25 परसेंट पुरुषों को लाइफ में होती है हर्निया की परेशानी

सही समय पर सर्जरी ही है हर्नि का सबसे बेहतर ट्रीटमेंट

दो दिनी नेशनल कॉन्फ्रेंस का आगाज, 50 से अधिक नेशनल-इंटरनेशनल स्पीकर्स हुए शामिल

इंदौर। हर्निया कॉमन सर्जिकल डिजीज है जो कि 25 परसेंट पुरुष को लाइफ में कभी न कभी जरूर होती है। महिलाओं में यह 3 से 5 परसेंट तक की संभावना रहती है। हर्निया कई प्रकार के होते हैं जो कि हमारी मांसपेशियों में कमजोरी के कारण होता है जिसके कारण हमारे पेट के अंदर की चीजें जैसे आंते, फैट बाहर आने की संभावना रहती है।

यह कहना है हर्निया सोसायटी ऑफ इंडिया के अपकमिंग नेशनल प्रेसिडेंट डॉ. मनीष बैजल का। वह शुक्रवार को हॉर्निया सोसाइटी ऑफ इंडिया की दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस हसीकॉन 2024 मेंहोटल रेडिसन में संबोधित कर रहे थे, उन्होंने बताया कि हर्निया को अगर रिपेयर नहीं किया जाएगा तो उसमें कभी आंत आकर फंस सकती है और वह सर्जिकल इमरजेंसी की स्थिति बन जाती है। हर्निया का जो ऑपरेशन होता है वह इस प्रकार की इमरजेंसी व कॉम्प्लीकेशन से बचने के लिए होता है। पहले के समय में यह इसका ट्रीटमेंट ओपन सर्जरी के जरिए होता था पर अब लेप्रोस्कोपिक सर्जरी और रोबोटिक सर्जरी की जाती है। ऐसे में पहले के समय पेशेंट को शुरुआती 6 महीनों में बहुत ध्यान रखना होता था अब पेशेंट एक से दो दिन में डिस्चार्ज हो जाता है और पेशेंट को ज्यादा रिस्ट्रिक्शन नहीं होती है। अब जो मेस का इस्तेमाल किया जा रहा है उसमें इंफेक्शन का खतरा लगभग समाप्त हो गया है।

डब्ल्यूएचओ की टॉप-10 प्रिवेंटिव इमरजेंसी लिस्ट में हर्निया भी
कोलकाता से आए एचएसआई के सेक्रेटरी और गैस्ट्रो सर्जन सरफराज बेग ने बताया कि बीमारियों में कोई ऐसी बीमारी जो बहुत ज्यादा प्रचलित है तो उसका इलाज भी बहुत आसानी से उपलब्ध होना चाहिए। इमरजेंसी हर्निया सर्जरी से होने वाली मौतों की संख्या अभी भी काफी ज्यादा है। डब्ल्यूएचओ के टॉप 10 प्रिंवेंटेबल इमरजेंसी में हर्निया का नाम भी आता है। अचानक से जब आंत फंस जाती है तो पेशेंट समय रहते हॉस्पिटल पहुंच नहीं पाता है और जब पहुंचता है तो इमरजेंसी सर्जरी करनी पड़ती है। इलेक्टिव सर्जरी की तुलना में इमरजेंसी सर्जरी में डेथ रेट 25 परसेंट तक ज्यादा रहती है।

सर्जरी ही है इफेक्टिव ट्रीटमेंट
स्कॉटलैंड से आए एंड्रयू डे ब्यूक्स ने कहा कि हर्निया का आकरा समय के साथ बढ़ता है और कॉम्प्लिकेशन को बढ़ता जाता है। हर्निया का बड़ा हुआ आकार आसपास के टिश्यू पर बहुत अधिक प्रेशर डालता है, जिससे सूजन और दर्द होती है। हर्निया का इलाज न कराने पर आंत का एक हिस्सा पेट की दीवार में फंस जाता है। इससे आंत बाधित होती है। इससे दर्द, मतली या कब्ज का कारण बनती है। हर्निया का प्रभावी ढंग से इलाज करने का एकमात्र तरीका सर्जिकल रिपेयर है। सर्जरी की आवश्यकता है या नहीं यह आपके हर्निया के आकार और आपके लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है। हर्निया की सर्जरी में जितनी सिंपलीसिटी से किया जाए उतना बेहतर होता है।

सूजन और दर्द को न करें अनदेखा
एचएसआई सेंट्रल जोन वाइस प्रेसिडेंट और ऑर्गनाइजिंग चेयरपर्सन डॉ. आशुतोष सोनी ने बताया कि कोई भी सूजन और दर्द दिखें तो अपने फिजिशियन या सर्जन के पास जरूर जाएं। शुरुआत में हर्निया का इलाज किया जाए तो सबसे बेहतर होता है क्यों कि समय के साथ हर्निया बड़ा होता जाता है और उसके आकार के साथ रिस्क फैक्टर भी बढ़ जाता है। ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. ईशान चौरसिया ने बताया कि बढ़ती उम्र के साथ हर्निया का खतरा ज्यादा रहता है। पुराने ऑपरेशन में दर्द और सूजन हो तो ज्यादा खतरनाक हो सकता है। अगर यह किसी पुराने ऑपरेशन वाली जगह पर है तो डॉक्टर के पास जाने में देरी नहीं करनी चाहिए। यह बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।

महिलाओं की तुलना में पुरुषों में हीलिंग स्लो पर होती है स्ट्रांग
ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. अचल अग्रवाल ने बताया कि हमारी बॉडी में कोलैजिंग नाम का कैमिकल होता है जो कि हीलिंग प्रोसेस के लिए जिम्मेदार होता है। मेल में कोलैजिंग टाइप-2 होता है जिसका हीलिंग प्रोसेस स्लो पर स्ट्रांग होता है। फीमेल में कोलैजिंग टाइप-3 होता है जो कि हीलिंग फास्ट करता है पर वह थोड़ा कमजोर होता है। इस वजह से फीमेल को सर्जरी के बाद फिर से हर्निया होने की संभावना अधिक होती है। प्रेगनेंसी के बाद एब्डोमेन कमजोर हो जाता है ऐसे में उनमें इससे जुड़े हर्निया का खतरा अधिक रहता है। इंग्वाना हर्निया पुरषों में होने की संभावना अधिक होती है। यह हर्निया सिर्फ 4 परसेंट फिमेल को होता है।

आज होंगे हर्निया से जुड़े 50 सेशन
एग्जीक्यूटिव मेंबर एचएसआई सेंट्रल जोन और ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. सुदेश सारडा ने बताया कि शनिवार को कॉन्फ्रेंस के दूसरे तीन 3 हॉल में लगभग 50 सेशन आयोजन किया जाएगा। इसमें नेशनल और इंटरनेशनल फैकल्टी इसमें पार्ट लेंगी। ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. प्रियंक चेलावत , ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. रोहन जैन, को-ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. अक्षय शर्मा, को-ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. मयंक गुप्ता का विशेष सहयोग रहा।

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