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विदेशी निवेश नीति का स्वागत लेकिन पहले देश के उद्योगों को मजबूत करें

एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज मध्यप्रदेश के अध्यक्ष श्री प्रमोद डफरिया ने आज रेसीडेंसी कोठी पर सांसद शंकर लालवानी जी की अध्यक्षता एवं मध्यप्रदेश राज्य औद्योगिक निगम के नवागत कार्यपालक निदेशक श्री रोहन सक्सेना के उपस्थिति में आयोजित औद्योगिक निवेश बढाने संबंधित बैठक में सहभागिता की तथा चर्चा में कहा कि केन्द्र सरकार के विदेशी निवेश नीति का हम स्वागत करते है। यह बहुत अच्छी व निवेश प्रोत्साहन को बढावा देने बात है लेकिन पहले हमें हमारे देश के उद्योगों को मजबूत करने की दिशा में पहल करना चाहिए क्योकि वे आज भी समस्याग्रस्त है।
आपने कहा कि आज भी हमारे यहां के सूक्ष्म एवं लघु उद्योग उसी श्रेणी में रह गये है पूर्णरूपेर्ण प्रतिस्पर्धी नही बन पाये है। जो सूक्ष्म उद्योग है वह लघु उद्योग नही बन पाया और नाही लघु श्रेणी उद्योग मध्यम श्रेणी का बन पाया है इसके लिए केन्द्र, राज्य एवं सभी स्तरों पर कडे कदम उठाये जाने की प्राथमिक आवश्यकता है। बैठक में अध्यक्ष श्री प्रमोद डफरिया ने औद्योगिक सुधार व चायना से प्रतिस्पर्धा हेतु निम्न आवश्यक बिन्दू एवं कदम विचारार्थ प्रस्तुत किये
श्रम कानून में सुधार की जरूरत
- चायना में श्रम कानून को उत्पादकता से जोडा गया है वैसा हमारे यहां नही है।अतः हमारे यहां भी इसे उत्पदकता से जोडा जाना चाहिए।
- चायना में श्रम दरें ज्यादा है परंतु उत्पादकता व श्रमिकों की दक्षता डेढ गुना है। हमारे यहां की यही अपेक्षीत है।
- श्रम कानून में हायर एंड फायर का कानून होना चाहिए जिससे उद्योगों को सहूलियत मिलेगी।
- भारत में एक श्रम कानून है चायना में प्रांत की आवश्यकता अनुसार बनाये गये है चायना में कंपनी टू कंपनी कानून में परिवर्तन है।
बाहरी देशो से मशीनरी लाने की इजाजत हो
- यहां के उद्योगों को जर्मनी, जापान, चायना आदि जैसे बाहरी देशों से सेकंड हेंड मशीनरी लाने की बंदीशों या पाबंदियों को हटाया जाना चाहिए, कई उद्योग नई मशीने खरीदने के असमर्थ होते है, तथा उन्हें सस्ती मशीने बाहरी देशो में अच्छी तकीनकी के साथ मिल जाती है, परंतु वे सरकारी बंदीशों के कारण खरीदी कर ला नही पाते है, इसमे सब्सिडी व बैंक लोन की सुविधा होना चाहिए। इसमें 5 वर्ष से अधिक पुरानी मशीन पर बंदीश की ‘ार्त मान्य की जा सकती है।
सख्त कानून की आवश्यकता
- चायना के अनुत्पादक आयटमों पर सख्ती से बंदीश होना चाहिए तथा भारतीय उत्पादों को प्राथमिकता देना अनिवार्य किया जाना चाहिए।
- ‘ाासकीय विभागों की भूमिका कमियां ढुढने की बजाय मार्गदर्शक की होना चाहिए इससे उद्योगों को नई दिशा मिलेगी।
- विभागों को मित्रवत होना चाहिए विभागों द्वारा अच्छा कार्य करने अथवा गलती किये जाने पर प्रोत्साहन अथवा सजा का प्रावधान उचित होगा। इसमें समय सीमा का ध्यान रखना चाहिए।
- हमारे यहां डिजाईनों को अपग्रेड करना चाहिए। हमारे नेशनल डिजाईन संस्थान का काम अत्यंत धिमा है।
- नरेगा की राशि उद्योगों को दी जाना चाहिए इससे श्रमशक्ति को प्रोत्साहन मिलेगा वही उद्योगों में उत्पादकता बढेगी। वर्तमान में इस योजनान्तर्गत श्रमशक्ति का लॉस हो रहा है।
- वर्तमान में कई नियम कानून ब्रिटिश काल से चल रहे कानूनों को ही मान्य किया जा रहा है उनमें समय, परिस्थिति व आवश्यकता अनुसार बदलाव किया जाना चाहिए। कई कानून आज भी उद्योगों पर दबाव डालने वाले प्रतित होते है, उनका सरलीकरण होना चाहिए।
- उद्योगों के उपर कानून लगाने से पहले उद्योग@औद्योगिक संस्थानों से चर्चा होना चाहिए वही औद्योगिक संस्थाओं का प्रतिनिधित्व उद्योगों से जुडे सभी विभागों व नीति नियमों के अनुरूप होना चाहिए जोकि वर्तमान में कम है।
- वर्तमान में नियम@कानूनो में सुधार के नाम से कई नियम@कानूनों को एक साथ जोडकर मिला दिया जाता है इससे उद्योगों के सामने कई कठिनाईया उत्पन्न होती है इससे कानूनों को समझने की परेशानी होती है।
डिजाईन@प्रोसेस
लॉकडाउन में चायना ने कई कंपनियों को टेकओव्हर किया तथा यू के की कंपनीयों के डिजाईन व प्रोसेस को लाकर अपने देश में काम किया। इससे चायना की क्वालिटी अपग्रेड हुई।
अन्य –
ऽ हमारे यहां एक तंत्र इस प्रकार विकसित किया गया है जिसमें उद्योगपति, बिजनेसमेन को चोर अथवा अपराधी समझा जाता है। इस तंत्र को मैत्रिपूर्ण किया जाना चाहिए।
ऽ एक ऐसी व्यवस्था को विकसित किया जाना चाहिए जिसमें ‘ाासकीय तंत्र एंव उद्योगजगत हाथ से हाथ मिलाकर कार्य कर सके क्योकि उद्योग रोजगार, राजस्व, विदेशीमुद्रा, निर्यात में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता है तथा उद्योगजगत व समाज को सहयोग करता है। उद्योगों को केवल ईज आफ डुईंग बिजनेस नही चाहिए वरन् कार्य करने की खुशी भी चाहिए। इस पर ध्यान देने की अपेक्षा की गई है।
बैठक में अध्यक्ष श्री प्रमोद डफरिया जी के साथ उपाध्यक्ष श्री योगेश मेहता भी उपस्थित थे।