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अत्याधुनिक ‘थूलियम फाइबर लेज़र’ अब मेदांता सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, इंदौर में
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इंदौर, 20 जुलाई, 2022: यूरोलॉजी के क्षेत्र में हुई प्रगति के साथ आज इससे संबंधित बीमारियों का इलाज पहले की तुलना में कई गुना बेहतर हो गया है। विगत कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में कई एडवांस टेक्नोलॉजीस आई हैं। यदि हम यूरोलॉजिकल प्रोसीजर्स को देखें, तो 70-80 प्रतिशत किडनी स्टोन तथा प्रोस्टेट की बीमारियों के द्वारा बनता है। आमतौर पर जो सामान्य बीमारियाँ, यूरोलॉजिकल, ओपीडी या सर्जिकल प्रोसीजर्स के अंतर्गत आती हैं, वे किडनी स्टोन, यूरेट्रिक स्टोन, ब्लैडर स्टोन और उम्र की वजह से प्रोस्टेट का बढ़ना, जिसे बीपीएच कहा जाता है, की वजह से होती हैं।
थूलियम फाइबर लेज़र (टीएफएल) मशीन यूरोलॉजी के क्षेत्र में इन्हीं आधुनिक टेक्नोलॉजीस में से एक है, जिसने मुश्किल सर्जरी के मामलों में खुद को बेहतर साबित किया है। मध्य भारत के जाने-माने मेदांता सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, इंदौर में उपरोक्त यूरोलॉजिकल समस्याओं से जूझ रहे मरीजों को निजात दिलाने के उद्देश्य से 20 जुलाई को थुलियम फाइबर लेज़र की तकनीक द्वारा सर्जरी की शुरुआत की जा रही है।
जहाँ एक तरफ इस लेज़र टेक्नोलॉजी का उपयोग युरेटेरिक और किडनी स्टोन मैनेजमेंट के लिए किया जाता है, वहीं यह बढ़ती उम्र में प्रोस्टेट ग्रंथि की समस्याओं यानि बीपीएच (बनाइन प्रोस्टेट हाइपरप्लासिया) के निदान की सर्जरी भी की जा सकती है।
थुलियम फाइबर लेज़र एन्यूक्लिएशन (ThuFLEP) बीपीएच के लिए लेज़र उपचार विकल्पों में बहुत कारगर सर्जिकल प्रोसीजर है। इसके अलावा इस लेज़र द्वारा वेपोराइज़ेशन, एंडोस्कॉपिक एनक्लूएशन (ईईपी), रिसेक्शन और एब्लेशन भी संभव हैं। साथ ही इस टेक्नोलॉजी के अंतर्गत स्टोन के उपचार को लेकर मुख्य रूप से आरआईआरएस (RIRS), पीसीएनएल (PCNL), मिनी पर्क (mini perc) और यूरेटेरोस्कॉपिक स्टोन रिमूवल (URS) जैसी प्रक्रियाएँ शामिल हैं। इन तेजी से रिकवर करने वाली प्रक्रियाओं की विशेषता यह है कि मरीज को मात्र 24 घंटों में छुट्टी दी जा सकती है, जिसे ‘वन डे एडमिशन’ सर्जरी नाम दिया गया है।
उक्त विषय पर विस्तार से बताते हुए, डॉ. रवि नागर, एसोसिएट डायरेक्टर और हेड, यूरोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट, मेदांता सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, इंदौर कहते हैं, “मेदांता में आरआईआरएस प्रक्रिया के चलते स्टोन्स को तोड़ने के लिए हमें पूरे मध्य भारत में अपनी तरह की एक उन्नत तकनीक प्राप्त हुई है। थूलियम फाइबर लेज़र में स्टोन्स के लिए बहुत अधिक ऊर्जा और डस्टिंग की क्षमता है। इसके माध्यम से स्टोन्स को बहुत छोटे-छोटे कणों में तब्दील किया जा सकता है, जिन्हें बाद में यूरिन के जरिए बाहर कर दिया जाता है। आरआईआरएस के अलावा
स्टोन रिमूवल के अन्य यूरोलॉजिकल या एंडोस्कॉपिक सर्जिकल पद्धतियाँ होती हैं, जैसे कि पीसीएनएल, मिनी पर्क या यूरेटेरोस्कॉपी, इनमें भी लेज़र का उपयोग कर स्टोन को बहुत जल्द छोटे-छोटे टुकड़ों में तोडा जा सकता है और रिमूव किया जा सकता है। इससे पीसीएनएल और दुसरी स्टोन की पद्धतियों का भी ऑपरेटिव टाइम कम हो जाता है और छोटे से की-होल सर्जरी करके स्टोन का रिमूवल संभव हो पाता है।”
वहीं प्रोस्टेट रोग को लेकर डॉ. नागर का कहना है¬¬, “आमतौर पर प्रोस्टेट 50 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोगों में होता है। यह समस्या लगभग 2 में से 1 पुरुष में देखी जा सकती है तथा उम्र के साथ इसका प्रतिशत बढ़ता जाता है। कहीं न कहीं उनमें इसके इलाज को लेकर झिझक होती है। इसके अलावा इस बीमारी के साथ ही अन्य बीमारियों से ग्रसित मरीजों में इसका उपचार कराने को लेकर डर देखा जाता है। ऐसे में थूलियम फाइबर लेज़र से प्रोस्टेट की रुकावट की सर्जरी की जा सकती है। और इसके माध्यम से डाइबिटीज़, बाएपास, एंजियोप्लास्टी और हार्ट के मरीजों की भी सर्जरी की जा सकती है, क्योंकि इसमें ब्लड लॉस कम होता है और रिकवरी भी तेजी से होती है।”
इस थूलियम फाइबर लेज़र से स्टोन तथा प्रोस्टेट की सर्जरी के अलावा कई सॉफ्ट टिशू कटिंग सर्जरीज़, जैसे कि यूरिनरी ब्लैडर के अंदर ट्यूमर को निकालना तथा युरेथ्रल स्ट्रिक्टर सर्जरी और किडनी के अंदर छोटे-छोटे ट्यूमर्स को जलाना, ऐसी कई तरह की प्रक्रियाएँ भी संभव हैं। यह स्टोन और प्रोस्टेट में ही उपयोगी नहीं है, बल्कि कई अन्य सर्जरीज़ में भी उपयोगी हैं।
थूलियम फाइबर लेज़र, जो मेदांता सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में इन्स्टॉल की जा रही है, वह यूनिक इसलिए है, क्योंकि यह आधुनिक 60W पॉवर लेज़र है, जो कि प्रायः उपयोग में लाई जाने वाली 30W मशीन से अधिक एडवांस है और स्टोन और प्रोस्टेट दोनों की सर्जरी के लिए उपयुक्त है। इसलिए इसे मेदांता में इन्स्टॉल किया जा रहा है और इससे निश्चित रूप से मरीजों को फायदा पहुँचेगा। इससे ऑपरेट करने में आमतौर पर हम एक दिन में मरीजों को डिस्चार्ज कर पाएँगे, जो कि पूरी तरह दर्दरहित प्रक्रिया होगी और 1 या 2 दिनों के आराम के साथ वे अपना काम फिर से शुरू कर सकेंगे।