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दुर्लभ जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित 3 महीने के बच्चे की जान बचाई
अपोलो हॉस्पिटल में हुई इमरजंसी सर्जरी
इंदौर। ऐसे समय में जब सरकार का पूरा ध्यान कोरोना वायरस को फैलने से रोकने पर है और शहर के ज्यादातर अस्पताल भी कोविड-19 से जूझ रहे हैं तब अपोलो हॉस्पिटल में एक दुर्लभ जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित 3 महीने के बच्चे को लाया गया।
उसे हार्ट फेलियर के कारण एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहाँ पता लगा कि उसे ऑब्स्ट्रक्टेड सुपरकार्डियक TAPVC नामक दुर्लभ जन्मजात हृदय रोग है, जिसमें बच्चे की जान बचाने के लिए तुरंत सर्जरी करने की जरूरत होती है। इस रोग के बारे में पता लगते ही बच्चे को अपोलो हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया।
सरकारी अधिकारीयों से भी मिला पूरा सहयोग
बच्चे के माता-पिता को सर्जरी के बारे में बताया गया पर वे इस सर्जरी के खर्च का वहन करने की स्थिति में नहीं थे। इस परिस्थिति में हॉस्पिटल ने बिना देर किए इस बच्चे की सर्जरी सरकार की आरबीएसके योजना के तहत करने का फैसला लिया।
ऐसे समय में जब सभी सरकारी अधिकारियों का पूरा ध्यान कोविड-19 के प्रसार को रोकने पर लगा हुआ है, अपनी तमाम व्यस्तताओं के बावजूद इस नन्ही-सी जान की ज़िंदगी बचाने के लिए अधिकारियों ने सिर्फ एक दिन में इस योजना के तहत सर्जरी के खर्च की अनुमानित राशि को पारित कर दिया।
तेज़ कार्यवाही और कुशल चिकित्सकीय देखभाल के कारण बच्चे की आपातकालीन सर्जरी समय रहते हो पाई और बच्चा अब पूरी तरह सुरक्षित है। बच्चे की सफल आपातकालीन सर्जरी करने का श्रेय पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जन डॉ निशीथ भार्गव और उनकी टीम को जाता है। उसे 3 दिन आईसीयू में रखा गया और सर्जरी के 6 दिन बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
आखिर क्या है ऑब्स्ट्रक्टेड सुपरकार्डियक TAPVC
पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जन डॉ निशीथ भार्गव बताते हैं कि यह एक ऐसा दुर्लभ जन्मजात हृदयरोग है, जिसमें बच्चे के फेफड़ों से ऑक्सीजन युक्त रक्त दिल के बाईं ओर के बजाय हृदय के दाईं ओर वापस चला जाता है, जिसके कारण बच्चे के शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है।
आमतौर पर ऐसे बच्चों के दिल में एक छेद होता है, जिससे ऑक्सीजन युक्त रक्त थोड़ी-थोड़ी मात्रा में शरीर तक पहुंच कर बच्चे को जीवित रखता है। इस मामले में बच्चे के दिल का यह छेद समय के साथ छोटा होता जा रहा था। यही कारण है कि उसे कार्डियक फेलियर के कारण आपातकालीन स्थिति में अस्पताल लाना पड़ा था।
सर्जरी के बिना इस तरह के बच्चे जीवित नहीं रह सकते। समय पर सर्जरी ना होने पर हृदय गति रुकने और सांस लेने में तकलीफ के कारण उनकी मृत्यु हो जाती है। वही समय पर सर्जरी होने के बाद ये बच्चे भी सामान्य जीवन जी सकते हैं इसलिए इस रोग के लक्षण दिखाई देते ही अभिभावकों को अपने बच्चे के लिए किसी अच्छे चिकित्सक की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
इस रोग के सामान्य लक्षण
– बच्चों की साँस तेज़ चलना।
– मां का दूध पीने में तकलीफ होना, ज्यादा दूध ना पी पाना।
– वजन ना बढ़ना और शरीर नीला पड़ना।
– शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होना।