एक्टिंग मेरे लिए विटामिन की तरह: अरूणा ईरानी

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इंदौर. एक्टिंग के लिए मेरे अंदर भूख है और मेरे लिए विटामिन की तरह है. यह ऐसा प्रोफेशन है जिसमें मुझे हमेशा नये किरदार और नये लोग मिलते हैं. हमारी लाइफ एक सामान्य आदमी से हटकर थोड़ी अलग होती है. यह कहना है अभिनेत्री अरूणा ईरानी का.

वे स्टार प्लस के शो दिल तो हैप्पी है जी के प्रमोशन के लिए शहर में थी. शो में दादी की महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. मीडिया से चर्चा में उन्होंने शो और निजी जीवन से जुड़े अनुभवों पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि  शो का नाम ही ऐसा है कि पॉजीटिव फील आती है. यह सास-बहू की कहानी नहीं है. इसमें काफी युवा किरदार है. इसमें कॉमेडी, लव और इमोशन सब है. इसमें मेरा दादी का किरदार है जो कि विधवा है. वो थोड़ी आर्थोडॉक्स सोच की है और सोचती है कि जैसी वो है वैसे सब रहें. लेकिन दिल की बुरी नहीं है.

उन्होंने चर्चा करते हुए आगे बताया कि मैं एक्टिंग का सोचकर इंडस्ट्री में नहीं आई थी. उन दिनों मुझे पर जिम्मेदारियां थी क्योंकि मैं घर की बड़ी बेटी थी. पढ़ी-लिखी ज्यादा थी नहीं तो जॉब मिलना नहीं था इसलिए यहां आ गई. धीरे-धीरे यह मेरे जीवन का हिस्सा ही बन गई. पैसे भी अच्छे मिले और करियर भी बन गया.किरदार इम्पेक्टफुल होना चाहिए.

उन्होंने बताया कि मुझे इंडस्ट्री में काफी लंबा समय हो गया है लेकिन मैं कभी टाइप्ड नहीं हुई. मेरा नसीब अच्छा रहा और मुझे हमेशा ही अलग-अलग तरह के किरदार मिले. उन्होंने कहा कि जिस किरदार में दम हो वहीं करने में मुझे मजा आता है. मेरा रोल भले ही छोटा हो लेकिन इम्पेक्टफुल होना चाहिए. दयावान और कुर्बानी में मेरे किरदार ऐसे ही थे. वहीं चाहे फिल्म हो या टीवी मेरे लिए माध्यम कोई मायने नहीं रखता.

उन्होंने आगे कहा कि इसे क्षेत्र में आने वालें लोगों से यही कहूंगा कि यहां आने के पहले सीखकर आए. जब सीख लेंगे तो कुछ भी मुश्किल नहीं होगा. वैसे यह बात हर क्षेत्र में लागू होती है.जनरेशन के हिसाब से बदली इंडस्ट्रीउन्होंने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में समय के साथ बदलाव आया है. आज की जनरेशन के हिसाब से वह बदल गई है क्योंकि उन्हें जो पसंद आ रहा है वही बना रहे हैं.  हमारे समय में हमारे हिसाब से और अच्छी फिल्में बन चुकी है. इस बदलाव को लेकर मैं अपनी कोई विशेष राय नहीं रखती.

वहीं उन्होंने बताया कि आमतौर पर मैं कम ही फिल्में देखती हूं. मेरे अनुसार फिल्म ऐसी जो या तो हंसाए या फिर रुलाए. मैंने आखिरी फिल्म क्वींस देखी थी. इस फिल्म में काफी इमोशन थे और फिल्म की कहानी काफी कुछ हमारे दौर के कहानियों से मिलती जुलती थी. रोज करती हूं एक घंटे वाकउन्होंने बताया कि इस उम्र में अपने आप को फिट रखने के लिए सही खाना खाती हूं और एक्सरसाइज करती हूं. रोजाना एक घंटे वाक करने का नियम है. योग और प्रणायाम भी करती हूं. पहले मैं सोचती थी कि 50 की उम्र मैं रिटायर हो जाऊंगी लेकिन जब 50 की हुई तो सोचा 60 में और फिर 70 का सोचा. पर अब मैं अपने आपको प्रिटी महसूस करती हूं.

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