सात ज्योतिर्लिंगों में सावन की शुरूआत 21 जुलाई से

बारह में से सात ज्योतिर्लिंगों में सावन की शुरुवात 21 जुलाई मंगलवार से होगी। पंचांगों की व्यवस्था के चलते यह स्तिथि बनी है। दक्षिण व पश्चिम भारत मे अमांत से नया माह शुरू होता है।

यह बात आचार्य पण्डित रामचन्द्र शर्मा वैदिक,शोध निदेशक,भारद्वाज ज्योतिष व आध्यात्मिक शोध संस्थान ने दी। उन्होंने बताया कि देश मे सावन मास की शुरुवात अलग अलग भागों में पंचांगीय व्यवस्था के चलते अलग-अलग समय पर की जाती है। देश मे चारों दिशाओं में कुल बारह प्रमुख ज्योतिलिंग है।

इनमें दो प्रकार की व्यवस्था के चलते देश के उत्तर, मध्य व पूर्वी भागों के राज्यो गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र, तमिलनाडु सहित दक्षिण भारत के राज्यो के सात प्रमुख ज्योतिलिंगों, सोमनाथ, नागेश्वर, भीमाशंकर, त्रयम्बकेश्वर, धरसनेश्वर, मल्लिकार्जुन व रामेश्वर में सावन मास की शुरुआत 21 जुलाई मंगलवार से होगी। अमांत व्यवस्था अर्थात अमावश्या के दूसरे दिन से जहां मास की शुरुआत मानी जाती है वहां 15 दिन अर्थात एक पखवाड़ा देरी से भोले की भक्ति का सावन माह शुरू होगा।

आचार्य शर्मा वैदिक ने बताया यहाँ पूरे सावन में कुल चार सावन सोमवार होंगे। पहिला 27 जुलाई, दूसरा 3 अगस्त, तीसरा 10 अगस्त व चौथा व आखिरी सावन सोमवार 17 अगस्त को पढ़ेगा। इस प्रकार देश के दक्षिण पश्चिम भागों में सावन 21 जुलाई से19 अगस्त तक रहेगा। यहां अधिकतर भागों में ऋग्वेद व कृष्ण यजुर्वेद के मंत्रों से आशुतोष भगवान शिव की पूजा, अर्चना व अभिषेक होगा।कुछ भागों में शुक्ल यजुर्वेदीय व्यवस्था से भी अर्चा होगी।

आचार्य शर्मा ने कहा कि शेष देश के पांच प्रमुख ज्योतिलिंगों श्री महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, केदारनाथ, काशी विश्वनाथ व वैधनाथ में सावन माह की शुरूआत 6 जुलाई सोमवार से हो चुकी है व सावन का समापन 3 अगस्त सोमवार को होगा। यहाँ सावन में पांच सोमवार का लाभ शिवभक्तों को प्राप्त होगा।

यहाँ पूर्णिमा के दूसरे दिन से माह की शुरुआत मानी जाती है, जैसे मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश व झारखंड। सौर पंचांगीय व्यवस्था के चलते देश मे अमांत व पूर्णिमांत व्य वस्था के कारण दोनों में एक पखवाड़े का अंतर आता है।

रक्षा बंधन व बाद के सभी तीज, त्यौहार दोनों जगह एक ही दिन मानेंगे

आचार्य पंडित रामचन्द्र शर्मा वैदिक ने बताया कि देश के अलग अलग भागों में सावन 15 दिन के अंतर से अवश्य ही प्रारंभ होगा किन्तु रक्षाबंधन का त्यौहार एक ही दिन याने 3 अगस्त को ही मनाया जाएगा।आ गे के सभी पर्व अमांत व पूर्णिमांत व्यवस्था के बावजूद सभी तीज त्योहार देश भर में एक ही निर्धारित तिथि को मानेंगे,, नवरात्र, दशहरा, दीपावली,होली आदि आदि।

केवल भोले की भक्ति का पर्व सावन ही इस व्यवस्था के चलते अवश्य ही प्रभावित होगा।निश्चित ही हमारी भारतीय व्रत,पर्व की परंपरा वैज्ञानिक सत्य पर आधारित है। देशभर में सावन की सवारियां भी इसी व्यवस्था के तहत निकलती है।उज्जैन के महाकालेश्वर व ओंकारेश्वर के ममलेश्वर में सावन की सवारियां डेढ़ माह तक अर्थात 17 जुलाई के सोमवार तक निकलेगी।

इस वर्ष सावन कुछ खास है जो अनेकानेक ज्योतिषीय संयोग लेकर आया है,दुनिया मे शिव से बढ़कर कोई देव नही है,महिम्न स्तोत्र से बढ़कर स्तोत्र नही,अघोर मंत्र ॐ नमः शिवाय से बढ़कर सिद्ध मंत्र नही इसीलिए शिवजी की प्रतिष्ठा जगदगुरुजी के रूप में है।

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