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यहाँ हर रोज जहन्नुम के नजारे होंगे
अवध समाज में नगमों की बरसात हुई
इन्दौर. अवध समाज साहित्य संगठन द्वारा प्रत्येक महीने के पहले शनिवार को आयोजित होने वाली शाम-ए-अवध में इस मर्तबा भीषण गर्मी के आलम में भी चाँद और सोज पर रचनाकारों ने अपनी ताजा तरीन रचनाएं सुनाकर श्रोतागणों को गद-गद कर दिया।
ज्ञान की देवी माता सरस्वती के पूजन अर्चना के बाद ब्रजमोहन शर्मा ब्रज ने वन्दना का पाठ किया तत्पश्चात वाहिद अंसारी ने नाते पाक का इजहार किया इसके बाद रचनकारों ने अपनी ताजा तरीन रचनाओं में गीत, गजल, नज्म, कतआत, रूबाई, दोहा, सवैया, छन्द का ऐसा मिश्रण सुनाया कि जिसके चलते श्रोतागण भाव विभोर हो गए। अपनी रचना पेशनजर करते हुए दिलीप मिश्रा बन्धु ने भीषण गर्मी के आलम खाना क्या और पीना क्या, ऐसे मौसम में जानेमन बिना तुम्हारे जीना क्या, आओ इस मौसम में अपने प्यार की खिच.डी गरम करें, इतनी दूरी से तुमसे कुछ लेना क्या और देना क्या सुनाया. जुबेर बहादुर जोश ने अब राजेदिल किसी को बताना तो है नहीं, लेकिन खता भी अपनी छिपाना तो है नहीं, क्यों पूछते हो मेरा पता मुझसे बार-बार, बहती हुई नदी का ठिकाना तो है नहीं सुनाया. देवेन्द्र साहू प्रवाह ने अपनी रचना राम तुम्हारे देश में अब रावणों का रंग है, देखिए जिस ओर भी सीताएं सारी तंग है।। बच्चियाँ हो युवतियाँ हो सब परेशां हैे यहाँ, कहाँ है सरकार गुण्डों का मचा हुड़दंग है सुनाई. मधुर मनोहर वर्मा ने ÓमधुरÓ ने तो पा लिया है, इमानों हक से सब, शेरों व शायरी कलाम सबको मुबारक सुनाई. बृजमोहन शर्मा बृज ने अपनी रचना फूल हो चमन हो और तितलियाँ ना हों। कैसा लगेगा बारिश में गर बिजलियाँ ना हों. खुशियों की महक तुमको वहाँ आयेगी कैसे, जहाँ घर हो आगाज हो और बेटियाँ ना हो सुनाई. इसके साथ ही दिनेश वर्मा दानिश, राजेश गोधा परवाज, शोएब हाशमी समर, बलराम शाद,
ललित शर्मा, पूनमचंद यादव पूनम ने भी अपनी रचना सुनाई. कार्यक्रम में जुबेरबहादुर जोश, नरेन्द्र कुरील साहिब, बालकराम शाद, मुहम्मद रफीक सूफी, राजेश गोधा परवाज, शरवान सारथी, नेहा लिम्बोदिया, शोएब हाशमी समर, हरीश साथी, मनोहर वर्मा मधुर, दिनेश दानिश, वाहिद अंसारी, मुत्लक अंसारी, हीरालाल प्रेमी, अलगा जैन आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम के सदर समाजसेवी सिराज भाई जालीवाला थे तो अतिथि थे जुबेरबहादुर जोश. संचालन दिलीप मिश्रा बन्धु ने किया. आभार नरेन्द्र कुरील साहिब ने माना.