा के क्षेत्र हैं और समाज सेवा सभी धर्मों का सार है। श्री वैष्णव सहायक ट्रस्ट पिछले 135 साल से स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, तकनीकी शिक्षा के माध्यम से नो-प्रॉफिट-नो लॉस के फॉर्मूले पर काम करते हुए एक सराहनीय कार्य कर रहा है। श्री वैष्णव सहायक ट्रस्ट देश के लिये एक आदर्श समाजसेवी संस्थान है।
भारतीय संस्कृति में सर्वे भवन्तु सुखिन: की शिक्षा
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति हमें समाज सेवा की प्रेरणा देती है। भारतीय संस्कृति में “सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे सन्तु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चित् दुखभाग् भवेत” की परिकल्पना की गई है। भारतीय संस्कृति हमें एक साथ जीने, एक साथ खाने और एक साथ रहने की शिक्षा देती है।
हजारों साल पहले आचार्य चाणक्य ने कहा था “अयम् निज: परावेति, गणना लघुचेतसाम्, उदारचरितानाम् तु वसुधैव कुटुम्बकम्।” उन्होंने उस युग में सम्पूर्ण धरती को परिवार माना था। आचार्य चाणक्य दुनिया के प्रथम अर्थशास्त्री थे, जिन्होंने कर प्रणाली की शुरुआत की।
उन्होंने कहा कि मैं इस मंच से इस शैक्षणिक संस्थान के मेधावी विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देता हूं कि वे देश और दुनिया के विकास में अपना योगदान दें। मैं कई शैक्षणिक संस्थाओं में दीक्षान्त समारोह में गया हूं। मेरिट में आने वाले विद्यार्थियों में महिलाओं का बहुमत रहता है। भारत सरकार भी महिलाओं को समाज के हर क्षेत्र में समुचित प्रतिनिधित्व देना चाहती है। शिक्षा का मूल उद्देश्य समाज सेवा और कौशल विकास होना चाहिये। कौशल विकास को हमें स्वच्छ भारत मिशन की तरह एक जनांदोलन बनाने की जरूरी है। शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ पैसा कमाना नहीं होना चाहिये।
भारत सरकार भी महिलाओं को समाज के हर क्षेत्र में समुचित प्रतिनिधित्व देना चाहती है। शिक्षा का मूल उद्देश्य समाज सेवा और कौशल विकास होना चाहिये। कौशल विकास को हमें स्वच्छ भारत मिशन की तरह एक जनांदोलन बनाने की जरूरी है। शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ पैसा कमाना नहीं होना चाहिये।
प्राचीन काल में भारत था विश्वगुरु
उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में भारत विश्व गुरु था। नालंदा और तक्षशिला विश्व स्तर के विद्यालय थे, जहां पर दस हजार से अधिक विद्यार्थी पढ़ते थे। प्राचीन भारत में सुश्रुत, धनवन्तरि, भास्कराचार्य और वाराहमिहिर जैसे मूर्धन्य विद्वान हुए हैं। आचार्य सुश्रुत ने दुनिया को पहली बार सामान्य सर्जरी और प्लास्टिक सर्जरी की प्रक्रिया बतायी।
मध्य युग में हमारा देश मुगलों और अग्रेंजों का गुलाम हो गया। उन्होंने इस देश को लूटा और धोखा दिया, जिसके कारण हम पिछड़ गये। अब हम उदारीकरण, निजीकरण, स्टैण्डअप और स्टार्टअप के जरिये भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाना चाहते हैं। भारत में इंदिरा नुई और सुंदर पिचायी जैसे असाधारण प्रबंधक हैं।
योग से शरीर और मन स्वस्थ
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 जून को विश्व योग दिवस घोषित किया है। गत 21 जून को विश्व के176 देशों द्वारा एक साथ योगाभ्यास किया गया। चिली और ग्वाटेमाला में योग को अनिवार्य शिक्षा घोषित किया गया है। उन्होंने कहा कि योग कोई राजनैतिक या धार्मिक कार्यक्रम नहीं है। योग से शरीर और मन स्वस्थ रहता है। आज के इस युग में पर्यावरण सुधार सबसे बड़ी चुनौती है। वृक्षारोपण और पशुओं की रक्षा के क्षेत्र में काम करने की जरूरत है। देश की बढ़ती हुई आबादी को देखते हुए जल संरक्षण और जल संवर्धन जरूरी है। मनुष्य एयर कंडिशन के बजाय प्राकृतिक वातावरण में ज्यादा स्वस्थ रहेगा और स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन रहता है।
जो भारत में पैदा हुआ वे सभी भारतीय
उन्होंने कहा कि माता-पिता और गुरु मनुष्य के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि दसवीं तक की शिक्षा बच्चों को मातृभाषा में दी जाना चाहिये। शिक्षा का उद्देश्य किताबी ज्ञान नहीं बल्कि विवेक जागृत करना है। आज की युवा पीढ़ी भारत का भविष्य है, उसे कानून और नियम का पालन करने की आदत होना चाहिये।
उन्होंने कहा कि जो भारत में पैदा हुआ है, वे सब भारतीय है। स्त्री, पुरूष, जाति और धर्म के नाम पर समाज को बांटा नहीं जा सकता। हमारे सामने देश में निरक्षरता और गरीबी बड़ी चुनौती है। इस देश में संत कबीर और संत तुकाराम जैसे लोगों ने भी जाति और धर्म के भेदभाव का विरोध किया था।
उन्होंने कहा कि माता और मातृभूमि सर्वोपरि है अर्थात “जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी”। उन्होंने कहा कि व्यक्ति से बड़ा परिवार, परिवार से बड़ा समाज और समाज से बड़ा देश होता है। हमें राष्ट्रीय एकता मजबूत करने के लिये जातिवाद, सम्प्रदायवाद, धन लोलुपता और अपराध को समाप्त करना होगा।
भारत विश्वगुरु रहा है और शीघ्र ही फिर विश्वगुरु बनेगा
इस अवसर पर दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए प्रदेश के राज्यपाल श्री लालजी टण्डन ने कहा कि भारत का इतिहास गौरवमयी रहा है। भारत विश्वगुरु रहा है और शीघ्र ही फिर विश्वगुरु बनेगा। भारत के महर्षियों ने जीरो की खोज की, जिसके आधार आज कम्प्यूटर और इंटरनेट प्रणाली चल रही है। प्राचीन भारत में सर्जरी और अर्थशास्त्र, कर प्रणाली आदि की खोज पहले ही हो चुकी है। आचार्य चाणक्य ने कहा है कि राजा को प्रजा से बहुत कम कर लेना चाहिये, जिससे प्रजा को कष्ट न हो, जिस प्रकार सूर्य धरती से धीरे-धीरे जल सोखता है।
दुनिया के व्यापारियों के लिये एक अनुकरणीय कदम
इस अवसर पर पूर्व लोकसभा स्पीकर श्रीमती सुमित्रा महाजन ने कहा कि व्यापारियों का काम धनोपार्जन है, मगर इंदौर के व्यापारियों ने अपने ऊपर कर लगाकर श्री वैष्णव सहायक ट्रस्ट नामक समाजसेवी संस्था खड़ी की जो, आज अनेक स्कूल, अस्पताल, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय 135 साल से सफलतापूर्वक चला रही है, जो कि दुनिया के व्यापारियों के लिये एक अनुकरणीय कदम है। इस संस्थान के प्रबंधन के लोग ईमानदारी और समर्पित भाव से काम करते हैं, जिसके कारण यह संस्था अविरत चल रही है। इस संस्था का मूल उद्देश्य दूसरों की सेवा करना है।
शिक्षा का उद्देश्य नवाचार होना चाहिये
इस अवसर पर लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य नवाचार होना चाहिये। कोई भी राष्ट्र बिना शिक्षा के उन्नति नहीं कर सकता। आज जो विद्यार्थी इस विश्वविद्यालय से निकल रहे हैं। वे अब जीवन की नई शुरूआत करेंगे। परिवर्तन प्रकृति का नियम है। तकनीकी क्षेत्र में उन्नयन से ही भारत एक महाशक्ति बन सकता है। 135 साल पुराने श्री वैष्णव सहायक ट्रस्ट ने समाजसेवा के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया है। यह समाजसेवी भाव हम जनप्रतिनिधियों में भी होना चाहिये।
शिक्षा रोजगारोन्मुख होना चाहिये
इस अवसर पर उच्च शिक्षा और खेल युवा कल्याण मंत्री श्री जीतू पटवारी ने कहा कि विद्यार्थी देश के भविष्य हैं। अच्छी शिक्षा मनुष्य को बेहतर इंसान बना सकती है, मगर शिक्षा रोजगारोन्मुख होना चाहिये। शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों को अच्छे संस्कार देना है। शिक्षा का उद्देश्य समाज को जोड़ना है।
संस्था समाज सेवा के लिये काम करती है
इस अवसर पर श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलपति श्री पुरुषोत्तम दास पसारी ने कहा कि श्री वैष्णव सहायक ट्रस्ट संस्था का उद्देश्य लाभ कमाना नहीं है। यह संस्था समाज सेवा के लिये काम करती है। इस संस्थान में परम्परागत पाठ्यक्रम के अलावा आधुनिक पाठ्यक्रम भी शुरू किये गये हैं। संस्था का उद्देश्य समाज के युवा वर्ग को गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करना है। यह संस्था समाज के कल्याण के लिये काम करती है। हमारा संस्थान उद्योग एवं व्यवसाय उन्मुख शिक्षा देने के लिये कृत संकल्पित है।
संस्था का उद्देश्य राष्ट्र नायक तैयार करना है, न कि लाभ कमाना
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के उप कुलपति डॉ. उपिंदर धर ने कहा कि इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थी देश-विदेश में इन्दौर का नाम रोशन कर रहे हैं। इस संस्था का उद्देश्य राष्ट्र नायक तैयार करना है, न कि लाभ कमाना। वर्तमान परिदृश्य में उद्योग जगत की आवश्यकता के अनुरूप इस विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षा का पाठ्यक्रम निर्धारित किया गया है, जिससे अधिक से अधिक विद्यार्थियों को रोजगार मिल सके और तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर वे स्वयं उद्योग खड़ा कर सकें। इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य के लिये संस्थान द्वारा कई प्रतिष्ठित संस्थाओं और कम्पनियों से अनुबंध किया गया है।
सर्वोच्च स्थान पाने पर गोल्ड मेडल प्रदान किया
इस अवसर पर उप राष्ट्रपति श्री नायडु द्वारा दिव्या पटेल, मुस्कान नीमा, मनांश कौशिक, प्रियंका विश्वकर्मा, नीलेश सिंह राजपूत, सत्यम मिश्रा और शेराली शर्मा को तकनीकी और पारम्परिक पाठ्यक्रमों में सर्वोच्च स्थान पाने पर गोल्ड मेडल प्रदान किया। इस अवसर पर कलेक्टर श्री लोकेश कुमार जाटव, एसएसपी श्रीमती रुचिवर्धन मिश्र, एसपी श्री मोहम्मद युसुफ, वैष्णव सहायक ट्रस्ट के पदाधिकारी, विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर और बड़ी संख्या में विद्यार्थी मौजूद थे।