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साक्षात् माता महालक्ष्मी, कुबेर और धन्वन्तरी देव का आशीर्वाद है 5 हजार अभिमंत्रित कलश में : राष्ट्रसंत डॉ. वसंतविजयजी
कृष्णगिरी। हिन्दुस्थान संतों का देश कहलाता है, हालांकि यहां आज तक ऐसे कई संत महंत हुए है जिन्होंने विद्वत्ता के आधार पर समाज की भलाई के लिए काफी प्रयास किए हैं। इन्हीं में से देश के प्रमुख शांतिदूतों में से एक राष्ट्रसंत डॉ. वसंतविजयजी म.सा., जो कि अपनी आयु के 20वें वर्ष से ही देशशांति के लिए कार्यरत है और विश्वशांति के लिए पिछले काफी समय से धर्म के माध्यम से प्रयत्नशील है। उनका उद्देश्य यही है कि देश में अलौकिक शांति स्थापित हो, देश का हर नागरिक सुखी व समृद्ध रहें।
तमिलनाडू के कृष्णगिरी स्थित विश्व विख्यात श्रीपार्श्व पद्मावती शक्तिपीठ तीर्थ धाम में पिछले छः दिनों से [14 से 23 जुलाई तक] अपने आप में ही इतिहास रचाने वाला एक बहुत ही भव्यदिव्य धार्मिक अनुष्ठान देश और विश्व के कल्याण के लिए श्री विश्व शांति महालक्ष्मी, कुबेर, अर्थ, धर्म समृद्धि कलश अनुष्ठान, महायज्ञ डॉ. वसंतविजयजी म.सा. की निश्रा मेें किया जा रहा है। संतश्रीजी ने बताया कि इस महायज्ञ में 5 हजार से अधिक कलश अभिमंत्रित किए जा रहे हैं, जो सिर्फ कलश ही नहीं है बल्कि साक्षात् माता महालक्ष्मीजी, कुबेरदेव और धन्वन्तरी देव का आशीर्वाद है। इस कलश को यदि बताए गए समय अनुसार सही ढंग से घर में स्थापित किया गया तो घर में सुख, शांति, समृद्धि और आरोग्य का निश्चित ही वास होगा।
कलश घर में स्थापित करने के बाद पवित्रता, पूरा परिवार रहेगा बीमारियों से दूर…
अभिमंत्रित किए गए कलश को घर में स्थापित करने के बाद न केवल घर में पवित्रता बनी रहेगी, बल्कि पूरा का पूरा परिवार भी बीमारियों से दूर रहेगा। साथ ही इस कलश में पडऩे वाली सभी अलौकिक व दिव्य वस्तुएं कलश पाने वाले के जीवन में हर प्रकार का सुख समृद्धि, सुरक्षा, सौभाग्य और आरोग्य लेकर आएंगी। वर्तमान भाग-दौड़ की जिंदगी में व्यक्ति को आज की परिस्थिति में अपने जीवन को सुखी बनाने के लिये इन्हीं की तो आवश्यकता है। राष्ट्रसंत डॉ. वसंतविजयजी म.सा. ने बताया कि कलश अनुष्ठान करने के लिये विशाल महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। महायज्ञ से न केवल वातावरण शुद्ध एवं पवित्र होगा, बल्कि वातावरण में फैली बीमारियां, कीटाणु नष्ट होकर मानव जाति को शांति एवं समृद्धि का मार्ग दिखेगा। ओर तो ओर देश पर विश्वव्यापी महामारी कोरोना संकट से जल्द से जल्द मुक्ति मिलेगी।
तिरुपति के 108 पंडितों द्वारा की जा रही एक करोड़ बार महालक्ष्मी मां के चरणों में कुमकुम पूजा..
14 से 23 जुलाई तक हो रहे इस अति विशिष्ट एवं अलौकिक अनुष्ठान-महायज्ञ में तिरुपति के प्रकांड विद्वान 108 पंडितों द्वारा देश की सुरक्षा, शांति एवं समृद्धि के लिए एक करोड़ बार महालक्ष्मी माँ के चरणों में कुमकुम पूजा कर रहे हैं। देश की सुरक्षा के संकल्प को सिद्ध करने एवं कलशों को सिद्ध करने के लिये प्रतिदिन एक लाख आहूतियां दी जा रही है। साथ ही साथ देव वैद्य धनवंतरी देव एवं कुबेर देव को 25 लाख जप एवं ढाई लाख विशेष आहुतियां भी दी जा रही है। हवन कुंडों में 2000 किलो शुद्ध देसी घी, 10 हजार किलो चंदन एवं अन्य दुर्लभ लकडिय़ां, 10 हजार किलो से अधिक मेवा एवं अन्य औषधियाँ डाली जा रही है। प्रतिदिन यज्ञाहुति में सोना, चांदी, रत्न, जरी के वस्त्र आदि भी विधानपूर्वक कुंडों में डाले जा रहे हैं।