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नुक्कड़ नाटक से ब्रेस्टफीडिंग का महत्व बताया
इंदौर. दुनियाभर में हर साल 1 अगस्त से 7 अगस्त तक वल्र्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक के रूप में मनाया जाता है. ब्रेस्टफीडिंग शिशु के साथ-साथ मां की सेहत के लिए भी फायदेमंद होती है. लेकिन 21वीं सदी में ब्रेस्टफीडिंग अपने निचले स्तर पर पहुंच गई है. ज्यादातर देशों में शिशु के जन्म के शुरुआती 6 महीनों में स्तनपान कराने की दर 50 फीसदी से भी नीचे है.
ये बात आज प्रसिद्ध गायनोकोलाजिस्ट डॉ. जयश्री श्रीधर ने कही. मौका था समर्पण कालेज आफ़ नर्सिंग द्वारा आयोजित वल्र्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक के उपलक्ष्य में आयोजित नुक्कड़ नाटक और पेंटिंग प्रतियोगिता का, जिसमें नर्सिंग कॉलेज के समस्त स्टूडेंट्स ने स्तनपान से जुड़ी जानकारियों की पंटिंग बनाई और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से बच्चे के लिए माँ के दूध का महत्त्व बताया.
उन्होंने आगे कहा कि मां का दूध मैक्रोन्यूट्रिएंट्स, माइक्रोन्यूट्रिएंट्स, बायोएक्टिव घटकों, वृद्धि के कारकों और रोग प्रतिरोधक घटकों का एक मिश्रण होता है. यह मिश्रण एक जैविक द्रव पदार्थ होता है जिससे शारीरिक और मानसिक वृद्धि में मदद मिलती है. साथ ही बाद के समय में शिशु में मेटाबॉलिज्म से जुड़ी बीमारी की आशंका भी खत्म हो जाती है. अरिहंत हॉस्पिटल परिसर में आयोजित इस आयोजन में हॉस्पिटल की गर्भवती महिलाये तथा प्रसूतियों और स्टाफ ने अपनी उपस्तिथ दर्ज करवाई.
शिशु में बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता
गायनोकोलाजिस्ट डॉ. प्रीति माहेश्वरी ने बताया कि स्तनपान कराने वाली महिलाओं को प्रतिदिन विटामिन सप्लीमेंट्स लेना चाहिए. दरअसल, विटामिन मां के दूध में स्रवित होते हैं. मां के शरीर में पोषक तत्वों की कमी से सीधे तौर पर उनका दूध प्रभावित होता है. शाकाहारी माताओं को विटामिन डी, बी12 और कैल्शियम की भी आवश्यकता होती है. मां का पहला दूध जिसका रंग हल्का पीला होता है के सेवन से शिशु में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. इसलिए मां आवश्यक रूप से अपने शिशुओं को स्तनपान कराएं.इस मौके पर डॉ डी.के तनेजा ,डॉ मोनू जैन आदि उपस्थित थी